राष्ट्रीय मानव सेवा संस्थान द्वारा पंडित रमाबाई अंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर मनाई जयंती

राष्ट्रीय मानव सेवा संस्थान द्वारा पंडित रमाबाई अंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर मनाई जयंती

दीपक शर्मा (संवाददाता)

बरेली : राष्ट्रीय मानव सेवा संस्थान द्वारा पंडित रमाबाई अंबेडकर की कार्यालय में रमाबाई अंबेडकर के चित्र पर माला पहना कर पुष्प अर्पण कर जयंती मनाई गई जयंती के मौके पर राष्ट्रीय मानव सेवा संस्थान की राष्ट्रीय अध्यक्ष बिन्दु रमाबाई अंबेडकर की जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा माता रमाबाई अंबेडकर का जन्म 7 फरवरी 1898 को एक गरीब दलित परिवार में एक छोटे से गांव दाभोल हुआ था रमाबाई अंबेडकर को रमई या राम भी कहा जाता था और बचपन का नाम रामी था और उनके पिता का नाम भीकू धूत्रे रुक्मणी की माता थी इनके पिता कुलीगिरी का कार्य करने के कारण इनके परिवार का वर्णन पोषण बड़ी मुश्किल से होता था छोटी सी उम्र में ही माता-पिता की मृत्यु हो जाने के बाद रम और भाई-बहन सभी चाचा और मामा के साथ मुंबई आ गई रमाबाई एक प्रतिष्ठित भारतीय समाज सुधार विकास एवं सामाजिक कार्यकर्ता पर एक कवित्री, अध्यता और भारतीय महिलाओं के उत्थान की प्रबल समर्थक थी वह ब्राह्मण होकर भी एक गैर ब्राह्मण डॉ बी आर अंबेडकर से सन 1960 में विवाह किया था महिलाओं के उत्थान के लिए उन्होंने उन्होंने न सिर्फ सम्पूर्ण भारत बल्कि इंग्लैंड की भी यात्रा की रमाबाई के बारे में राष्ट्रीय महामंत्री नरेंद्र पाल ने बताया रमाबाई अंबेडकर त्याग और बलिदान की एक ऐसी मूर्ति थी जिनके बल पर डॉ. अंबेडकर देश के संचित तबके का उद्धार किया पत्नी रमाबाई के सहयोग से ही भीमराव अंबेडकर महापुरुष बन पाए बाबासाहेब भीमराव अपनी पत्नी रमा से अगाध प्रेम करते थे अति निर्धनता में भी रमाबाई बड़े संतोष और धैर्य से अपने परिवार निर्वाह किया और हर मुश्किल वक्त में उन्होंने बाबासाहेब का साहस बढ़ाया राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राकेश मौर्य ने बताया कि रमाबाई और बाबा साहब दोनों ही भाग्यशाली थे क्योंकि रमा को भी उनका जीवनसाथी बहुत ही अच्छा और साधारण मिला था वही बाबा साहब को भी रमाबाई जैसी नेक और आज्ञाकारी जीवनसाथी मिली थी भीमराव के जीवन में रमाबाई का इतना महत्व था कि यह उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक की कुछ लाइनो से पता चलता है साल 1940 में डॉक्टर अंबेडकर ने थॉट्स ऑफ़ पाकिस्तान नामक पुस्तक अपनी पत्नी को भेंट किया जिसमें लिखा था रमो उनके मन की सात्विक, मानसिक, सदाचार, सदवृति की पवित्रता व मेरे साथ कष्ट झेलने में अभाव व परेशानी के दिनों में जब मेरा कोई सहायक नहीं था सहनशीलता और सहमति दिखाने की प्रशंसा स्वप्रेम भेंट करता हूं पुस्तक भेंट रमाबाई अंबेडकर जयंती में राष्ट्रीय मानव सेवा संस्थान की राष्ट्रीय अध्यक्ष बिंदु जी, राष्ट्रीय महामंत्री नरेंद्र पाल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राकेश मौर्य, सदस्य रामकिशोर, तरुणा कपूर, चित्रा गंगवार, नीलम, रश्मि अग्रवाल, जे, आर. गुप्ता, आदि लोग मौजूद रहे ।

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