रत्नावली में झलका रसिया का रंग,दर्शक झूम उठे लोकनृत्य की थाप पर

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
संवाददाता – उमेश गर्ग।
छाया – पूनम गर्ग।

कुरुक्षेत्र, 30 अक्टूबर : रत्नावली उत्सव के तीसरे दिन आयोजित ग्रुप डांस रसिया की प्रस्तुति ने दर्शकों को पूरी तरह मंत्रमुग्ध कर दिया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में कार्यक्रम शुरू होते ही माहौल उत्साह और उमंग से भर गया। सीटें पूरी तरह भर गईं और दर्शक खड़े होकर कलाकारों की शानदार प्रस्तुतियों का आनंद लेते नजर आए।
इस प्रतियोगिता में एनआईएलएम यूनिवर्सिटी कैथल, केयू कैंपस कुरुक्षेत्र, श्री विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी पलवल, आरकेएसडी पीजी कॉलेज कैथल, और एसडी पीजी कॉलेज की टीमों ने भाग लिया। प्रत्येक टीम ने अपने अनूठे लोकनृत्यों और रसिया थीम पर आधारित नाटकीय प्रस्तुतियों से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत केयू कैंपस की टीम ने जबरदस्त प्रदर्शन से की। मंच पर गेंदे के फूल उड़ते हुए दिखाई दिए और गीत की पंक्तियाँ “मैं उड़ जाऊँ बनके पतंग, के रसिया होरी मैं” पर कलाकारों ने दमदार नृत्य प्रस्तुत किया। टीम ने लोकनृत्य ‘होली’ और ‘गागिन डांस’ को ठेठ हरियाणवी ताल पर पिरोते हुए सबका मन जीत लिया।
इसके बाद श्री विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी, पलवल की टीम ने “अंखियों में सुरमा लारे, चुनर में चढ़े सितार” गीत पर उन्होंने अपनी रसिया शैली में ऐसी प्रस्तुति दी कि दर्शक तालियाँ बजाने पर मजबूर हो गए।
आरकेएसडी कॉलेज की टीम ने पीले और नारंगी वस्त्रों में पारंपरिक लोक शैली में ‘देवर-भाभी’ के मस्ती भरे रिश्ते को मंच पर नाटकीय अंदाज में पेश किया। उनकी प्रस्तुति “आज ब्रिज में, होगी रे रसिया” गीत पर प्रस्तुति उत्साह और जोश से भरपूर रही। एसडी पीजी कॉलेज के कलाकारों ने शक्तिशाली आवाज और जोशीले नृत्य से ऐसा समां बाँधा कि पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
 
				 
					 
					



