आजमगढ़ के शगुन सम्राट हॉल के पवित्र प्रांगण में विषयक शिव गुरु संगोष्ठी का भव्य आयोजन संपन्न
आजमगढ़ के शगुन सम्राट हॉल के पवित्र प्रांगण में विषयक शिव गुरु संगोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया।
आजमगढ़ के शगुन सम्राट हॉल के पवित्र प्रांगण में सोमवार के दिन “भगवान शिव- हमारी सांस्कृतिक धरोहर” विषयक शिव गुरु संगोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में भगवान शिव को गुरु बनाने की बात कही गई। पटना से आई अनुनीता ने कहा कि भारत की मिट्टी में,हमारे संस्कारों में शिव समाहित हैं। सन 1974 के नवंबर महीने में साहब श्री हरीन्द्रानंद जी ने महेश्वर शिव को अपना गुरु बनाया था। विश्व गुरु शिव को गुरु बनाए हुए वरेण्य गुरुभ्राता को पचास वर्ष से अधिक हो गए। इस कालखंड के प्रथम शिव शिष्य साहब हरीन्द्रानंद और नीलम आनंद का संकल्प कि शिव जन जन के गुरु हैं,इससे संपूर्ण विश्व को अवगत कराना है। हम सभी शिव शिष्यों का यह परम कर्तव्य है। भगवान शिव हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। सर्वाधिक रूप से पूजित हैं महादेव। देश के कोने कोने में इनकी महता से ही समझा जा सकता है कि इनकी जड़ें कितनी भीतर तक हैं। उन्होंने कहा कि
वरेण्य गुरु भ्राता हरीन्द्रानंद जी ने कहा कि शिव के गुरु होने का साक्ष्य हमारे धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रंथ देते हैं। यही शिव गुरु का काम भी करते हैं। आज से नही बल्कि सदियों से। जब से यह सृष्टि बनी है तभी से। परीक्षा करके देखिए। साहब ने कहा है कि शिव कमाल के गुरु हैं। उनसे जुड़िए तो जीवन में जो चमत्कार और परिवर्तन होगा आप सोच नहीं सकते हैं। भगवान शिव की शिष्यता का दौर नया नहीं है अपितु यह काल के प्रवाह से प्रवाहित है। उनको अपना शिष्य भाव दीजिए। शिव की शिष्यता अगम अगोचर है। साहब ने जो पुस्तकें लिखी हैं उनको पढ़िए। आत्मसात करिए और शिव शिष्य बनकर जीवन को सार्थक करिए।
कई राज्यों से गुरु भाई बहन आए हुए थे। अन्य लोगों ने भी अपने उदगार प्रकट किया। सभी ने भगवान शिव के गुरु होने की प्रासंगिकता पर जोर दिया। कार्यक्रम की व्यवस्था में योगिंद्र यादव,प्रभु यादव,प्रमोद यादव,रिया देवी और अन्य गुरु भाई बहनों ने सहयोग दिया। सभी कार्यकर्ता ने आयोजन को सफल बनाने में काफी मदद की।आने वाले लोगों के लिए की गई व्यवस्था भी बहुत बढ़िया थी।