स्त्री होना कमज़ोरी नहीं, बल्कि एक पूर्ण अस्तित्व : डॉ. जिम्मी शर्मा

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
नारीवाद विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला।
कुरुक्षेत्र, 17 अप्रैल : लोक सम्पर्क विभाग की उप-निदेशक व आईआईएचएस की अंग्रेजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जिम्मी शर्मा ने कहा कि नारीवाद एक सोच है, जो यह मानती है कि स्त्री होना किसी भी रूप में कमज़ोरी नहीं, बल्कि एक पूर्ण अस्तित्व है जिसे बिना भेदभाव, बिना शर्त और बिना सीमाओं के, समाज में समान अधिकार और अवसर मिलने चाहिए। यह सिर्फ अधिकारों की मांग नहीं, बल्कि एक निरंतर कोशिश है इंसानियत को संतुलित और न्यायपूर्ण बनाने की। वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में कुवि के आई. आई. एच. एस लिटरेरी क्लब द्वारा नारीवाद अवधारणा, आंदोलन और विचारधाराएँ विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के तकनीकी सत्र में बोल रही थी। इस कार्यशाला को दो सत्रों में बांटा गया इसके पहले सत्र में तकनीकी सत्र रखा गया और दूसरे सत्र में समूह चर्चा की गई। इस कार्यशाला के दूसरे सत्र में विद्यार्थियों के समूह बनाए गए जिसमें उन्होंने नारीवाद विषय पर चर्चा की और इसी समूह में प्रस्तुतियां भी प्रदान की।
डॉ. जिम्मी शर्मा ने कहा कि नारीवादी आंदोलन दुनिया भर में विभिन्न चरणों में उभरा और विकसित हुआ। प्रथम चरण (19वीं – शुरुआती 20वीं सदी) में महिला मताधिकार और कानूनी समानता के लिए संघर्ष हुआ। द्वितीय चरण (1960-1980) में लैंगिक भेदभाव, घरेलू हिंसा, प्रजनन अधिकार और कार्यस्थल पर समानता के मुद्दे अहम रहे। तृतीय चरण (1990-2000) में विविधता और पहचान की राजनीति पर जोर, जैसे जाति, रंग, वर्ग, लिंग-परक पहचान ने नारीवाद को वैश्विक और समावेशी रूप दिया। चतुर्थ चरण (2010 के बाद) में डिजिटल और सोशल मीडिया के ज़रिए नारीवाद के प्रति जागरूकता फैलाई गई।
इस कार्यशाला के संयोजक डॉ. रामचंद्र ने बताया कि इस कार्यशाला में 110 विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और आलोचनात्मक सोच और वाद विवाद कौशल का प्रदर्शन किया। डॉ. रामचंद्र ने धन्यवाद प्रस्तुत किया और प्राचीन भारत में नारीवाद पर व्याख्यान देते हुए कहा कि कि प्राचीन भारत में भी नारीवादी चेतना मौजूद थी, जो समानता, शिक्षा और विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को महत्व देती थी। उन्होंने जैसे मैत्रेयी, अपाला, तथा भारतीय देवी परंपराओं में स्त्री-शक्ति की अवधारणा से अवगत करवाया। कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए संस्थान की प्राचार्या डॉ. रीटा दलाल ने लिटरेरी क्लब को बधाई दी।