सीमांचल में रेलवे के विकास में तीन पूर्व केंद्रीय मंत्री के योगदान को भुलाया नही जा सकता
अररिया
सीमांचल में रेल के विकास में तीन पूर्व केंद्रीय मंत्री के योगदान को भुलाया नही जा सकता।अररिया के पूर्व सांसद व बिहार सरकार के पूर्व राजस्व व भूमि सुधार मंत्री सरफराज आलम ने कहा कि सीमांचल के अररिया में रेलवे के विकास में पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री सीमांचल गांधी स्व तस्लीम उद्दीन के योगदान को भुलाया नही जा सकता।उन्होंने कहा कि जिले में रेलवे का जो भी अधूरा काम शुरू हुआ है वो सीमांचल गांधी के सोच और प्रयास के कारण आज साकार हो रहा है।सरफराज ने कहा कि तत्वकालीन रेल मंत्री लालू यादव से मिलकर तस्लीमुद्दीन ने अररिया गलगलिया रेल लाइन को पास कराया था ।साथ ही अररिया सुपौल रेल मार्ग ,किशनगंज जलालगढ़ रेल प्रोजेक्ट स्व तस्लीम उद्दीन के द्वारा पास कराया गया था ।सभी प्रोजेक्ट का शिलान्यास भी उन्ही के कार्यकाल में हुआ था।किशनगंज के ठाकुरगंज में गलगलिया और रानीगंज में अररिया सुपौल रेल लाइन और किशनगंज में किशनगंज जलालगढ़ रेल लाइन का शिलान्यास किया गया था।अधिकांश रेल प्रोजेक्ट के लिए राशि भी उपलब्ध कराया गया था लेकिन काम नही हो पाया ।लेकिन काफी विलंब के बाद उसी अधूरे रेल प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ है।ये तस्लीमुद्दीन का सीमांचल के विकास का ड्रीम प्रोजेक्ट था।इतना ही नही जोगबनी से दिल्ली सीमांचल एक्सप्रेस और जोगबनी से चितपुर कलकत्ता एक्सप्रेस भी स्व तस्लीम साहब के अथक प्रयास से चालू हुआ ।जो इस पूरे सीमांचल के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।जबकि अररिया व फ़ारबिसगंज के पूर्व विधायक जाकिर अनवर बैराग ने कहा कि अररिया के खवासपुर में रेल मिट्टी भराई के कार्य का शिलान्यास सांसद प्रदीप सिंह द्वारा कराया गया ।निश्चित रूप से ये स्वागत योग्य कदम है और उमीद है जल्द ही ये रेल लाइन बनकर तैयार भी हो जाएगा ।लेकिन ऐसे शिलान्यास के मौके पर जिनका इस प्रोजेक्ट में ऐतिहासिक सोच और प्रयास रहा है।उनके योगदान को साफ भुला देना संक्रिन मानसिकता है।जाकिर अनवर ने कहा सीमांचल में रेल के विकास में पूर्व रेल मंत्री स्व ललित नारायण मिश्रा ,पूर्व केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री व रेलवे बोर्ड के चेयरमैन स्व डूमर लाल बैठा और पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री सीमांचल गांधी स्व तस्लीम उद्दीन के योगदान की चर्चा नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है।जाकिर ने कहा कि स्व तस्लीम साहब के सोच और अथक प्रयास का नतीजा है कि आज तमाम अधूरे प्रोजेक्ट साकार होते दिख रहे हैं।लेकिन अफसोस कि बात है कि कुछ लोग नाखून कटाकर शहीदों में नाम दर्ज कराना चाहते हैं जिसे अररिया की जनता बेहतर से समझती है।