दुनिया में सफलता की एकमात्र कुंजी है परिश्रम : आचार्य देवव्रत

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

गुरुकुल में हर्षोल्लास से मनाया द्वादश कक्षा के छात्रों का समावर्तन संस्कार समारोह।

कुरुक्षेत्र, 3 फरवरी : गुरुकुल में 12 वीं कक्षा के छात्रों का दीक्षान्त समारोह मनाया गया जिसमें गुरुकुल के संरक्षक एवं गुजरात के महामहिम राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। समारोह में गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, निदेशक ब्रिगेडियर डाॅ. प्रवीण कुमार, प्राचार्य सूबे प्रताप सहित अध्यापक एवं संरक्षक उपस्थित रहे। मंच का सफल संचालन मुख्य संरक्षक संजीव आर्य द्वारा किया गया तथा 12 वीं के छात्रों द्वारा आचार्यश्री का अभिनन्दन भी किया गया।
छात्रों को सम्बोधित करते हुए आचार्य देवव्रत ने कहा कि दुनिया में सफलता की एकमात्र कुंजी कठोर परिश्रम है क्योंकि मेहनत के बिना कोई आदमी बड़ा नहीं बन सकता, इसलिए जीवन में परिश्रमी बने रहना, तभी आप विशेष बनोगे। गुरुकुलीय परिवेश और बाहरी दुनिया के बारे में छात्रों को जागरूक करते हुए उन्होंने कहा कि गुरुकुल का वातावरण अन्य कहीं नहीं मिलेगा, यह तो स्वर्ग के समान है जबकि यहां से निकलकर जब तुम बाहरी दुनिया के दूषित वातावरण में जाओगे तो वहां पर नशाखोरी जैसी कई बुराइयों से तुम्हारा सामना होगा, जिनसे तुम्हें केवल गुरुकुल में मिले संस्कार और यहां की दिनचर्या बचा सकती है। उन्होंने कहा कि गुरुकुल में आपको अक्षरज्ञान के साथ-साथ संस्कार और अच्छे विचारों की जो शिक्षा दी गई है, उसे हमेशा याद रखना क्योंकि बड़े से बड़े स्कूल, काॅलेजों में भी आपको ऐसी शिक्षा नहीं मिलेगी। यदि आपने अपने विचार पवित्र रखे तो ऐसी बुराइयाँ आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती और जीवन में नई ऊंचाइयों को छुएंगे। उत्तम विचार, कड़ी मेहनत और चिन्तन से ही आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जीवन में कड़ा परिश्रम, गुरुओं की आज्ञापालन तथा माता-पिता और बड़ों का सम्मान करना, सफलता का मूल-मंत्र उन्होंने कहा कि गुरुकुल में ब्रह्मचारी, माँ के गर्भ की भांति सुरक्षित रहता है, उसे बाहरी दुनिया के वातावरण का बिल्कुल भी आभास नहीं होता। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. कलाम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अभावों की भट्टी में तपकर इन महापुरुषों ने अपने आपको कुंदन बनाया और आज सारा विश्व इनकी प्रतिभा का लोहा मानता है। उन्होंने कहा कि जीवन में हमेशा आशावादी बने रहो और कठोर परिश्रम करो, आपको सफलता अवश्य मिलेगी। अन्त में उन्होंने सभी छात्रों को उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद दिया।
समारोह के शुरुआत में निदेशक ब्रिगेडियर डाॅ. प्रवीण कुमार ने गुरुकुल के संक्षिप्त परिचय के साथ छात्रों की उपलब्धियों का विवरण दिया। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री के मार्गदर्शन में गुरुकुल परिवार का एक-एक सदस्य बच्चों के उज्ज्वल भविष्य निर्माण हेतु प्रयत्नशील है। गुरुकुल में छात्रों के उत्कृष्ट परीक्षा-परिणाम इसके जीवन्त उदाहरण है, सफलता का यह सिलसिला यूंही जारी रहेगा। मुख्य संरक्षक संजीव आर्य ने ‘हरयाणा में नंबर वन हम, देश में नाम हमारा…’ गीत सुनाकर गुरुकुल को फर्श से अर्श तक ले जाने के आचार्यश्री की दिव्य दृष्टि और गहरे चिन्तन को परिभाषित किया।

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