गुरुकुल में श्रद्धा से मनाया गया स्वामी श्रद्धानन्द का 97 वां बलिदान दिवस।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
स्वामी जी के विचारों पर चलकर भारत बनेगा विकसित राष्ट्र : डाॅ. ऋषि।
कुरुक्षेत्र, 24 दिसम्बर : गुरुकुल कुरुक्षेत्र के संस्थापक एवं महान् शिक्षाविद् स्वामी श्रद्धानन्द जी का 97 वां बलिदान दिवस बड़े श्रद्धाभाव से मनाया गया। समारोह में स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज इन टीचर एजुकेशन हरियाणा के डायरेक्टर डाॅ. ऋषि गोयल बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे तथा विख्यात वैदिक विद्वान् संत विदेह योगी जी मुख्य वक्ता रहे। गुरुकुल में पहुंचने पर प्रधान राजकुमार गर्ग, निदेशक ब्रिगेडियर डाॅ. प्रवीण कुमार एवं प्राचार्य सूबे प्रताप ने अतिथियों का अभिनन्दन किया। मंच का सफल संचालन रवि शास्त्री द्वारा किया गया।
सर्वप्रथम डायरेक्टर डाॅ. प्रवीण कुमार ने स्वामी श्रद्धानन्द जी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति को पुनः स्थापित करने में उनके योगदान पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने सभी अभिभावकों का समारोह में पहुंचने पर आभार व्यक्त किया और छात्रों की उपलब्धियां सांझा की।
डाॅ. ऋषि गोयल ने कहा कि केवल आधुनिक शिक्षा एवं टेक्नाॅलोजी तथा अत्यधिक धन-सम्पदा से कोई भारत विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता है बल्कि वैदिक संस्कृति को अपने जीवन में आत्मसात करने वाले स्वामी श्रद्धानन्द जी जैसे महापुरुषों के जीवन मूल्यों, उनके सद्विचारों और उनके बताए मार्ग पर चलकर ही भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना साकार हो सकता है। अंग्रेजी सभ्यता और शिक्षा पद्धति का प्रबल विरोध करते हुए स्वामी श्रद्धानन्द ने अंग्रेजी अफसर साइमंड को दो टूक कहा था कि हम अंग्रेजी परम्परा की ओर नहीं अपितु वैदिक संस्कृति और विचारों को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने सर्वप्रथम जालंधर में पाठशाला खोली और सबसे पहले अपने दो बेटों को उसमें प्रवेश दिया।
मुख्य वक्ता संत विदेह योगी ने दृढ़ संकल्प शक्ति के बल पर स्वामी श्रद्धानन्द ने वैदिक संस्कृति को न केवल नई पहचान दिलाई अपितु आर्य समाज के प्रचार-प्रसार हेतु गुरुकुल कुरुक्षेत्र, गुरुकुल कांगड़ी, गुरुकुल इन्द्रप्रस्थ, गुरुकुल सूपा जैसे प्राचीन शिक्षा प्रणाली के आधार स्तम्भों की स्थापना कर शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया। उन्होंने कहा कि उनके हाथों से स्थापित ये संस्थाएं आज भी अनेक युवाओं का जीवन- निर्माण कर देश को समर्पित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यदि गुरुकुल न होंगे तो युवाओं को अपनी वैदिक परम्परा और संस्कृत का ज्ञान नहीं होगा। गुरुकुल इन्द्रप्रस्थ में तो अंग्रेजी हुकुमत ने सर्च आप्रेशन चलाकर ब्रह्मचारियों के शारीरिक सौष्ठव का अद्भुत प्रदर्शन देखा था।
समारोह में गुरुकुल के ब्रह्मचारियों ने स्वामी श्रद्धानन्द के जीवन पर संस्कृत, हिन्दी और अंग्रेजी में भाषण सहित समूहगान तथा योगासन, जिम्नास्टिक, मल्लखम्भ की शानदार प्रस्तुतियां दीं। इस अवसर पर बाल सभा के दौरान विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया। अन्त में गुरुकुल प्रबंधन समिति द्वारा मुख्य अतिथि डाॅ. ऋषि गोयल एवं मुख्य वक्ता संत विदेह योगी को स्मृति-चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।