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गुरुभक्ति-मानव जीवन का वास्तविक आधार, जिससे मानव जीवन सफल होता है

(पंजाब) फिरोजपुर 05 अक्टूबर [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]=

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के स्थानीय आश्रम में आध्यात्मिक प्रवचनों का आयोजन किया गया। संस्थान के संस्थापक एवं संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या साध्वी सुश्री करमाली भारती जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपराओं में गुरुभक्ति को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। मानव जीवन में गुरु का महत्व अनंत है। जिस प्रकार अंधकार में दीपक मार्ग दिखाता है, उसी प्रकार गुरु अज्ञान रूपी अंधकार में ज्ञान का प्रकाश प्रज्वलित करते हैं। माता-पिता शरीर को जन्म देते हैं, लेकिन गुरु आध्यात्मिक जन्म देकर जीवन को सत्य पथ पर अग्रसर करते हैं।
संत कबीर साहिब ने गुरु की महिमा दर्शाते हुए कहा है:

“गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।”
“बलिहारी गुरु आपने,जिन गोविंद दियो मिलाए।”

इसका अर्थ है कि यदि गुरु और ईश्वर एक साथ खड़े हों, तो सबसे पहले गुरु के चरणों में प्रणाम करना चाहिए, क्योंकि गुरु ही हमें ईश्वर से मिलाने की क्षमता रखते हैं।
साध्वी जी ने अपने विचारों में आगे बताया कि गुरु भक्ति केवल गुरु के चरणों में प्रार्थना करने का नाम नहीं है, बल्कि गुरु की शिक्षाओं को जीवन में उतारना ही वास्तविक गुरु भक्ति है। गुरु की शिक्षाएँ मनुष्य को सत्य, विनम्रता, प्रेम, करुणा और सेवा के मार्ग पर ले जाती हैं। गुरु हमारे भीतर के अहंकार को तोड़कर हमें सत्य से जोड़ते हैं।
गुरु के साथियों ने भी कहा है कि गुरु के बिना जीवन नीरस है। गुरु मनुष्य को उस असली खजाने से जोड़ते हैं, जो धन-दौलत में नहीं, बल्कि ध्यान, भक्ति और गुरु की सेवा में मिलता है।
उन्होंने कहा कि आज के युग में जहाँ मनुष्य भौतिकवाद के जाल में फँसकर भीतर गुरु की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। गुरु का मार्गदर्शन हमारे मन को शांति देता है, जीवन को संतुलित करता है और समाज को अच्छाई के रंगों से भर देता है। गुरु की शिक्षाएँ ही वह प्रकाश हैं जो हमें ईश्वर से जोड़ सकती हैं।
साध्वी करमाली भारती जी ने कहा कि अब प्रश्न यह है कि भक्ति की शुरुआत कैसे हो? अतः हमें एक पूर्ण द्रष्टा, पूर्ण सतगुरु की आवश्यकता है जो हमें ब्रह्म ज्ञान के माध्यम से शाश्वत भक्ति प्रदान कर ईश्वर के दर्शन करा सकें। वह ब्रह्म ज्ञान जिसका उल्लेख हमारे धार्मिक शास्त्रों में जगह-जगह मिलता है।
तो आइए हम सभी ऐसे पूर्ण सतगुरु की शरण में जाएँ और गुरु भक्ति को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाएँ। आइए गुरु की शरण में आकर अपने मन को शुद्ध करें, अपने कर्मों को पवित्र बनाएँ और समाज को एक सच्चा, प्रेमपूर्ण और आध्यात्मिक मार्ग दिखाएँ। गुरु भक्ति ही जीवन का वास्तविक आधार है, जिससे मानव जीवन सफल होता है। कार्यक्रम के दौरान साध्वी सुनीता भारती जी ने भजन कीर्तन गाए।

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