रामगंगा मेले चौबारी में स्वच्छता पर नुक्कड़ नाटक और कवि सम्मेलन हुआ
दीपक शर्मा (संवाददाता)
बरेली : रामगंगा मेले चौबारी में जिला समारोह समिति,जिला कल्चरल एसोसिएशन,हिंदुस्तान स्काउट गाइड,कौमी एकता एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में साफ-सफाई और स्वच्छता के लिए जनता को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटकों का आयोजन किया गया साथ में खोया पाया शिविर लगाया गया। समाजसेवा के शिविर भी मेले में लगाये गए हैं।सुनील धवन, देवेन्द्र रावत के निर्देशन में नुक्कड़ नाटकों का मंचन किया गया।रवि सक्सेना ने कार्यक्रम का संचालन किया।हरजीत कौर,प्रशांत,आकाश,स्नेहा शर्मा,वंश शर्मा,वेद प्रकाश,हिमांशु सक्सेना,अलका मिश्रा,वैभव गौड़ आदि ने सहयोग किया।इसके साथ ही अखिल भारतीय संस्था राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा रोहित राकेश के संयोजन व संचालन में कवि सम्मेलन हुआ।
कवि सम्मेलन का प्रारंभ कमल सक्सेना द्वारा मां शारदे की वंदना से हुआ।
रोहित राकेश ने अपना काव्य पाठ करते हुए कुछ यूं कहा
जीवन को खुशियों की बहार दीजिए,
चौबारी मेला यह सवार दीजिए ।
आए हो यहां तो कुछ लेकर जाना है
प्यार के बदले सबको प्यार दीजिए।।
विश्वजीत निर्भय ने मां गंगा की महिमा गान करते हुए कहा
पाप हमारे सब ये गंगा हर लेती है
हमको अंदर बाहर निर्मल कर देती है
कवियत्री स्नेहा सिंह में कहा
यहां के हर हिंदू की जान सरयु के तट पर पवन धाम मेरी श्रद्धा में मेरे भगवान मैं उनको ढूंढ रही हूँ ।गीतकार कमल सक्सेना ने कहा
कितने कपड़े पहने हमने फिर भी लगते है नँगे।
भूल गये हम हर की पौड़ी भूल गये हर हर गँगे।
दर्शन देने वाली गँगा ख़ुद ही दर्शन माँग रही।
जीवन देने वाली गँगा ख़ुद ही जीवन माँग रही।
कमलकांत श्रीवास्तव ने कहा
गंगा,गाय,बेटियां तीनों एक समान ,
जिसने इनको पूजा मिल जाते भगवान
हिमांशु श्रोतीय निष्पक्ष ने गंगा का सनांतन गान करते हुए कहा
सौभाग्य सनातन की महिमा के ही हम सब अनुगामी हैं।
डुबकियाँ लगा गंगे की,
कहते हैं मुक्ति पाते पापी कामी हैं।
रिठोरा से पधारे कवि राजेश शर्मा ने कहा
मिला आशीष तो चमका मेरा घर द्वार गंगा जी
तुम्हारी ही कृपा से तो बढ़ा परिवार गंगा जी
निर्दोष कुमार ‘विन’ ने गंगा का गुणगान करते हुए कहा
निर्मल गंगा तेरी महिमा सारा जग गाता है।
दुःख पाप हरे उसके जो डुबकी लगाता है।।
हास्य व्यंग कवि भारतेंद्र सिंह अपने हाथ से व्यंग्य से श्रोताओं को हंसने पर मजबूर कर दिया उन्होंने कहा
कभी चिमटा कभी वेलन कभी फुकनी से पिटते हैं,
बड़े सौभाग्य शाली हैं वो
जो पत्नी से पिटते हैं,
हाल उन लोगों से पूछो
पिट रहे ऐरी गैरी से
हम उनसे लाख अच्छे हैं
जो अपनी से पिटते हैं।