मानव जीवन में सदगुरु का होना परम् आवश्यक : जगद्गुरु बाबा बलरामदास देवाचार्य।
सेंट्रल ब्यूरो चीफ – संजीव कुमारी।
वृन्दावन ( महेश्वर गुराहाई ) : रामनगर कॉलोनी स्थित आचार्य कुटी (श्रीकृष्ण मन्दिरम्) में जगद्गुरु स्वामी रामप्रपन्नाचार्य महाराज के पावन सानिध्य में पंच दिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ प्रारम्भ हो गया है। जिसके अंतर्गत वृहद संत-विद्वत सम्मेलन का आयोजन सम्पन्न हुआ।जिसमें अपने विचार व्यक्त करते हुए पीपाद्वाराचार्य जगद्गुरु बाबा बलरामदास देवाचार्य महाराज एवं जगद्गुरु स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा कि मानव जीवन में सदगुरु का होना अति आवश्यक है। क्योंकि सदगुरु ही हमें संसार रूपी भवसागर से पार कराने का कार्य करते हैं।साथ ही हमें सद्मार्ग की राह दिखाते हैं।
श्रीराम कथा मर्मज्ञ स्वामी भानुदेवाचार्य महाराज एवम स्वामी मधुसूदनाचार्य महाराज ने कहा कि हमारे सदगुरुदेव जगद्गुरु स्वामी रामप्रपन्नाचार्य महाराज सहजता, सरलता, उदारता एवं परोपकारिता की प्रतिमूर्ति हैं।उन्होंने अपनी साधना के बल से अनेकों व्यक्तियों का कल्याण कर उन्हें धर्म के मार्ग से जोड़ने का कार्य किया है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं ब्रजभूमि कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि आचार्य कुटी आश्रम श्रीधाम वृन्दावन का गौरव है। इस आश्रम के द्वारा समूचे देश में जो धर्म व अध्यात्म का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, वो अति प्रशंसनीय है।
भागवत पीठाधीश्वर आचार्य मारुतिनंदन वागीश एवं श्रीरंगलक्ष्मी संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. रामकृपालु त्रिपाठी ने कहा कि मनुष्य के जीवन में विवेक व ज्ञान का प्रकाश उजागर करने के लिए हमें सदगुरु की आवश्यकता होती है।इसीलिए सदगुरु का पद सदैव सर्वोच्च होता है।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर नवल गिरि महाराज, महंत भरतदास भक्तमाली, महामंडलेश्वर परमेश्वरदास त्यागी, स्वामी शिवदत्त प्रपन्नाचार्य, भागवताचार्य गोपाल भैया,डॉ. राम सुदर्शन मिश्रा,आचार्य रामदत्त मिश्रा, आचार्य राजेंद्र उपाध्याय,पंडित राजनारायण द्विवेदी,डॉ. राधाकांत शर्मा, पंडित रविशंकर पाराशर (बवेले), आचार्य बद्रीश महाराज, डॉ. रमेश चंद्राचार्य महाराज (विधिशास्त्री), पंडित बिहारीलाल शास्त्री, स्वामी रामकृपालु दास भक्तमाली, महंत किशोरी शरण मुखिया, आचार्य रामकुमार दीक्षित, आचार्य नेत्रपाल शास्त्री, चैतन्य किशोर कटारे, स्वामी सत्यानंद महाराज, प्रियाशरण भक्तमाली, सौरभ गौड़,पंडित ईश्वरचंद्र रावत, पंडित अखिलेश शास्त्री,जीतू पाण्डेय, राघव गुप्ता, अनुभव गुप्ता, राजकुमार गुप्ता, संजय गुप्ता, एम. पी. सिंघल, अनिल गुप्ता (दिल्ली) आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन संत सेवानंद ब्रह्मचारी ने किया।