दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा का द्वितीय दिवस

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा का द्वितीय दिवस
यदि हरि जीवन रूपी नौका के आधार हैं तो गुरू उसे भवपार लगाने वाले कर्णधार हैं-साध्वी गरिमा भारती
(पंजाब) फिरोजपुर/फरीदकोट, 05 सितंबर [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]=
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा में श्री राधा कृष्ण धाम में पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथामृत का प्रवाह चल रहा है। कथा के दूसरे दिन का शुभारंभ विधिवत पूजन के साथ किया गया, जिसमें डॉ एनआर गुप्ता और डॉ दानिश जिंदल ने भाग लिया। कथा वाचन करते हुए हुए संस्थान के संचालक एवं संस्थापक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी गरिमा भारती ने कहा श्री कृष्ण कथा का महात्मय बहुत ही महान है। जहां एक ओर ये हमें शाश्वत शांति के साथ अवगत करवाती है, वहीं दूसरी ओर हमें जागरूक भी करती है। जागृति भाव आत्मा के स्तर पर जागरूक होना। भगवान श्री कृष्ण का तत्व रूप में दर्शन अपने ही घट अर्थात शरीर के भीतर करने से एक इंसान वास्तविक जागृति को प्राप्त होता है। क्योंकि ईश्वरीय अनुभव के अभाव में व्यक्ति सदगुणों को धारण नही कर सकता। वह परमात्मा संसार में अवतार लेकर आते है तो मात्र इस प्रयोजन से की मानव को उनके कर्म का ज्ञान करवा सके। जिसका ज्ञान मात्र विवेक दृष्टि के खुल जाने पर ही प्राप्त होता है। दिव्य दृष्टि के माध्यम से ही ईश्वर का दीदार संभव है।
आगे कथा को वांचते हुए साध्वी ने कहा कि राजस्थान की मरूभूमि पर श्री कृष्ण भक्त मीराबाई जी का जन्म हुआ। मीराबाई जी बहुआयामीय व्यक्तित्व की स्वामिनी थी। वह एक क्रांतिकारी समाज सेविका, पाखण्डों की खण्डनकर्ता, एक उच्च कोटि की कवयित्री, एक समर्पित शिष्या और इन सभी में सर्वोपरि एक महान भक्तात्मा थी। साक्षात भक्ति मीरा के रूप में देह धर कर आई थी। वे भक्ति की ऐसी रंगशाला थी कि उनके संपर्क में आने वाले बेरंग फीके ह्रदय भी दिव्य रंगों से गुलजार हो उठते थे। श्री गुरू रविदास जी द्वारा उन्होने कृष्ण तत्व का साक्षात्कार किया और उन्ही की आज्ञा से मीराबाई ने चितौड़, मेड़ता, वृंदावन, द्वारिका आदि क्षेत्रों में ब्रहज्ञान का प्रचार-प्रसार किया। गुरू की अनिवार्यता को दर्शाते हुए कहा यदि हरि जीवन रूपी नौका के आधार हैं तो गुरू उसे भवपार लगाने वाले कर्णधार हैं। ज्ञानचक्षु द्वारा उसे प्रत्यक्ष देखा जा सकता है। मीरा ने अपने गुरू रविदास जी से इस दिव्य नेत्र को प्राप्त कर कान्हा का तत्व से साक्षात्कार किया था। हम सभी भी एक पूर्ण गुरू द्वारा प्रभु के तत्व स्वरूप का साक्षात्कार कर सकते हैं।
कथा को विराम प्रभु की पावन आरती द्वारा दिया गया। आरती में डॉ राजीव सूद वाइस चांसलर बाबा फरीद यूनिवर्सिटी, डॉ अरविन्द रजिस्ट्रार बाबा फरीद यूनिवर्सिटी, डॉ संजीव गोयल, डॉ दीपक गोयल, समीर आहूजा, बाबा बलदेव दास डेरा समाधा, महंत देवेंदर दास
राजेन्द्र दास रिंकू, दर्शन लाल चुग, प्रधान लायन्स क्लब फरीदकोट, डॉ सुरजीत सिंह मल्ल, डॉ हरदीप कौर, डॉ जसविंदर कुमार गर्ग, लैक्चरार सरगम गर्ग, रवि सेठी
गगन सेठी, ओम प्रकाश गर्ग, महिंदर बंसल, सुरेंदर गेरा, तरसेम पिपलानी, राकेश मोंगा, दीपक शर्मा, मनोज जिन्दल, पण्डित गौरव जी, प्रदीप विज और योगेश गर्ग शामिल हुए।
कथा के पश्चात प्रतिदिन सारी संगत के लिए भंडारे का प्रबन्ध किया जा रहा है।