श्रीधाम वृन्दावन के प्राचीन स्वरूप के परिचायक थे संतप्रवर परशुराम दास महाराज : गोविंदानंद तीर्थ

श्रीधाम वृन्दावन के प्राचीन स्वरूप के परिचायक थे संतप्रवर परशुराम दास महाराज : गोविंदानंद तीर्थ।

सेंट्रल डेस्क संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

उत्तरप्रदेश वृन्दावन : परिक्रमा मार्ग स्थित सुखधाम आश्रम में आश्रम के अध्यक्ष पीपाद्वाराचार्य जगद्गुरु बाबा बलरामदास देवाचार्य महाराज के पूज्य सदगुरुदेव अनन्तश्री विभूषित परशुरामदास महाराज का जयंती महोत्सव अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ मनाया गया।इस अवसर पर आयोजित संत-विद्वत सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रख्यात संत गोविंदानंद तीर्थ महाराज व अखंडानंद आश्रम के संत महेशानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि संतप्रवर परशुराम दास महाराज श्रीधाम वृन्दावन के प्राचीन स्वरूप के परिचायक थे।उन्होंने यहां पर साधनामय जीवन जीकर प्रभु की अनन्त लीलाओं का आंतरिक दर्शन किया।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि पूज्य परशुराम दास महाराज संत समाज के गौरव थे।उन्होंने अपना समूचा जीवन गौसेवा, संत सेवा व अध्यात्म की सेवा के लिए समर्पित किया। ऐसी महान विभूति पृथ्वी पर यदा-कदा ही अवतरित होती हैं।
प्रकांड विद्वान अच्युतलाल भट्ट व आचार्य रामविलास चतुर्वेदी ने कहा कि ब्रजवासियों के अत्यंत प्रिय बाबा बलराम दास महाराज के सदगुरु संत शिरोमणि परशुराम दास महाराज अनेकानेक सद्गुणों की खान थे।हम यदि उनके किसी एक गुण को भी अपने जीवन में धारण कर लें तो हमारा कल्याण हो सकता है।
इस अवसर पर डॉ. श्याम सुंदर पाराशर, महंत रामदास महाराज, श्रीराम कथा मर्मज्ञ अशोक व्यास,पूर्व प्राचार्य रामसुदर्शन मिश्र,पंडित बिहारीलाल शास्त्री, भागवताचार्य विपिन बापू, आचार्य नेत्रपाल शास्त्री,पंडित रविशंकर पाराशर (बवेले जी), पंडित रामनिवास गुरुजी, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, महंत मोहिनी शरण महाराज, आचार्य अखिलेश शास्त्री, आचार्य युगलकिशोर कटारे, डॉ. कृष्ण मुरारी, अच्युत कृष्ण पाराशर आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।संचालन पंडित बिहारीलाल शास्त्री ने किया।

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