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फिरोजपुर 01 अप्रैल {कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता}=
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा श्री हरकिशन गार्डन जलालाबाद में सात दिवसीय श्री राम कथा का भव्य आयोजन किया गया। कथा का शुभारम्भ विधिवध पूजन से किया गया जिसमें
डॉ श्याम जुनेजा ,विजय कुमार रहेजा ने परिवार सहित हिस्सा लिया।
भारतीय संस्कृति के तहत दीप
प्रज्वलित विकास चौधरी(प्रधान नगर कौंसल जलालाबाद)
मदन लाल गुम्बर, केवल कृष्ण मिड्ढा, राकेश मिड्ढा जी के ओर से किया गया।
श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री सौम्या भारती जी ने बताया कि रामायण एक विलक्षण व दिव्यता से परिपूर्ण ग्रंथ है। जिसकी कथा मानव जाति को सुख समृद्धि व आनंद देने वाली है । क्योंकि भगवान राम कल्याण में सुख के मूल स्रोत है जो संपूर्ण विधाओं के ईश्वर समस्त भूतों के अधिश्वर ब्रह्मदेव के अधिपति तथा साक्षात परमात्मा है जो समस्त जीवों को आत्मज्ञान देकर ईश्वर से जुड़ने की कला सिखाते हैं । उन्होंने बताया कि भगवान राम की कथा में गोता लगाने से मानव को प्रभु की प्राप्ति होती है।
लेकिन कथा सुनने में ओर उसमें उतारने में अंतर होता है। सुनना तो सहज है लेकिन इसमें उतरने की कला हमें केवल एक संत ही सिखा सकता है, जिसको भी संत का सानिध्य मिला तो वह राम धाम का अनुगामी बना । हमारे समस्त वेद, शास्त्र सत्संग की महिमा का व्याख्यान अनेकों प्रकार से करते हैं एक घड़ी के सत्संग की तुलना स्वर्ग की समस्त संपदा से की गई है। संत की कृपा से लंकिनी के जीवन में आमूल चूल परिवर्तन हो गया। संत के चरणों का प्रताप ही ऐसा है कि अहिल्या शबरी जैसे भक्त इसे प्राप्त कर सहज ही भवसागर से पर हो गए । संत के संग से ही मरुस्थल जीवन में बाहर आ जाती है। नीरस जीवन सरस बन जाता है विकारों से परिपूर्ण हृदय ऐश्वर्या भक्ति से भर जाता है।
भगवान शिव भी सत्संग का महत्व मां पर पार्वती को बताते हुए कहते हैं कि उसकी विद्या ,धन, बल, भाग्य सब कुछ निरर्थक है , जिसके जीवन में संत की प्राप्ति नहीं हुई। परंतु वास्तव में सत्संग कहते किसे है सत्य और संग दो शब्दों के मेल से मिलकर बना है यह शब्द हमें सत्य यानि परमात्मा और संग अर्थात मिलन की ओर अवगत करता है। परमात्मा से मिलन के लिए संत एक मध्यस्थ है इसलिए हमें जीवन में पूर्ण संत की खोज में अगरसर होना चाहिए जो हमारा मिलन परमात्मा से करवा दे ।
कथा में बहुत से गणमान्य सज्जन उपस्थित थे साध्वी बहनों ने सुमधुर भजनों के गायन से उपस्थित भगवत प्रेमियों को आनंद विभोर किया । प्रभु की आरती में जय गोपाल, प्रधान सर्राफा बाज़ार, श्याम लाल, जनक राज ,
राज कुमार चुग, परवीन डूमरा,
सतपाल मिड्ढा ,देस राज गांधी विशेष रूप में शामिल रहे । कथा के उपरांत सारी संगत के लिए लंगर का प्रबन्ध किया गया।