दिव्या ज्योति जागृती संस्थान द्वारा पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा का किया गया आयोजन

दिव्या ज्योति जागृती संस्थान द्वारा पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा का किया गया आयोजन

फिरोजपुर 03 दिसंबर {कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता}=

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा कालूराम की बगीची, बिशनंदी रोड, जैतो में हो रही पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा के दौरान सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी जयंती भारती जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का व्यक्तित्व इतना विराट है कि उसे किसी एक परिभाषा में परिभाषित नहीं किया जा सकता है। वे वृंदावन की निकुंज गलियों में गाय चराते गोपालक भी है। अपनी बांसुरी की सुर लहरियों से सबको मोहित करने वाले बंसी बजैया भी, गवाल शाखों के साथ गोपियों के घर से माखन चुराने वाले माखन चुरैया और कभी अपनी कनिष्ठिका पर गोवर्धन को धारण करने वाले गोवर्धनधारी भी है। भगवान श्री कृष्णा अधर्मी कंस, शिशुपाल इत्यादि के प्राण हरने वाले यदुवीर भी है। कुरुक्षेत्र की युद्ध भूमि में अर्जुन को गीता का उपदेश देने वाले योगेश्वर परम जोगी भी है। भगवान श्री कृष्ण की कथा श्रवण करने से अपने जीवन के वास्तविक लक्ष्य का बोध होता है कि केवल प्रभु प्राप्ति ही जीवन का परम लक्ष्य है।
साध्वी जी ने बताया कि प्रत्येक मानव स्वयं को दोराहे पर पता है। जिसे शास्त्र व ग्रंथों में श्रेय मार्ग अर्थात् सर्व कल्याणकारी मार्ग व प्रेय मार्ग अर्थात इंद्रियों सुखों से भरपूर स्वार्थ व विनाश से भरपूर मार्ग कहते हैं। साधारण शब्दों में एक आत्मा का मार्ग है व दूसरा मन का। एक सुलझन की ओर ले जाता है और एक उलझन की ओर। इन्हीं के बीच फंसकर सही चैन न कर पाने की दशा ही तनाव उदासी व अवसाद का कारण है। जिससे अनेक मनोवैज्ञानिक व्याधियों उत्पन्न होती हैं। यही आधुनिक समाज की समस्या है। यदि हम स्वयं को पहचाने, भीतर उठने वाली अंतर आत्मा की चीत्कार सुनकर, उस पर अमल करें तो निश्चय ही समस्याओं का समाधान हो जाए। इसके लिए आवश्यकता है किसी ब्रह्म ज्ञानी संत की जो हम हमें आत्म साक्षात्कार करवा सके। यही वेद विधित मार्ग है। ब्रह्म ज्ञानी होकर जब मनुष्य भक्त बनता है तो यथार्थ में मनुष्य बनता है व जाति पाति उच्च नीच के दायरे से बाहर निकल पाता है। भगवान श्री कृष्ण को जान लेने के बाद ही मनुष्य प्रभु की लीलाओं को समझ पाता है। मानव समाज का जीवन प्रभु से विहीन एक ऐसा रेगिस्तान है। जहां भावों की सरिता का बहना असाध्य दृष्टिगोचर हो रहा है। वह जीवत्व से शवत्व की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में उसके अंतकरण से प्रभु के लिए भावों का प्रस्पुठित होना असंभव सा प्रतीत होता है। साध्वी जी ने इस समस्या का समाधान देते हुए कहा कि भावों व प्रेम के लिए मानव को प्रभु भक्ति से जुड़ना होगा। प्रभु भक्ति को एक पूर्ण सद्गुरु ही हमारे भीतर प्रकट कर सकता है। कथा में साध्वी बहनों ने सु मधुर भजनों का गायन किया। कार्यक्रम में ज्योति प्रज्वलित की रस्म को महंत कमल दास जी (डेरा बाबा मोहन दास जी, जैतो) मास्टर विजय कुमार जी (कमीशन एजेंट), सरदार गुरजंट सिंह वसीकानवीश द्वारा निभाया गया। कथा समागम के दौरान भाव विभोर श्रद्धालुओं का सैलाब प्रतिदिन इन कथा प्रवचनों को श्रवण करने के लिए उमड़ रहा है। वह कथा का समापन व विधिवत प्रभु की आरती के साथ हुआ। जिसमें मुख्य रूप से उपस्थित श्री अमोलिक सिंह (एम एल ए जैतो),श्री लक्ष्मण शर्मा जी (चेयरमैन मार्किट कमेटी जैतो),श्री राजेंद्र जिंदल (परिवार सहित), श्री मन्नू गोयल जी (परिवार सहित), श्री राम शरणाम आश्रम जैतों के सदस्य, श्री राजीव डोड जी आदि सदस्यों ने भाग लिया। उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रसाद व लंगर वितरित भी किया गया।

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