मुख्यमंत्री ने किसानों की बल्ले -बल्ले की,किसानों के लिए करी कई नई घोषणाएं

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
कृषि विभाग के बजट में 19
.2 प्रतिशत,बागवानी में 95.50 प्रतिशत, पशुपालन में 50.9 प्रतिशत तथा मत्स्य पालन विभाग में 144. 40 प्रतिशत बजट बढ़ा
नकली बीज व कीटनाशक बेचने वालों के खिलाफ लाएंगे बिल
नई बागवानी नीति भी बनाई जाएगी।
कुरुक्षेत्र 18 मार्च : भाजपा के जिला अध्यक्ष तिजेन्द्र सिंह गोल्डी ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किसानों के हित में अनेक नई घोषणाएं करके उनकी बल्ले -बल्ले कर दी है। इस बजट में कृषि एवं किसानों से जुड़े अन्य विभागों के लिए बजट में काफी वृद्धि करने का प्रस्ताव रखा है। इनमें कृषि विभाग के बजट में 19.2 प्रतिशत , बागवानी में 95.50 प्रतिशत ,पशुपालन में 50.9 प्रतिशत तथा मत्स्य पालन विभाग में 144.40 प्रतिशत बजट बढ़ाने का प्रस्ताव रखा।
उन्होंने आज यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अब कृषि एवं किसान कल्याण विभाग का बजट बढक़र 4229.29 करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव किया गया है। इस बजट में कृषि व उससे जुड़ी गतिविधियाँ हमारे छोटे से प्रदेश की अर्थव्यवस्था की मजबूत रीढ़ की हड्डी हैं और हमेशा रहेंगी। हर किसान की खेती में लागत कम करना, उसकी फसलों की पैदावार को हर वर्ष बढ़ाते रहना, हर फसल को एमएसपी पर खरीद की गारंटी देना, उसके खेत की मिट्टी की सेहत अच्छी रखना, उसके खेत में पानी की हर बूंद से अधिक से अधिक उपज लेना, उसे अच्छे बीज, खाद और कीटनाशक उपलब्ध करवाना, उसकी रासायनिक खाद पर निर्भरता कम करना, प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देना और उसकी आय को लगातार बढ़ते रहना ही प्रदेश सरकार की पिछले दस वर्षों की तरह इस वर्ष भी परम प्राथमिकताएं रहेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा नकली बीज व कीटनाशक बेचने वाले असामाजिक तत्वों के चंगुल से किसानों को बचाने के लिए सदन के इसी सत्र में एक बिल लाया जाएगा। शीघ्र ही एक नई बागवानी नीति बनाई जाएगी जिसके तहत मूल्य संर्वधन, भण्डारण, प्रोद्यौगिकी, मार्केटिंग आदि के द्वारा प्राकृतिक व जैविक बागवानी को दोनों प्रकार के एफपीओ के माध्यम से प्रोत्साहन दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो कृषक उत्पादक संगठन अर्थात् एफपीओ एक कम्पनी के रूप में पंजीकृत है, उन्हें तो सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है परंतु जो कृषक उत्पादक संगठन एक सहकारी समिति के रूप में पंजीकृत है, वे इन योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते है। इस बागवानी नीति से यह अंतर समाप्त हो जाएगा।