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भव्य कलश यात्रा के साथ होगा श्री ब्रह्मपुरी अन्नक्षेत्र आश्रम ट्रस्ट द्वारा पश्चिम विहार में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
ब्यूरो चीफ – संजीव कुमारी दूरभाष – 9416191877
नई दिल्ली : श्री ब्रह्मपुरी अन्नक्षेत्र आश्रम ट्रस्ट द्वारा महाराजा अग्रसेन भवन, पश्चिम विहार दिल्ली में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का 31 दिसम्बर को भव्य कलश यात्रा के साथ शुभारंभ होगा। इस दिन प्रात: 10 बजे से श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, ज्वालाहेड़ी से शौभाग्यशाली महिलाओं द्वारा पूरे धार्मिक विधि-विधान के साथ कलश यात्रा निकाली जाएगी, जोकि कथास्थल महाराजा अग्रसेन भवन, पश्चिम विहार पहुंचकर संपन्न होगी। तत्पश्चात प्रतिदिन सायं 3 बजे से 6.30 तक कथा व्यास मां बगलामुखी के आराधक आचार्य भरत जी महाराज अपने मुखारविंद से श्रीमद् भागवत कथा की अमृत धारा प्रवाहित करेंगे। यह कथा 7 जनवरी तक चलेगी। इस दौरान प्रतिदिन देश के तमाम संत-महात्माओं का भी सान्निध्य प्राप्त होगा।
श्री ब्रह्मपुरी अन्नक्षेत्र आश्रम ट्रस्ट के प्रधान राजेश गोयल ने बताया कि त्यागमूर्ति श्री चिरंजीपुरी जी महाराज की प्रेरणा से ट्रस्ट के चेयरमैन एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सुशील गुप्ता के कुशल मार्गदर्शन में यह कथा आयोजित की जा रही है। कथा के सफल आयोजन के लिए विभिन्न समितियों का गठन किया गया है। 31 दिसम्बर को निकलने वाली कलश यात्रा के संबंध बीते दिन महिला समिति की बैठक हुई। बैठक में शामिल श्रीमती अरुणा गोयल, श्रीमती विमलेश गोयल, श्रीमती सारिका गोयल, श्रीमती अनिता अग्रवाल, श्रीमती मीनू गुप्ता, श्रीमती शारदा गोयल, श्रीमती शशि गोयल, श्रीमती अर्चना गोयल, श्रीमती अनिता गर्ग, श्रीमती मिथलेश मित्तल, श्रीमती सुनीता अग्रवाल, श्रीमती रेखा, श्रीमती अंशू गुप्ता, श्रीमती अंजलि गर्ग एवं श्रीमती उमा गुप्ता ने कलश यात्रा में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विचार-विमर्श किया।
प्रधान राजेश गोयल ने बताया कि बताया कि हमारे हिन्दू धर्म में कलश का विशेष महत्व है। किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत के पूर्व कलश पूजन किया जाता हैं। श्रीमद भागवत कथा का आरम्भ करने से पहले कलश यात्रा निकाली जाती है। मान्यता है कि कलश में सारे देवता विराजमान होते हैं। इस कलश को सिर पर रखकर सौभाग्यशाली महिलाएं जिस क्षेत्र से निकलती हैं, वहां का वातावरण मंगलमय हो जाता है। जो कलश को धारण करता है उसकी आत्मा भी पवित्र हो जाती है। हमारी कोशिश है कि सभी ट्रस्ट पदाधिकारियों एवं ट्रस्टी बंधुओं के परिवार की सभी महिलाएं इस कलश यात्रा में शामिल हों। इस कथा में परिवार के सभी सदस्य शामिल हों। इससे परिवार में आपसी सौहार्द भी बढ़ेगा और पुण्य लाभ भी मिलेगा। इस कथा के मुख्य यजमान श्रीमती एवं श्री एस. के. गुप्ता एवं यजमान जय भगवान गर्ग (पंजाबी बाग) हैं।
श्रीमद् भागवत कथा के सफल आयोजन के लिए आयोजन समिति के त्यागमूर्ति श्री चिरंजीपुरी जी महाराज, गंगा बिशन गुप्ता, इंद्रेश कुमार, नवीन जिंदल, डॉ. सुशील गुप्ता, राजेश गोयल, सुभाष बिंदल, देशराज सिंगला, जय किशन गुप्ता, सतीश तायल, प्रेम चंद गर्ग, श्रीमती सविता गुप्ता, आई.सी. बंसल, डॉ. विरेंद्र गर्ग, मांगेराम बिंदल, प्रीतिपाल गुप्ता, हिमांशु अग्रवाल, सतीश अग्रवाल, दरवेश बंसल, धर्मपाल गोयल, हरिमोहन गर्ग, नरेंद्र बिंदल, सुनील कुमार गोयल, टी. आर. मित्तल, कृष्ण कुमार गोयल, महावीर गोयल, रघुबीर चंद गर्ग, अशोक गोयल, सुरेंद्र कंसल, अमित अग्रवाल, डॉ. रवि गर्ग मेहमिया, मधुसूदन मित्तल, रघुवीर गर्ग, रामानंद बिंदल, भरत मंगला, मित्रसेन गुप्ता, नरेंद्र गर्ग, रामभज बंसल,सुरेंद्र कुमार वशिष्ठ, सुरेश तायल, प्रवीण बंसल, अंकुश गोयल एवं सीए आनंद जैन सक्रिय हैं।
रिद्धि-सिद्धि का प्रतीक है कलश : महामण्डलेश्वर 1008 स्वामी विद्या गिरी जी महाराज।
संत महामण्डल की पूर्व अध्यक्ष एवं अनेक राज्यों में स्थापित मठ, मंदिर, आश्रमों की परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर 1008 स्वामी विद्या गिरी जी महाराज ने बताया कि भारतीय संस्कृति में कलश बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें सभी देव शक्तियों का वास एवं विश्व ब्रम्हांण्ड का प्रतीक माना जाता है। कलश के जल जैसी शीतलता एवं कलश जैसी पात्रता अनादि काल से मातृ शक्ति के ह्रदय में मानी जाती रही है। नारी का हृदय दया, करुणा, ममता एवं सेवा भाव से परिपूर्ण होता है। क्षमाशीलता, गंभीरता,एवं सहनशीलत नारी शक्ति मे सबसे अधिक होती है। इसलिए देव शक्तियों को अपने मस्तक पर धारण कर सुख-सौभाग्य, समृद्धि की कामना समस्त मानव जाति के लिए सिर्फ मातृ शक्ति ही कर सकती है। यही कारण है कि धार्मिक आयोजन में कलश सिर्फ महिलाएं ही धारण करती है। कलश धारण करने वाली महिलाओं की आत्मा पवित्र हो जाती है। कलश यात्रा जिस क्षेत्र से निकलती है, वह पूरा क्षेत्र भी मंगलमय हो जाता है। कलश के ऊपर रखा नारियल मनुष्य को इस बात की शिक्षा देता है कि परिवार के मुखिया को ऊपर से सख्त और अंदर से मुलायम होना चाहिए। इससे जीवन की गाड़ी बेहतर चलती है। जिस प्रकार कलश के ऊपर रखी माला में लगा हुआ फूल महकता है उसी प्रकार मनुष्य का जीवन भी दूसरों को सुगंध देने वाला होना चाहिए।