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गीता महोत्सव पुस्तक मेले में उमड़ा अद्भुत उत्साह

पुस्तकों पर विशेष छूट एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम बना आकर्षण,सुकन्या घाट स्टाल नंबर 670,

कुरुक्षेत्र, संजीव कुमारी 26 नवंबर : अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2025 के अंतर्गत हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी द्वारा स्टाल नंबर 670 सुकन्या घाट ब्रह्मसरोवर के पवित्र तट पर लगाया गया भव्य पुस्तक मेला इस बार अपनी गरिमा, भीड़ और विविधता के कारण विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मेले में पाठकों का ऐसा जनसैलाब उमड़ रहा है कि कई स्टॉलों पर किताबें दोबारा मंगवानी पड़ीं। मेले के वातावरण में अध्यात्म, साहित्य और संस्कृति की ऐसी सुगंध बसी कि हर आगंतुक ज्ञान के इस उत्सव का हिस्सा बनने को उत्साहित दिखा।
इस मेले में देशभर के नामी प्रकाशकों ने हिस्सा लिया है। संस्कृत ग्रंथों, पुरातन शास्त्रों, भारतीय इतिहास, योग, अध्यात्म, शिक्षा, विज्ञान, आधुनिक साहित्य और बच्चों की पुस्तकों का विशालतम संग्रह इस बार मेले की पहचान बन गया है। नए एवं उभरते लेखकों की पुस्तकों को भी पाठकों का अभूतपूर्व समर्थन मिला। पुस्तक प्रेमियों ने बताया कि ज्ञान और संस्कृति को एक ही छत के नीचे इतने विस्तृत रूप में देखना अत्यंत सुखद अनुभव है। कई प्रकाशकों द्वारा दी जा रही विशेष रियायतें, नई पुस्तकों के लोकार्पण और लेखकों से प्रत्यक्ष संवाद ने मेले को और अधिक जीवंत बना दिया है। बच्चों के स्टॉलों पर रंग-बिरंगी बाल पुस्तकों तथा गतिविधि आधारित सामग्री ने माहौल को रोचक बना दिया।
अकादमी के सदस्य सचिव मनजीत सिंह ने बताया कि इस मेले का उद्देश्य केवल किताबों की बिक्री नहीं, बल्कि पठन-पाठन की संस्कृति को पुनर्जीवित करना, युवा पीढ़ी को ज्ञान से जोड़ना और भारतीय साहित्यिक परंपरा का संरक्षण है। ब्रह्मसरोवर के आध्यात्मिक और शांत वातावरण में लगा यह पुस्तक मेला आगंतुकों के लिए एक अनूठा सांस्कृतिक अनुभव बन चुका है। मेले के दौरान प्रतिदिन कविता गोष्ठियां, लेखक संवाद, संस्कृत नाट्य प्रस्तुतियां, पुस्तक विमोचन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। जिस उत्साह के साथ लोग आ रहे हैं, वह इस मेले को अब तक का सबसे सफल पुस्तक मेला बना सकता है। यह पुस्तक मेला साहित्य, संस्कृति, अध्यात्म और ज्ञान के संगम का एक ऐतिहासिक उत्सव बनकर उभर रहा है, जिसने कुरुक्षेत्र को एक बार फिर देश के साहित्यिक मानचित्र पर सबसे प्रमुख स्थान पर स्थापित कर दिया है।

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