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नारी में ही ब्रह्म की प्रमुख सृजनात्मक शक्ति निहित : डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार

नारी में ही ब्रह्म की प्रमुख सृजनात्मक शक्ति निहित : डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

दयानन्द महिला महाविद्यालय, कुरुक्षेत्र में ‘महिला नेतृत्व तथा विकास’ विषय पर एक दिवसीय बहुविषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित।

कुरुक्षेत्र, 12 फरवरी : नारी शक्ति समर्पण, सेवा एवं सुबुद्धि की साक्षात प्रतीक है। नारी की की अपरिमित शक्ति एवं जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों में स्थितप्रज्ञ रहते हुए साहसिक भूमिकाओं के अनेकों प्रमाण इतिहास में भी उपलब्ध हैं। नारी ने सुलक्षणी गृहणी से संसद की साम्राज्ञी के रूप में अपनी सार्थकता, विशिष्टता एवं विद्वता को सिद्ध किया है। यह विचार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने दयानन्द महिला महाविद्यालय, कुरुक्षेत्र में आईसीएसएसआर नार्थ-वेस्टर्न रिजीनल केन्द्र, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के सहयोग से ‘महिला नेतृत्व तथा विकास’ विषय पर एक दिवसीय बहुविषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए। इससे पहले वेद मंत्रोच्चारण सहित दीप प्रज्ज्वलन के साथ सगोष्ठी का शुभारम्भ किया गया।
कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि हमारे देश की वैदिककालीन विदुषियों में गार्गी, मैत्रेयी लोपामुद्रा से लेकर आधुनिक युग में महिला राष्ट्रपति के पद पर प्रतिष्ठित द्रौपदी मुर्मू तथा वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जैसी प्रभावशाली विभूतियों ने भारत की प्रतिष्ठा एवं गरिमा को बढ़ाने का कार्य किया। उन्होंने संगोष्ठी में उपस्थित सभी छात्राओं को आदर्श स्वरूप इन प्रेरणास्त्रोतों के पद चिह्नों का अनुसरण करने, सबल एवं स्वावलम्बी बनने का भी आह्वान किया।
गुजरात राज्यपाल के ओएसडी व महाविद्यालय की प्रबंध समिति के प्रधान डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार ने अध्यक्षीय सम्बोधन में सभी विद्वतजन का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में वैदिक ऋचा के अनुसार ‘स्त्री हि ब्रह्मा बभूविथः’ अर्थात् नारी में ही ब्रह्म की प्रमुख सृजनात्मक शक्ति निहित है, वह निर्माणकर्त्री है जो त्रिदेवियां के रूप में सर्वत्र समादृत एवं पूजनीय है। इस अवसर पर दयानंद महिला महाविद्यालय के प्रधान डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार ने मुख्यातिथि कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा को आर्य परम्परा के प्रतीक स्वरूप स्मृति चिह्न भेंट कर उनका आभार व्यक्त किया।
केयू आईटीटीआर प्राचार्या प्रो. अनीता दुआ ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि महिला नेतृत्व विकास से अभिप्राय केवल महिलाओं के आर्थिक विकास से ही नही हैं बल्कि समाज में लैंगिक स्तर पर बढ़ रहे अंतराल को कम करते हुए महिलाओं की प्रत्येक क्षेत्र में बराबर की भागीदारी ही समग्र विकास की अवधारणा है। विशिष्ट अतिथि निदेशक आईसीएसएसआर पीयू चंडीगढ डॉ. उपासना जोशी सेठी ने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रगति को आकार देने तथा आगे बढ़ाने में महिलाओं की अपार क्षमता की बात कही।
डॉ. रितु लहल ने कहा की यदि महिलाएं शिक्षित व सशक्त होंगी तो परिवार से समाज तथा समाज से देश स्वतः ही मजबूत हो जाएगा। इसके साथ ही डॉ. गगन दीप कौर, डॉ. अनीता जून, प्राचार्या ने महिलाओं की भूमिका का वर्णन किया। केयू दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केन्द्र की निदेशक प्रो. मंजूला चौधरी ने महिलाओं को समान अवसर देने पर जोर दिया। महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. उपासना ने सफल आयोजन के लिए सभी को बधाई दी। इस अवसर पर डॉ. तूलिका अग्रवाल, महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. उपासना आहूजा, संगोष्ठी संयोजिका अंजू चावला, सहसंयोजिका डॉ. सुमन राजन, सचिव सपना सहित आयोजक परिषदों की संयोजिका डॉ. हिमानी तथा डॉ. रीजा सहित प्रदेश एवं विभिन्न प्रदेशों के महाविद्यालयों से 87 शिक्षिकाएं तथा छात्राएं मौजूद रही।

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