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मानसिक स्थिरता व सकारात्मक सोच से ही विद्यार्थियों का व्यक्तित्व निखरता है : डॉ. वीरेन्द्र पाल

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, ब्यूरो चीफ – संजीव कुमारी, दूरभाष – 9416191877

कुवि में बाल दिवस पर आर्ट ऑफ लिविंग कार्यशाला का भव्य प्रमाणपत्र वितरण समारोह।

कुरुक्षेत्र, 14 नवंबर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में बाल दिवस के उपलक्ष्य में द आर्ट ऑफ लिविंग के सहयोग से फैकल्टी लॉन्ज में आर्ट ऑफ लिविंग कार्यशाला के प्रमाणपत्र वितरण समारोह का भव्य आयोजन किया। इस कार्यक्रम में 120 से अधिक विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों में मानसिक स्वास्थ्य, भावनात्मक मजबूती, आत्म-जागरूकता और सकारात्मक जीवनशैली को बढ़ावा देना था।
समारोह के मुख्य अतिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ले. (डॉ.) वीरेंद्र पाल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज की तेज़ रफ्तार दुनिया में मानसिक स्थिरता, भावनात्मक संतुलन और अनुशासन सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी तभी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं, जब उनका मन शांत, केंद्रित और सकारात्मक हो। उन्होंने कहा कि “आर्ट ऑफ लिविंग जैसी कार्यशालाएँ केवल योग या ध्यान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये विद्यार्थियों को जीवन को समझने, तनाव का सामना करने और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की कला सिखाती हैं। विश्वविद्यालय सदैव ऐसे कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करता रहेगा जो हमारे युवाओं में चरित्र निर्माण, नेतृत्व क्षमता और मानसिक दृढ़ता विकसित करें।” ले. (डॉ.) वीरेंद्र पाल ने विद्यार्थियों को अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने, रोज़ाना ध्यान एवं श्वास-प्रश्वास तकनीकों का अभ्यास करने, और एक अनुशासित जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा दी।
आईआईएचएस की प्राचार्या प्रो. रीटा दलाल ने विद्यार्थियों को ध्यान और मेडिटेशन के अभ्यासों को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की प्रेरणा दी। डॉ. मंजू नरवाल ने कार्यशाला की गतिविधियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि ये तकनीकें विद्यार्थियों में तनाव कम करने, एकाग्रता बढ़ाने और भावनात्मक संतुलन विकसित करने में अत्यंत सहायक सिद्ध हुई हैं।
शुचिका बत्रा ने कार्यशाला की संरचना, पंजीकरण प्रक्रिया और विद्यार्थियों में आए सकारात्मक बदलावों जैसे आत्मविश्वास, मानसिक स्पष्टता, और भावनात्मक स्थिरता के बारे में बताया।
कार्यशाला में भाग लेने वाले विद्यार्थियों रोहित शर्मा, परिनिता यादव, स्पर्श, समृद्धि और दक्ष ने बताया कि इस कार्यक्रम ने उनके जीवन में उल्लेखनीय परिवर्तन लाए हैं। उन्होंने कहा कि ध्यान, प्राणायाम और सकारात्मक सोच ने उनके भीतर आत्म- जागरूकता, शांत मन और जीवन के प्रति नई ऊर्जा पैदा की है। समारोह का समापन डॉ. विनोद कुमार द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने मुख्य अतिथि, सभी संकाय सदस्यों, समन्वयकों और विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर प्रो. विनोद कुमार (डीन एवं चेयरमैन, गणित विभाग), प्रो. रीटा दलाल, डॉ. वंदना भाटिया, शुचिका बत्रा (स्टेट कोऑर्डिनेटर, हरियाणा), डॉ. मंजू नरवाल, कंचन सेठ, मुकेश बत्रा और हर्ष सैनी, प्रो. कुसुम लता, प्रो. सुनीता दलाल, डॉ. मधुदीप, डॉ. जसविंदर, डॉ. रजनी गोयल और अनु सहित आर्ट ऑफ लिविंग के वरिष्ठ प्रतिनिधि विशेष तौर पर उपस्थित रहे।

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