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सहारा कॉम्प्रिहेंसिव स्कूल में पारंपरिक उल्लास और सांस्कृतिक गरिमा के साथ मनाया गया “तीज महोत्सव”

कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 25 जुलाई : सहारा कॉम्प्रिहेन्सिव स्कूल में आज तीज महोत्सव का आयोजन अत्यंत गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। यह आयोजन विद्यालय के उन प्रयासों का प्रत्यक्ष प्रमाण था, जिनका उद्देश्य छात्रों को केवल अकादमिक उत्कृष्टता ही नहीं, बल्कि संस्कृति, मूल्य और विरासत से जोड़ना भी है। ब्लूमर्स से कक्षा आठवीं तक के छात्रों ने पारंपरिक परिधानों में सज-धजकर उत्सव में भाग लिया। विद्यालय परिसर को रंग-बिरंगी सजावट, पारंपरिक झूलों और लोकधुनों से जीवंत किया गया था। इस दौरान विद्यालय प्रांगण में करवाई गई अनेक गतिविधियों में पारंपरिक मेहंदी कला,लोकनृत्य प्रस्तुतियाँ,पारंपरिक रूप से सजाए गए झूले आकर्षण का मुख्य केंद्र रहे। इस दौरान बच्चों में आत्मविश्वास, सौंदर्यबोध और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की झलक दिखाई दी। माननीय बी•के• चावला (डायरेक्टर,एकेडमिक्स) ने अपने वक्तव्य में कहा कि तीज का पर्व भारतीय संस्कृति की उस मधुर परंपरा का प्रतीक है जो नारी शक्ति, समर्पण, प्रेम और तपस्या को आदरपूर्वक सम्मान देती है। यह पर्व विशेष रूप से महिलाओं के लिए सौभाग्य, सुख-समृद्धि और पारिवारिक मंगलकामना का संदेश लेकर आता है और संस्कारों से समृद्ध शिक्षा ही विद्यार्थियों को पूर्णता की ओर ले जाती है। इस दौरान नन्हे छात्रों की प्रस्तुतियों ने सबका मन मोहा। बच्चों की प्रस्तुतियाँ न केवल मनोरंजक थीं बल्कि उनमें हमारी परंपरा और आत्मा की गूँज स्पष्ट थी।माननीय श्री वी.के. धवन (डिप्टी डायरेक्टर) ने अपने वक्तव्य में कहा कि ऐसे आयोजन बच्चों के भीतर सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक मूल्यों का निर्माण करते हैं। तीज के झूलों की रफ़्तार में छिपा वो संतुलन है जो जीवन की ऊँच-नीच को सहजता से स्वीकारना सिखाता है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि परंपराएँ बोझ नहीं होतीं, वे हमारी जड़ें होती हैं जो हमें ज़मीन से जोड़े रखती हैं। हमारी परंपराओं से जुड़ाव ही विद्यार्थियों को जीवन में जड़ से मजबूत बनाता है। विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती सुलेखा सिंह ने कहा कि तीज महोत्सव बच्चों के लिए केवल एक उत्सव नहीं बल्कि एक अनुभव था, जहाँ उन्होंने परंपरा को महसूस किया, सीखा और उत्साहपूर्वक अपनाया।कार्यक्रम में प्रबंधन समिति के सदस्य भी ससम्मान उपस्थित रहे जिनकी उपस्थिति ने आयोजन को और अधिक गरिमा प्रदान की। सभी ने विद्यालय की सांस्कृतिक पहल की मुक्तकंठ से सराहना की और भविष्य में भी ऐसे आयोजनों को प्रोत्साहित करने का आश्वासन दिया।कार्यक्रम का समापन तालियों की गूँज और मुस्कुराते चेहरों के साथ हुआ। यह दिन बच्चों के लिए एक संवेदनात्मक, सांस्कृतिक और आनंददायक स्मृति बनकर हमेशा के लिए अंकित हो गया।

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