वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
विज ने कहा सरकार से बात कर निकालेंगे समाधान।
चंडीगढ़ : हरियाणा के इतिहास में अभी तक बनी सरकारों ने पत्रकारों को मात्र एक उपयोग का जरिया माना यानि वह वर्ग जिसने हर पीड़ित व्यक्ति- परिवार- समाज और क्षेत्र की आवाज को बुलंद किया, वह वर्ग जिसने कर्मचारियों की समस्याओं को अपना माना, वह वर्ग जो विपक्ष का भी मुख बना और सरकार की सरकारी योजनाओं- नीतियों और जनहित से जुड़े कार्यों को जोर-जोर से प्रसारित व प्रसारित किया, लेकिन यही वर्ग अपनी लड़ाई में हारता रहा। अपने सभी हित इस समाज के दाव पर लग रहे। अन्य वर्ग खूब संपन्न हुए, लेकिन पत्रकार समाज अपने अधिकारों से सदा वंचित होता रहा। कोरोना काल जैसी विकट परिस्थितियों में लोगों को राहत दिलवाने का काम पत्रकारों ने किया, लेकिन उस संकट के दौर में आर्थिक असंपन्नता के कारण खुद पत्रकारों को ही पर्याप्त राहत नहीं मिल पाई। कुछ पत्रकारों तथा उनके परिजनों ने इस संक्रमण के कारण अपनी जान तक भी गवाई। कथित पत्रकार हितेषी संगठन पूरी तरह से उस दौरान मूकदर्शक थे। अपने निजी हितों को सदा पत्रकारों के नाम पर साधने वाले पूरी तरह से मौन थे। उस संकट की घड़ी में वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर धरणी ने वास्तविक रूप से पत्रकार समर्पित एक मजबूत संगठन खड़ा करने का मन बनाया और कुछ वरिष्ठ साथियों से चर्चा- परिचर्चा कर तुरंत मीडिया वेलबिंग एसोसिएशन का पौधा लगा दिया गया (गठन कर दिया गया)। आज यह पौधा पूरी तरह से जवान विकसित फलदार पेड़ बन चुका है। जिसके मीठे फल पत्रकारों को खूब मिनरल्स दे रहे हैं।
संस्था कोष से पत्रकारों व उनके परिवारों को संस्था कर चुकी है 8 लाख रुपए का वितरण
एमडब्ल्यूबी के अध्यक्ष चंद्रशेखर धरणी की अथक कोशिशों वह मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सकारात्मक रवैया के चलते कई बड़ी योजनाएं पत्रकारों के लिए शुरू हुई। आज एमडब्ल्यूबी पहली ऐसी संस्था बनी है जो किसी भी पत्रकार से सदस्यता या इंश्योरेंस की एवज में कोई शुल्क नही लेती। संस्था अपने निजी कोष से अब तक अंबाला के वरिष्ठ पत्रकार अनिल कुमार को किडनी ट्रांसप्लांट व अन्य उपचार के लिए डेड लाख रुपए, यमुनानगर के पत्रकार रमेश को किडनी ट्रांसप्लांट के वक्त 1 लाख रुपये, पानीपत के दिवंगत पत्रकार देवेन्द्र शर्मा के परिवार को 50000 रुपये, रेवाड़ी के पत्रकार नरेंद्र वत्स की धर्मपत्नी के इलाज हेतु 25000 रुपये, नुहू के पत्रकार की कवरेज के दौरान हिंसा में गाड़ी जलने पर 30000 रुपए समेत लगभग 8 लाख रूपए की आर्थिक सहायता पत्रकार साथियों दे चुकी है !
पत्रकारों के सम्मान को समझा और बढ़ाया है। एमडब्ल्यूबी ने संस्था लगातार अपने वरिष्ठतम पत्रकारों के सम्मान को भी बढ़ाने का काम कर रही है। कुछ ही समय पहले राष्ट्रीय राजधानी के वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र भरतरिया के नाम पर अवार्ड शुरू करने की घोषणा भी चंद्रशेखर धरनी द्वारा की गई है। इससे पहले पत्रकारिता जगत में आयाम स्थापित करने वाले चंडीगढ़ के दिवंगत पत्रकार रमेश शर्मा की स्मृति समिति में शुरू हुआ अवार्ड सीनियर पत्रकार व संपादक यादराम बंसल को दिया गया। जो प्रतिवर्ष हरियाणा के एक पत्रकार को दिया जाएगा। इसके अलावा देशद्रोहियों से लगातार लोहा लेने वाले देश के अति वरिष्ठ पत्रकार लाला जगत नारायण के नाम पर भी अवार्ड संस्था द्वारा शुरू किया हुआ है। संस्था 80 वर्ष से ऊपर के एक्टिव पत्रकारों को भी अपने कार्यक्रमों में मुख्य अतिथियों के हाथों से सम्मानित करवाती रहती है।
एक परिवार में रहे एक से अधिक विधायक या सरकारी कर्मचारी पेंशन ले सकते हैं तो पत्रकार क्यों नहीं : धरणी।
मीडिया वेल बीइंग एसोसिएशन द्वारा हाल ही में दिवंगत पत्रकार ज्ञानेंद्र भारतरिया के पुत्र को 10 लाख रुपए का चेक प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के हाथों दिलवाया गया। यह राशि संस्था द्वारा करवाए गए बीमा की थी। उस दौरान संस्था द्वारा अनिल विज को एक मांग पत्र सोपा गया और जल्द इन समस्याओं के समाधान के लिए आवेदन किया गया। दरअसल पत्रकारों को पैंशन देने के मामले में सरकार की अधिसूचना 14 नवम्बर 2023 में एक परिवार में एक से अधिक पत्रकार को पैंशन न देने का जिक्र है। संस्था ने यह अधिसूचना सरकार से शीघ्र वापिस लेने की अपील की है। धरणी ने कहा कि अगर एक परिवार के अलग-अलग सदस्य सरकारी नौकरी से सेवानिवार्त्ति के बाद पेंशन ले सकते है। विधायकों में पति-पत्नी, पिता-पुत्र, भाई-भाई जो विधायक हैं या रहें है वह ले सकते हैं तो पत्रकारों के एक ही परिवार में रहे पत्रकार सदस्य अलग-अलग क्यों नही ? इसके साथ-साथ धरणी ने कहा कि अधिसूचना में किसी भी पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने पर पैंशन या सरकार से मिलने वाली सुविधाओं को बंद करने का उल्लेख है। सरकार इसे भी शीघ्र वापिस ले। विधायकों या जन प्रतिनिधियों के लिए जिस प्रकार 2 साल या उससे अधिक सजा होने की व्यवस्था है। उसी प्रकार की व्यवस्था पत्रकारों के लिए भी होनी चाहिए। क्योंकि एफआईआर तो फर्स्ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट है, इसको आधार न बना 2 साल या उससे अधिक सजा होने पर ही पत्रकारों के लिए इस अधिसूचना के नियम में संशोधन होना चाहिए।
वरिष्ठ अधिवक्ताओं का समूह पत्रकारों को देगा सुरक्षा का आवरण : धरणी।
बता दें कि पत्रकारों को एक सुरक्षा का आवरण प्रदान करने हेतु संस्था के अध्यक्ष चंद्रशेखर धरणी के दिशा निर्देश पर पत्रकारों को मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध करवाने हेतु कानूनी प्रकोष्ठ का भी गठन किया गया है। जिसके अध्यक्ष एडवोकेट अशोक कौशिक (पानीपत) है। इसमें एडवोकेट नवीन जागलन, सुशील कौशिक पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय भी शामिल है। इसके अलावा सुखविंदर नारा, जगदीप घणघस, संजीव जैसे वरिष्ठ अधिवक्ता भी शामिल किए गए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य पत्रकार साथियों को किसी भी प्रकार की दिक्कत आने पर कानूनी सलाह देना है।
संस्था ने विज को ज्ञापन सौंप यह भी रखी मांगे
संस्था अध्यक्ष चंद्रशेखर धरणी ने कहा कि मीडिया व उनके परिवारों के लिए कैशलेस हैल्थ सुविधा शीघ्र लागू की जाए। मीडिया वेलबिंग एसोसिएशन (रजि0) को पंचकूला में मुख्यालय बनाने व प्रेस क्लब चंडीगढ़ की तर्ज पर भवन बनाने के लिए सस्ते दाम पर 500 गज (एक कैनाल) जगह उपलब्ध करवाई जाए। साथ ही पत्रकारों के लिए सस्ते दामों पर आवासीय सुविधा उपलब्ध करवाई जाए। प्रजातन्त्र के तीन स्तम्भों की तरह को चौथे स्तंभ मीडिया को भी टोल फ्री सुविधा उपलब्ध कराई जाए। मीडिया के लिए मुफ्त मेडिकल सुविधा पूरे हरियाणा में की जाए। हरियाणा सरकार द्वारा डिजिटल मीडिया के लिए बनाए गए नियमों मेें मान्यता प्रदान करने की व्यवस्था को सरल किया जाए तथा पड़ोसी राज्य पंजाब व अन्य राज्यों की तर्ज पर संशोधन किया जाए। किसी भी वेबमीडिया का मुख्यालय चाहे हरियाणा से बाहर हो, उन्हें भी मान्यता प्रदान की जाए। हरियाणा प्रेस मान्यता कमेटी तथा प्रेस रिलेशन कमेटी का पुर्न गठन किया जाए तथा मीडिया वेलबिंग एसोसिएशन के दो दो सदस्यों को उसमें शामिल किया जाए। मासिक मैगजीन व अखबारों की बन्द की एकराडिशन व्यवस्था सुदृढ़ कर पुनः शुरू की जाए। धरणी ने इस मांग पत्र के माध्यम से मीडिया जगत की आर्थिक स्थिति को कमजोर बताते हुए सभी जिलों में 15 साल से अधिक सक्रिय पत्रकारों व उनके परिवारों के सहयोग के लिए 10 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय देने पर विचार करने, वेब/डिजिटल की एकराडिशन पॉलिसी को सरल करने तथा मुख्यालय हरियाणा से बाहिर जालन्धर, नोएडा, दिल्ली या अन्य कहीं पर है को प्रिंट मीडिया की तरह मान्यता प्रदान करने का प्रावधान करने की मांग की। हरियाणा सरकार द्वारा डिजिटल मीडिया के लिए बनाए गए नियमों मेें मान्यता प्रदान करने की व्यवस्था को सरल करने समेत इन्हें पड़ोसी राज्य पंजाब व अन्य राज्यों की तर्ज पर संशोधन करने के लिए भी कहा। इस अवसर पर एम डब्ल्यु बी उत्तर भारत के अध्यक्ष चन्द्र शेखर धरणी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष: निश्छल भटनागर, महासचिव: सुरेन्द्र मेहता, कोषाध्यक्ष: तरुण कपूर, प्रांतीय संगठन सचिव: पवन चोपड़ा, कार्यकारिणी सदस्य: दयानंद शर्मा, सुधीर तंवर, विकेश शर्मा, राजकुमार ,यमुनानगर जिलाध्यक्ष: देवीदास शारदा इत्यादि मौजूद रहे।