हमारी जड़ों को हमसे छोड़ती है सरस्वती नदी: एसपी बघेल

हमारी जड़ों को हमसे छोड़ती है सरस्वती नदी: एसपी बघेल
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल ने आज झांसा रोड पर सरस्वती नदी के किए दर्शन।
कुरुक्षेत्र, 26 जून : केन्द्रीय राज्यमंत्री एसपी बघेल ने कहा कि सरस्वती नदी हमारी जड़ों को हमसे छोड़ती है और इस पवित्र कार्य पर सरस्वती बोर्ड लगा है। सरस्वती नदी मृत प्राय थी, लेकिन अब 400 किलोमीटर में पानी बह रहा है। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गौरव की बात है कि सरस्वती बोर्ड निरंतर इस तरह के कार्य कर रहा है, जिससे सरस्वती रिवाइव हो।
केन्द्रीय राज्यमंत्री एसपी बघेल ने झांसा रोड स्थित सरस्वती नदी के घाट पर पहुंचकर सरस्वती नदी के दर्शन किए। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सैनी सरकार व पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल को सरस्वती नदी को रिवाइव करने के लिए बधाई दी। साथ ही उप-चेयरमैन धूमन सिंह किरमच की टीम के कार्यों की भी सराहना की।
उन्होंने कहा कि सरस्वती गंगा यमुना का संगम हमारे प्रयागराज में होता है और यह मेरा सौभाग्य है कि मैने तीनों नदियों का साक्षात दर्शन किया। मैं सरस्वती नदी पर आकर अपने आपको धन्य महसूस कर रहा हूँ। सरस्वती नदी आदिकाल से ही बहती रही है और हरियाणा सरकार के प्रयासों से फिर से इतना पानी सरस्वती में बह रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा इस तरह के प्राचीन काल की हमारी सभ्यता को उजागर करने में लगी है। उत्तराखंड, हिमाचल, आदिबद्री से लेकर हरियाणा व राजस्थान गुजरात तक का जो सरस्वती बोर्ड का प्लान है उस पर काम किया जा रहा है। सभी नदियों पर इस तरह की बोर्ड बनाने चाहिए, ताकि नदियों को एक दिशा मिल सके और इनके कार्यों पर तेजी आ सके। हरियाणा सरकार इसके लिए बधाई की पात्र है।
उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी नदियों को जोडऩे के प्रयास में लगे हैं और हरियाणा उस मामले में अग्रणी है, क्योंकि अब हरियाणा में सरस्वती और यमुना दोनों नदियां बहने लगी है। अब ये आसानी से कार्य हो सकता है, सरस्वती बोर्ड हरियाणा इस कार्य में पहले ही आगे बढ़ चुका है, क्योंकि पिछले 3 साल से जो पानी सरस्वती में चल रहा है, उसकी वजह से किसान बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा कि रिचार्जिंग हो रही है और अब की बार इस सीजन में सरस्वती ने कम से कम 300 क्यूसिक पानी चल रहा है। उन्होंने कहा कि पहले सरस्वती की कपैसिटी 125 से 150 क्यूसिक की होती थी, जो अब बढकऱ 300 हो गई है।