पहलगाम में हुए आतंकी हमले के विरोध में अजमतगढ़ नगर पंचायत में निकाला गया कैंडल मार्च

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के विरोध में अजमतगढ़ नगर पंचायत में निकाला गया कैंडल मार्च।
रिपोर्ट नीतीश जायसवाल सगड़ी
आज़मगढ़: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस निर्मम हमले में दो दर्जन से अधिक निर्दोष नागरिकों की जान चली गई। देश भर में आक्रोश की लहर दौड़ गई है—और इसी आक्रोश, शोक और एकजुटता का प्रतीक बना अजमतगढ़ नगर पंचायत का कैंडल मार्च।
नगर के लोगों ने एकजुट होकर उन मासूम जिंदगियों को श्रद्धांजलि दी, जो इस आतंकी हमले की बलि चढ़ गईं। हाथों में मोमबत्तियाँ, आंखों में आंसू और दिलों में देश के लिए दर्द—यह नज़ारा था उस कैंडल मार्च का, जहां हर चेहरा सवाल कर रहा था: “आख़िर कब तक?”
इस मौके पर नगर अध्यक्ष प्रतिनिधि अजय साहनी ने गहरे दुख के साथ कहा कि “यह हमला सिर्फ उन लोगों पर नहीं, बल्कि भारत की आत्मा पर हमला है। हमें न केवल सीमा पार से आने वाले आतंकवाद से लड़ना है, बल्कि देश के अंदर छुपी देशविरोधी ताकतों पर भी सख्त कार्रवाई करनी होगी।”
लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि दी। इस मौन में सिर्फ शोक नहीं था, बल्कि एक चेतावनी भी थी—आतंक को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत शांतिप्रिय है, लेकिन जब चोट देश की अस्मिता पर हो, तो वह शेर बनकर जवाब देता है।
कैंडल मार्च में समाज के हर वर्ग के लोगों की भागीदारी देखने को मिली। इसमें प्रमुख रूप से मोहन राय, शुभम राय, संतोष यादव, सोनल त्रिपाठी, कन्हैया अग्रवाल, जयप्रकाश राय, कैलाशपति राय, सोहराब अहमद, रमेश चतुर्वेदी, धर्मेंद्र सोनकर, राजकुमार, चंद्रमा निषाद, दिव्यांशु राय, मोंटी राय, शैलेंद्र पांडे और परितोष जायसवाल जैसे जागरूक नागरिक शामिल रहे।
“हम सब एक हैं”— यही संदेश लेकर यह कैंडल मार्च समाप्त हुआ। लेकिन यह अंत नहीं, एक नई शुरुआत है—जहां भारत की जनता जाग चुकी है, और अब आतंक को जड़ से मिटाने के लिए एकजुट है।