भारतीय संस्कृति का उत्थान व विकास संस्कृत भाषा में निहितः प्रो. सोमनाथ सचदेवा

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

कुवि के संस्कृत- पालि- प्राकृत विभाग तथा महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में हरियाणा संस्कृत गौरव सम्मान समारोह आयोजित।

कुरुक्षेत्र, 3 अप्रैल : महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत-पालि-प्राकृत विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में बुधवार को केयू सीनेट हॉल में हरियाणा संस्कृत गौरव सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस सम्मान समारोह के सम्माननीय विद्वान प्रोफेसर भीम सिंह, कुवि के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष तथा पूर्व अधिष्ठाता प्राच्य विद्या संकाय एवं महाविद्यालय थे।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने प्रो. भीम सिंह को बधाई देते हुए कहा कि उनका जीवन सभी के लिए प्रेरणास्पद है। भारतीय संस्कृति का उत्थान व विकास संस्कृत भाषा में निहित है। उन्होंने कहा कि संस्कृत का अध्ययन किये बिना भारतीय संस्कृति का पूर्ण ज्ञान कभी सम्भव नहीं है। अनेक प्राचीन एवं अर्वाचीन भाषाओं की यह जननी है। मुख्य वक्ता प्रो मान सिंह, पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष तथा पूर्व अधिष्ठाता प्राच्य विद्या संकाय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने प्रो भीम सिंह के महान व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और संस्कृत क्षेत्र मे उनके योगदान के लिए उन्हें आधुनिक संस्कृत मनीषी कहा। वर्तमान संस्कृत जगत में अभिनव पतंजलि नाम से विख्यात प्रो. भीम सिंह ने इस सम्मान के लिए आयोजकों का आभार प्रकट किय।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. रमेश चंद्र भारद्वाज, कुलपति महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय, कैथल ने की। उन्होंने प्रो. भीम सिंह को संस्कृत ग्रंथो की संरक्षण एवं संवर्धन परंपरा का मनीषी बताया। इस अवसर पर प्रो. भीम सिंह के महाभाष्य व्याख्या के 8 वें भाग का विमोचन किया गया। तथा उनके संदर्भ में संस्कृत के प्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा कही गई प्रशस्ति भी प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम के प्रारंभ मे विभागाध्यक्षा प्रोफेसर कृष्णा देवी ने सभी विद्वानों का स्वागत एवं अभिनंदन किया।
इस अवसर पर संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल के कुलसचिव डॉ. बृज पाल, सह आचार्य डॉ जगत नारायण, सहायक आचार्य तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग सहित अनेक विभागों के पूर्व अध्यक्ष एवं आचार्य प्रो. भाग सिंह बोदला, प्रो. विभा अग्रवाल, प्रो, ललित कुमार गौड़, प्रो. अनामिका गिरधर, प्रो. मंगल सिंह, प्रो. आरके देशवाल, परीक्षा नियंत्रक डॉ. हुकम सिंह, डॉ. चित्त रंजन दयाल कौशल, डॉ. राम भगत लांगयान, डॉ. काम देव झा, डॉ. हरीश रंगा तथा संस्कृत विभाग के सभी सहायक आचार्य एवं छात्र उपस्थित थे।

भारतीय संस्कृति का उत्थान व विकास संस्कृत भाषा में निहितः प्रो. सोमनाथ सचदेवा।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

कुवि के संस्कृत- पालि- प्राकृत विभाग तथा महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में हरियाणा संस्कृत गौरव सम्मान समारोह आयोजित।

कुरुक्षेत्र, 3 अप्रैल : महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत-पालि-प्राकृत विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में बुधवार को केयू सीनेट हॉल में हरियाणा संस्कृत गौरव सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस सम्मान समारोह के सम्माननीय विद्वान प्रोफेसर भीम सिंह, कुवि के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष तथा पूर्व अधिष्ठाता प्राच्य विद्या संकाय एवं महाविद्यालय थे।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने प्रो. भीम सिंह को बधाई देते हुए कहा कि उनका जीवन सभी के लिए प्रेरणास्पद है। भारतीय संस्कृति का उत्थान व विकास संस्कृत भाषा में निहित है। उन्होंने कहा कि संस्कृत का अध्ययन किये बिना भारतीय संस्कृति का पूर्ण ज्ञान कभी सम्भव नहीं है। अनेक प्राचीन एवं अर्वाचीन भाषाओं की यह जननी है। मुख्य वक्ता प्रो मान सिंह, पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष तथा पूर्व अधिष्ठाता प्राच्य विद्या संकाय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने प्रो भीम सिंह के महान व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और संस्कृत क्षेत्र मे उनके योगदान के लिए उन्हें आधुनिक संस्कृत मनीषी कहा। वर्तमान संस्कृत जगत में अभिनव पतंजलि नाम से विख्यात प्रो. भीम सिंह ने इस सम्मान के लिए आयोजकों का आभार प्रकट किय।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. रमेश चंद्र भारद्वाज, कुलपति महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय, कैथल ने की। उन्होंने प्रो. भीम सिंह को संस्कृत ग्रंथो की संरक्षण एवं संवर्धन परंपरा का मनीषी बताया। इस अवसर पर प्रो. भीम सिंह के महाभाष्य व्याख्या के 8 वें भाग का विमोचन किया गया। तथा उनके संदर्भ में संस्कृत के प्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा कही गई प्रशस्ति भी प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम के प्रारंभ मे विभागाध्यक्षा प्रोफेसर कृष्णा देवी ने सभी विद्वानों का स्वागत एवं अभिनंदन किया।
इस अवसर पर संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल के कुलसचिव डॉ. बृज पाल, सह आचार्य डॉ जगत नारायण, सहायक आचार्य तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग सहित अनेक विभागों के पूर्व अध्यक्ष एवं आचार्य प्रो. भाग सिंह बोदला, प्रो. विभा अग्रवाल, प्रो, ललित कुमार गौड़, प्रो. अनामिका गिरधर, प्रो. मंगल सिंह, प्रो. आरके देशवाल, परीक्षा नियंत्रक डॉ. हुकम सिंह, डॉ. चित्त रंजन दयाल कौशल, डॉ. राम भगत लांगयान, डॉ. काम देव झा, डॉ. हरीश रंगा तथा संस्कृत विभाग के सभी सहायक आचार्य एवं छात्र उपस्थित थे।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

कुवि के संस्कृत- पालि- प्राकृत विभाग तथा महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में हरियाणा संस्कृत गौरव सम्मान समारोह आयोजित।

कुरुक्षेत्र, 3 अप्रैल : महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत-पालि-प्राकृत विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में बुधवार को केयू सीनेट हॉल में हरियाणा संस्कृत गौरव सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस सम्मान समारोह के सम्माननीय विद्वान प्रोफेसर भीम सिंह, कुवि के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष तथा पूर्व अधिष्ठाता प्राच्य विद्या संकाय एवं महाविद्यालय थे।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने प्रो. भीम सिंह को बधाई देते हुए कहा कि उनका जीवन सभी के लिए प्रेरणास्पद है। भारतीय संस्कृति का उत्थान व विकास संस्कृत भाषा में निहित है। उन्होंने कहा कि संस्कृत का अध्ययन किये बिना भारतीय संस्कृति का पूर्ण ज्ञान कभी सम्भव नहीं है। अनेक प्राचीन एवं अर्वाचीन भाषाओं की यह जननी है। मुख्य वक्ता प्रो मान सिंह, पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष तथा पूर्व अधिष्ठाता प्राच्य विद्या संकाय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने प्रो भीम सिंह के महान व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और संस्कृत क्षेत्र मे उनके योगदान के लिए उन्हें आधुनिक संस्कृत मनीषी कहा। वर्तमान संस्कृत जगत में अभिनव पतंजलि नाम से विख्यात प्रो. भीम सिंह ने इस सम्मान के लिए आयोजकों का आभार प्रकट किय।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. रमेश चंद्र भारद्वाज, कुलपति महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय, कैथल ने की। उन्होंने प्रो. भीम सिंह को संस्कृत ग्रंथो की संरक्षण एवं संवर्धन परंपरा का मनीषी बताया। इस अवसर पर प्रो. भीम सिंह के महाभाष्य व्याख्या के 8 वें भाग का विमोचन किया गया। तथा उनके संदर्भ में संस्कृत के प्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा कही गई प्रशस्ति भी प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम के प्रारंभ मे विभागाध्यक्षा प्रोफेसर कृष्णा देवी ने सभी विद्वानों का स्वागत एवं अभिनंदन किया।
इस अवसर पर संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल के कुलसचिव डॉ. बृज पाल, सह आचार्य डॉ जगत नारायण, सहायक आचार्य तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग सहित अनेक विभागों के पूर्व अध्यक्ष एवं आचार्य प्रो. भाग सिंह बोदला, प्रो. विभा अग्रवाल, प्रो, ललित कुमार गौड़, प्रो. अनामिका गिरधर, प्रो. मंगल सिंह, प्रो. आरके देशवाल, परीक्षा नियंत्रक डॉ. हुकम सिंह, डॉ. चित्त रंजन दयाल कौशल, डॉ. राम भगत लांगयान, डॉ. काम देव झा, डॉ. हरीश रंगा तथा संस्कृत विभाग के सभी सहायक आचार्य एवं छात्र उपस्थित थे।

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