विजयादशमी न्याय, नैतिकता, सत्यता, शक्ति एवं विजय का पर्व है : महामंडलेश्वर स्वामी विद्यागिरि

विजयादशमी एवं दशहरे के उपलक्ष्य में समस्त मानवजाति को दी बधाई शुभकामनाएं।
सत्य के मार्ग पर चलने का दिया संदेश।
दिल्ली, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक 02 अक्टूबर : विजयादशमी का पर्व अच्छाई की विजय का संदेश देता है, जो व्यक्ति और समाज को नैतिक गुणों को अपनाने और दुष्कर्मों को त्यागने की प्रेरणा देता है. यह पर्व धार्मिकता के साथ साथ सांस्कृतिक एकता और सामुदायिक भावना को भी बढ़ावा देता है, जहाँ लोग सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध एकजुट होते हैं। यह विचार विजयादशमी एवं दशहरे के उपलक्ष्य में प्राचीन लक्ष्मीनारायण मंदिर के प्रांगण में द्विजया दशमी का महत्व विषय पर आयोजित सत्संग में संत महामंडल की संरक्षक महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्यागिरि जी महाराज ने व्यक्त किये। सत्संग का शुभारम्भ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की स्तुति से हुआ। लक्ष्मीनारायण मंदिर के वेदपाठी ब्रह्मचारियों ने भी सत्संग का आनंद लिया।
स्वामी विद्यागिरि जी महाराज ने सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हुए कहा कि वैदिक काल से भारतीय संस्कृति में विजयदशमी का पर्व वीरता का पूजक एवं शौर्य की उपासक रहा है। हमारी संस्कृति कि गाथा इतनी निराली है कि देश के अलावा विदेशों में भी इसकी गूँज सुनाई देती है इसीलिए भारत को विश्व गुरु के रूप में माना है।
भारत के प्रमुख पर्वो में से दशहरा को विजयादशमी के रुप में मनाया जाता है। दशहरा केवल त्योहार ही नही बल्कि इसे कई बातों का प्रतीक भी माना जाता है। विजयादशमी न्याय, नैतिकता, सत्यता, शक्ति एवं विजय का पर्व है। दशहरा बुराइयों से संघर्ष का प्रतीक है, आज भी अंधेरों से संघर्ष करने के लिये इस प्रेरक एवं प्रेरणादायी पर्व की संस्कृति को जीवंत बनाने की जरूरत है। यह पर्व सामाजिक और सांस्कृतिक विभाजनों को मिटाकर विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों को एक छत के नीचे लाने का काम करता है, जो आज के समाज में एकता के लिए महत्वपूर्ण है।
स्वामी विद्यागिरि जी महाराज ने कहा हमारा देश भारत युवाओं का देश है और युवा ही भारत का भविष्य हैं,अगर युवा पीढ़ी अपनी सोच में बदलाव लाएगी तो समाज में बुराई का असुर रावण पूर्ण रूप से समाप्त हो जायेगा। दशहरे के त्योहार के प्रति आदर,सम्मान व प्यार को रखते हुए, हम अपने जीवन को अच्छा बनाने कि ओर अग्रसर करेंगे।
सत्संग में काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम का समापन भगवान श्रीराम के नाम के उद्घोष से हुआ।