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मुक़द्दस माह रमज़ान का हुआ आगाज़

सुब्हानी मियां व अहसन मियां ने दी मुल्कवासियों को रमज़ान की मुबारकबाद

पवन कालरा (संवाददाता)

बरेली : मुक़द्दस माह रमज़ान का आगाज़ रहमत के आशुरे के साथ हो गया। आज ही से सभी दरगाहों,खानकाहों व शहर की छोटी व बड़ी मस्जिदों में नमाज़-ए-तरावीह भी शुरू हो गई। रविवार को पहला रोज़ा रखा गया। इसके एक महीने बाद खुशियों का त्यौहार ईद मनाई जाएगी। दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि चांद के ऐलान के बाद मुसलमानों ने सभी को एक दूसरे को रमज़ान शरीफ की मुबारकबाद दी। इसी के साथ इबादत का सिलसिला शुरू हो गया।
दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) व मुफ़्ती सलीम नूरी बरेलवी ने सभी देशवासियों को रमज़ान की मुबारकबाद दी। *सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने रमज़ान की फ़ज़ीलत बयान करते हुए कहा कि सहरी खाना सुन्नत है उसका एहतिमाम किया जाए। मस्जिदों से सहरी के लिए बार बार माइक से ऐलान न किया जाएं। पड़ोसी और मोहल्ले के जो मुसलमान किसी बीमारी के कारण या शरीयत ने जिसको रोज़ा रखने की छूट दी हो और गैर मज़हब के जो लोग रोज़ा नहीं रखते है उनको शोर शराबे के कारण नीद में खलल न पड़े। आगे मुफ्ती अहसन मियां ने कहा कि अल्लाह के रसूल ने इरशाद फरमाया कि “जो शख़्स बग़ैर बीमारी या बग़ैर उज़्र (ज़रूरत) के रमज़ान का रोज़ा छोड़ दे,फिर वह सारी उम्र भी रोज़ा रखे तो उस रोज़े का सवाब हासिल नही कर सकता।” इसलिए मुसलमान खुशदिली के साथ पूरे महीने रोज़े रखें। आगे कहा कि रमज़ान में जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाने का मतलब है, नेक अमल की तौफ़ीक़,और जहन्नम के दरवाज़े बंद किये जाने का मतलब है,रोज़ेदारों को शरीयत ने जिन बातों से रोका है उनसे अपने आप को बचाना। मुफ़्ती सलीम नूरी बरेलवी ने रमज़ान की अहमियत बयान करते हुए कहा कि हमारे नबी ने शाबान के आखिरी दिनों में इरशाद फरमाया “ऐ लोगो! तुम्हारे पास अज़मत वाला,बरकत वाला महीना आया,वो महीना जिस में एक रात हज़ार महीनों से बेहतर है। इसके रोज़े अल्लाह ने तुम्हारे ऊपर फ़र्ज़ किये है।” आगे कहा कि फ़र्ज़ नमाज़ों को उनके वक़्तों पर अदा करने,क़ुरान की तिलावत के साथ हर वो भलाई का काम करे जिससे हमारा रब हमसे राज़ी हो जाये। रोज़ा भूखे प्यासे रहने का नाम नही बल्कि हमें चाहिए कि हम अपने आप को बुरे कामों से भी रोके। इस मौके पर टीटीएस की ओर से दरगाह पर चांद देखने का एहतिमाम किया गया। शाहिद नूरी,परवेज़ नूरी,अजमल नूरी,औररंगज़ेब नूरी,ताहिर अल्वी,हाजी जावेद खान,मंज़ूर रज़ा,शान रज़ा,अबरार उल हक़,अब्दुल माजिद,आलेनबी,जोहिब रज़ा,साजिद रज़ा, इशरत नूरी,सय्यद माजिद,अरबाज़ रज़ा,आरिफ नूरी,साकिब रज़ा,शाद रज़ा,अरबाज रज़ा,तारिक सईद,मुजाहिद बेग,काशिफ सुब्हानी,अशमीर रज़ा आदि लोग मौजूद रहे। नासिर कुरैशी ने बताया कि पहला रोज़ा सबसे छोटा 13 घंटे 04 मिनट का होगा। और आखिरी रोज़ा 13 घंटे 52 मिनट का होगा। इस तरह आखिरी रोज़ा पहले रोज़े से 48 मिनट लंबा होगा।

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