वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देश को भी नहीं मानतीं है थाना पुलिस,स्थानीय लोगों व खान विभाग की मिली-भगत से चल रहा अवैध मिट्टी का कारोबार

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देश को भी नहीं मानतीं है थाना पुलिस,स्थानीय लोगों व खान विभाग की मिली-भगत से चल रहा अवैध मिट्टी का कारोबार

स्थानीय लोगों से अधिकारियों के आने की मिल रही सूचनाखुफिया तंत्र भी नहीं आ रहा काम

दीपक शर्मा (संवाददाता)

बरेली : सीबीगंज,ऐसा नजर आ रहा है। कि खनन माफियाओं ने अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए अब नए तौर तरीके सीख लिए हैं, क्योंकि पहले अवैध खनन माफिया, खनन की सेटिंग करने के लिए पुलिस के खास लोगों से ताल्लुक बढाते थे, और उन ताल्लुको का जमकर फायदा उठाते थे। लेकिन उनके जग जाहिर होने के बाद इन अवैध खनन कारोबारियों का कारोबार कुछ दिनों से हल्का सा पड़ गया था। अब नये तरीके से अपना धन्धा चलाने के तौर तरीके इनके द्वारा निकाल लिए गए हैं। अब खनन माफिया जिसके यहां पर मिट्टी का भरान होना होता है उसी को आगे बढ़ा देते हैं। जमीन मालिक स्थानीय दबदबे वाले लोगों को साथ लेकर आगे बढ़कर सारी सेटिंग खुद करता है। और अपनी जमीन पर भरान इन अवैध खनन माफियाओं द्वारा करा लेता है। अपने अवैध मिट्टी बालू खनन के कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए खनन माफिया जगह जगह मेल जोल बढाते नजर आ रहे हैं। यह मेल जोल कुछ पुलिसकर्मी और समाज में खुद को समाजसेवी कहने वाले लोगों से होते हैं। जिसके बदले उनकी भी मुट्ठी गर्म की जाती है और तो और जनता के बीच के लोग भी इसमें शामिल नजर आने लगे हैं। कुछ खनन माफियाओं की तो खुली चुनौती है, कि हमारा कारोबार कोई रोक ही नही सकता। क्योंकि हम सभी की मुट्ठी गर्म करते हैं। सवाल ये है कि ऐसा दम भरने वाला खनन माफिया आखिर किसके बल पर अपने कारोबार को आगे बढ़ा रहा है। इसके जवाब ढूंढने के लिए जब सीबीगंज क्षेत्र के चन्द्पुर काजियान, सनैया रानी, जौहरपुर तिलियापुर, घुन्सा, सुंदरासि, गोविंदापुर,वोहित,परधौली , हमीरपुर बंडिया, रोठा थाना किला आदि क्षेत्रों में भ्रमण किया, तो पाया अवैध खनन सभी जगहों पर बदस्तूर जारी है। ये माफिया किसी से नहीं डरते। क्योंकि इन्हें स्थानीय स्तर पर पूरी सपोर्ट मिलती है, स्थानीय लोगों की सपोर्ट से अधिकारियों के आने-जाने की खबर वहीं पुलिस वालों के आने-जाने की खबर भी खनन माफियाओं को समय-समय पर मिलती रहती है और कारोबार फलता-फूलता रहता है। वहीं कुछ लोगों से जानकारी लेने पर पता चला की खनन करने के बाद जब मिट्टी की ट्रालियां निकलती हैं, तो रास्ते में उन्हे तिरछी निगाह से अगर कोई पुलिस कर्मी देख भी ले तो उन्हें जाने देता है। अवैध खनन माफियाओं से स्थानीय नेताओं जो कि गांव देहात में बहुत होते हैं और पुलिसकर्मियों से इनका क्या रिश्ता कहलाता है। ये तो समाज के खुद को नेता कहने वाले ये लोग और पुलिस कर्मी ही बेहतर समझते होंगे। तथा आप भी खुद समझ रहे होंगे। वैसे तो पुलिस कहती है कि खनन रोकने का काम हमारा नहीं है। इसके लिए खान अधिकारी या अवैध वाहन होने की स्थिति में आरटीओ जिम्मेदार है। और अब तो शासन की टीम में एडीएम एफ/आर तथा एसडीएम को नियुक्त किया गया है । लेकिन अभी कुछ दिन पहले ही थाना सीबीगंज पुलिस द्वारा ही एक बालू की ट्रैक्टर-ट्राली को क्षेत्र के अटरिया के पास से थाना पुलिस द्वारा ही पकड़ा गया । अब आप खुद समझ लीजिए कि पुलिस की कथनी और करनी में कितना अंतर है ? पहले तो पुलिस कहती है ,ये अवैध खनन रोकने का काम हमारा नहीं है, हमारा कोई मतलब नहीं है। दूसरी तरफ हम जब चाहेंगे तो किसी भी बालू की मिट्टी की ट्राली को पकड़ सकते हैं। अगर ऐसा नहीं है ,तो ट्रैक्टर ट्राली आज भी थाने पर ही खड़ी है, जो अवैध बालू लदी हुई है। उसे किस ने पकड़ा पुलिस खुद ही बता दे। वहीं शनिवार को क्षेत्र के सनैया रानी से अवैध खनन कर एक मिट्टी की ट्राली सुबह सवेरे निकली जिसकी सूचना किसी व्यक्ति द्वारा थाना पुलिस को दी गई तब थाना पुलिस द्वारा साफ मना कर दिया गया, यह काम हमारा नहीं है। इसके लिए खान अधिकारी व एसडीएम को बताइए। वहीं सूचना देने वाले के पास कुछ ही देर में उस व्यक्ति का फोन आ गया ,जहां पर यह मिट्टी डाली जा रही थी। एक अन्य मामले में क्षेत्र के चदपुर काजियान में मिट्टी का भरान किया जा रहा था, जिसकी सूचना स्थानीय लेखपाल को जैसे ही लगी स्थानीय लेखपाल चित्रा गंगवार मौके पर पहुंची और मिट्टी डाल रही ट्रैक्टर – ट्राली चालक से कागजी दस्तावेज मांगे उचित जवाब न देने की स्थिति में लेखपाल चित्रा गंगवार द्वारा तत्काल मिट्टी के भरान को रोक दिया गया।अब आगे इस मामले में क्या कार्रवाई होगी देखना दिलचस्प होगा।
वहीं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के जनपद के समस्त थाना पुलिस को आदेश दिए गए हैं कि किसी भी अवैध/ओवरलोड वाहन तथा अवैध बालू, मिट्टी खनन की ओवरलोड़ ट्रैक्टर -ट्रालियों को पकड़ कर तत्काल सीज कर आवश्यक विधिक कार्यवाही करने के लिए कहा गया है। लेकिन यहां तो जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर थाना पुलिस अपने वरिष्ठ अधिकारी के आदेश को चुनौती देते नजर आ रही है।

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