उजबक राजा को चूना लगा गए विदेशी ठग, विदेशी चकाचौंध ने कराई किरकिरी

उजबक राजा को चूना लगा गए विदेशी ठग, विदेशी चकाचौंध ने कराई किरकिरी
नाटक उजबक राजा के मंचन में कुरूक्षेत्र के कलाकारों ने दिखाए अभिनय कौशल।
युवा पीढ़ी को स्वदेशी के लिए जागरूक करने का नाटक सबसे उत्तम ढंग। गीतिका जसूजा।
कुरूक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 03 अगस्त : वर्तमान दौर में युवा वर्ग पाश्चात्य संस्कृति की ओर लालायित रहता है। आधुनिकता के समय में युवा पीढ़ी विदेशी संस्कृति को अपनाने से परहेज नहीं करती। जिससे न केवल स्वदेशी रोजगार पर असर पड़ता है, बल्कि देश का भविष्य भी खतरे में नजर आता है। ऐसे में युवा वर्ग को स्वदेशी के प्रति जागरूक करने का सबसे उत्तम ढंग नाटक है। जिसमें दर्शाए हुए विदेशी निवेश के परिणाम युवाओं को जगाने में सहायक सिद्ध होंगे। ये कहना था डी ए वी स्कूल की प्राचार्या गीतिका जसूजा का। वे शनिवार को प्रेरणा वृद्ध आश्रम में मंचित हास्य नाटक उजबक राजा के मंचन के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में दर्शकों को संबोधित कर रही थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुवि के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर डॉ अजायब सिंह ने की, वहीं विशिष्ट अतिथि शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कृष्णा नगर गामड़ी के चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रदीप सिंगला रहे। कार्यक्रम से पूर्व प्रेरणा संस्थान के संस्थापक डॉ जय भगवान सिंगला ने अतिथियों का अभिनंदन पुष्पगुच्छ भेंट कर किया। सभी का स्वागत करते हुए डॉ जय भगवान सिंगला ने कहा कि रंगमंच समाज को आईना दिखाने का कार्य करता है। रंगमंच के कलाकार जब अपने अभिनय के माध्यम से समाज में फैली बुराइयों तथा उनके समाधान को लोगों से सांझा करते हैं तो आम आदमी सोचने पर मजबूर हो जाता है। स्थानीय कलाकार अपनी प्रतिभा को समाज हित में उपयोग कर रहे है, यह वास्तव में कुरूक्षेत्र के लिए गौरव की बात है। अलकनंदन द्वारा लिखित एवं विकास शर्मा के निर्देशन में मंचित इस नाटक में एक दर्जन से अधिक कलाकारों ने भाग लिया। हास्य रस से भरपूर नाटक उजबक राजा में कलाकारों ने स्वदेशी अपनाओ का सुंदर संदेश दिया। नाटक की कहानी राजा रेशमलाल के इर्द-गिर्द घूमती है। राजा रेशमलाल को तरह-तरह के कीमती वस्त्र पहनना अच्छा लगता है। जिसके लिए राजा राजकोष को प्रजा की भलाई की अपेक्षा अपने वस्त्रों पर अधिक खर्च करता है। एक दिन राजा को सूचना मिलती है कि उनके पड़ोसी राजा देशबंधू उनके साथ फैंसी ड्रैस कम्पीटिशन करने के लिए आ रहे हैं। फैंसी ड्रैस कम्पीटिशन का सुनकर राजा रेशमलाल देश के अलग-अलग राज्यों से दर्जी बुलाते हैं ताकि कम्पीटिशन के लिए शानदार कपड़े बनवा सके। लेकिन राजा को कोई भी स्वदेशी कपड़े पंसद नहीं आते। बाद में राजा रेशमलाल को पता चलता है कि देशबंधू ने विदेशी दर्जियों से कपड़े तैयार करवाए हैं। जिसके कारण राजा रेशमलाल अपने मंत्री से विदेशी दर्जी बुलवाने को कहता है। एक दिन दो ठग विदेशी दर्जी बनकर राजा के पास पहुंचते है और राजा को बताते हैं कि वो राजा के लिए जादू की ड्रैस बनाएंगे, जो केवल खानदारी और रईसों को ही दिखाई देगी, मुर्ख या फटीचर लोग कपड़े को नहीं देख पाएंगे। जादू के सूट के बदले ठग राजा से करोड़ो रुपये ऐंठ लेते हैं। जब रानी को पता चलता है तो रानी ठगों की मशीन को तोड़ देती है। लेकिन ठग राजा को बताते हैं कि रानी ने जलन के कारण राजा के जादू के सूट को खराब कर दिया। जिसके कारण नया सूट बनाने के लिए ठग राजा से और पैसे ले लेते हैं। कम्पीटिशन वाले दिन ठग राजा को नंगा करके सब धन लूटकर ले जाते हैं। जब राजा देशबंधू कॉम्पिटिशन के लिए पहुंचते हैं तो पता चलता है कि वो भी नंगे हैं और उनसे पहले ठग राजा देशबंधु को लूटकर आए हैं। इस प्रकार हास्य रस से भरपूर नाटक ने विदेशी निवेश को छोड़कर स्वदेशी अपनाने पर जोर दिया। नाटक में राजा रेशमलाल का किरदार सूर्यांश चावला, मंत्री हितेश जंगम, रानी रचना अरोड़ा, देशबंधू ध्रुवम गोयल, ठग ऋत्विक अरोड़ा तथा नव्या मेहता बने। नौकरानियों का किरदार वेदिता तथा कनिका शर्मा, दर्जी गौरव दीपक जांगड़ा व रोहित तथा चौबदार का किरदार प्रिंयाशु बंसल ने निभाया। संगीत संचालन नाटक निर्देशक विकास शर्मा द्वारा किया गया। नाटक के बाद डॉ० अजायब सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि जब राजा ऐसा हो तो इस तरह की स्थितियां पैदा होना स्वाभाविक है। नाटक आज की परिस्थितियों को बड़े संजीदा तरीके से उल्लेखित करता है। आज जिस आभासी दुनियां में हम जी रहे हैं, वह बेहद चिंताजनक एवं भयावह है। कार्यक्रम के अंत में प्रेरणा के संस्थापक डॉ. जयभगवान सिंगला ने अतिथियों को अंगवस्त्र एवं तुलसी का पौधा भेंट कर उन्हें सम्मानित किया। इस अवसर पर आशा सिंगला, डॉ० ममता सूद, राजीव गुप्ता, सुरेखा, किरण गर्ग, कुलविन्दर, कपिल बत्रा, सागर शर्मा, देवेंद्र बीबीपुरिया ,हरिकेश पपोसा, सुदेश कुमारी तथा ईश्वर चंद उपस्थित रहे।