स्जोग्रेन बीमारी से पीड़ित संतोष हुड्डा को 15 साल बाद आंखों में आए आंसू, आयुर्वेदिक इलाज से मिला नया जीवन

स्जोग्रेन बीमारी से पीड़ित संतोष हुड्डा को 15 साल बाद आंखों में आए आंसू, आयुर्वेदिक इलाज से मिला नया जीवन।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

आयुर्वेद से हुआ स्जोग्रेन सिंड्रोम जैसी लाइलाज बीमारी का इलाज संभव।
स्जोग्रेन जैसी लाइलाज बीमारी से पीड़ित संतोष देवी को 16 साल बाद प्राकृतिक रूप से आंसू आने लगे हैं और मुंह में लार बनने लगी है।
यह संभव हुआ है आयुर्वेदिक इलाज और पंचकर्म थेरेपी से। संतोष देवी अब बीना तरल पदार्थ के खाना खा सकती है और आंखों में रोने पर आंसू आने लगे हैं।

कुरुक्षेत्र : श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक अस्पताल में स्जोग्रेन बीमारी से ग्रस्त पांच मरीजों को दवा मुक्त कर दिया गया है और 30 से अधिक मरीजों का इलाज अभी भी जारी है।
श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र पंचकर्म विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजा सिंगला ने बताया की स्जोग्रेन सिंड्रोम एक ऑटोइम्यून रोग है। जिसमें रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली बैक्टीरिया या वायरस पर हमला करने के बजाय स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर उसे नुकसान पहुंचाती है। जिस वजह से आंख, मुंह और नाक में सूखापन आ जाता है और आंखों में आंसू आना व मुह में लार बनना बंद हो जाता है। इसके साथ ही जोड़ो में दर्द रहने लगता है। शुरुआत में इस रोग को पकड़ पाना भी बहुत मुश्किल होता है। इस बीमारी का सबसे ज्यादा असर किडनी, लंगस और लिवर पर पड़ता है। स्जोग्रेन बीमारी का कोई स्थाई इलाज नहीं है। मगर आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन और पंचकर्म थेरेपी द्वारा प्रभावित अंगों के रूखेपन को दूर कर होने वाली समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
कुछ दिनों के बाद ही मिला अच्छा परिणाम : संतोष।
शाहाबाद निवासी 47 वर्षीय शिक्षिका संतोष हुड्डा का कहना है कि 2006 में उसे बुखार आया और आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा। डॉक्टर से इलाज शुरू करवाया तो कोई आराम नही आया। इन वर्षों के दौरान उसने चंडीगढ़ पीजीआई स्थित कई बडे अस्पतालों में अपना इलाज करवाया। इसी दौरान एक चिकित्सक द्वारा उसकी आंखों के सुराख को बंद करने के लिए स्टड भी डाले गए, ताकि आंखों में डाली जाने वाली दवाई मुंह तक न जाए। इस दौरान आंखों की रोशनी कम होने के कारण चश्में का नंबर भी बढ़ गया और खाना भी पानी के बिना खाना मुश्किल हो गया था। कई साल बीत जाने के बाद कोई आराम नही आया। 2021 में उसने श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के पंचकर्म विभाग के डॉ. राजा सिंगला से इलाज शुरू करवाया। आयुर्वेदिक इलाज से उसे 20 वें दिन आराम महसूस होने लगा। अब उसकी आंखों से आंसू भी आते हैं और मुंह में लार भी बन रही है।
चल फिर भी नही सकते थे राजस्थान के राजेंद्र
राजस्थान के भरतपुर जिला निवास राजेंद्र ने बताया कि कुछ सालों पहले उसको जोड़ों में दर्द की दिक्कत शुरू हुई थी। पहले उसकी आंखों से आंसू आने बंद हुए। इसके बाद उसके मुंह में लार नही बन रही थी। कुछ ही समय के बाद उसके जोड़ों में दर्द बढ़ने की वजह से एक दिन ऐसा आया कि वह बैड पर ही रहने लगे। चलना-फिरना भी दुश्वार बन गया था। इस दौरान वे एम्स के अलावा अन्य बड़े संस्थानों में इलाज के लिए गए लेकिन कोई फायदा नहीं मिला। इसके बाद कुछ माह पहले श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय से अपना इलाज शुरु करवाया। यहां आयुर्वेदिक इलाज से वह ठीक हैं। अब वे स्वयं चलकर अपनी ड्यूटी पर जाते हैं। आयुर्वेदिक इलाज से उसे दोबारा से जीवन मिला है।
महिलाओं में ज्यादा होती है यह दिक्कत : सिंगला।
डॉ. राजा सिंगला ने बताया कि स्जोग्रेन बीमारी के लंबा समय बीतने पर इसका इलाज असंभव है। यह रोग अधिकतर पुरुषों के बजाय महिलाओं में अधिक देखने को मिलता है और 40 वर्ष की उम्र के बाद शुरू होता है। स्जोग्रेन सिंड्रोम के मुख्य लक्षणों में आंखों में जलन, खुजली होती है। मुंह की लार बननी बंद हो जाती है। इसके साथ ही कुछ भी निगलने यहां तक की बोलने में भी समस्या होती है। इसके अलावा जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न, त्वचा पर रैशेज और रूखी त्वचा, लगातार सूखी खांसी, लंबे समय तक थकान होना मुख्य लक्षण हैं। हालांकि इसके मुख्य कारण आनुवांशिक और पर्यावरणीय है। इस बीमारी से ग्रसित होने के बाद मरीज को चाहिए कि ज्यादा पानी पिएं, ज्यादा न चलें, दही, उड़द की दाल सहित ठंडी चीजों का सेवन न करें।
आयुर्वेद के प्रति बढ़ा लोगों का विश्ववास- कुलपति डॉ. बदलेव कुमार।
श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने कहा कि राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में कई बड़ी असाध्य बीमारियों का इलाज विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा किया जा रहा है। इससे देश व प्रदेश के नागरिकों का आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्रति आटूट विश्ववास बना है। आने वाले समय में आयुर्वेदिक अस्पताल में ओर मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने के साथ ही सिद्द्धा, यूनानी और होम्योपेथी में भी इलाज शुरू किए जाने की योजना है। श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय का पूरा परिवार नागरिकों की सेवा में निरंतर अग्रेसर रहेगा।

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