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श्रीमद्भागवत में निहित है सभी धर्म ग्रंथों का सार : पंडित देवकीनंदन महाराज।
सेंट्रल डेस्क संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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मथुरा : छाता-गोवर्धन रोड़ स्थित ग्राम सहार (उपनन्द खेरा) के प्राचीन ठाकुर श्रीराधा वल्लभ लाल मन्दिर में चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव में व्यासपीठ से प्रख्यात भागवताचार्य पंडित देवकीनंदन शर्मा (संगीताचार्य) महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी से भक्तों-श्रृद्धालुओं को श्रीमद्भागवत की महिमा बताते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत भगवान श्रीकृष्ण का वांग्मय स्वरूप है। इसका श्रवण करने से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है।इसके श्रवण से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।साथ ही उसके जन्म व मृत्यु के भय का भी नाश हो जाता है। जीव के कल्याण के लिए यदि सबसे उत्तम ग्रंथ है,तो वह श्रीमद्भागवत महापुराण है।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण में समस्त वेदों, पुराणों, उप पुराणों, शास्त्रों व उपनिषदों आदि धर्मग्रंथों का सार निहित है। इसका श्रवण,वाचन व अध्ययन तीनों ही कल्याणकारी हैं। साथ ही ब्रजमंडल की पावन भूमि पर इसका श्रवण करना शतगुणा अधिक फलदाई व पुण्यदाई होता है।
इस अवसर पर प्रख्यात संत वैष्णवदास महाराज, संत मोहनदास महाराज, पंडित कृपाराम (प्रधानजी), पंडित लीलाधर शर्मा,बाबा त्रिलोक दास, विनोद प्रधान, रामकिशन वार्ष्णेय, पूरन पोस्टमैन, सुरेश शर्मा, लक्ष्मण लंबरदार, डॉ. राधाकांत शर्मा, संगीतज्ञ गोपाल कुमार, गोविंद पहलवान, संतोष वार्ष्णेय, मनोज सोनी, उमेश अग्रवाल, नीरज गुप्ता,मुरारी प्रधान, छिद्दो, छीतो, रामकुमार सोनी, हेमन्त सोनी, निरोति मास्टरसाहब, गोपाल रावड,मंगला सैनी, मूलचंद्र, रमन, किशन, प्रीतम सैनी, गोविंद सैनी आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।