सुवास्थ कार्यशाला का हुआ आयोजन अररिया अररिया हेल्थ केयर एवं डायबिटीज केंद्र अररिया में डॉ अभय कुमार के द्वारा रविवार को स्वास्थ्य कार्यशाला का आयोजन किया गया। रविवार को मानसिक रोगी के लिए डॉ लिंकन वर्मा द्वारा मुफ्त रोगियों को देखा गया। मुफ्त दावा भी दी गई। पूरी दुनिया में हज़ारों-लाखों लोग मानसिक रोग के शिकार होते हैं और इसका असर उनके साथ साथ उनके पूरे परिवार पर पड़ता है। देखा गया है कि हर चौथे इंसान को कभी-न-कभी मानसिक रोग होता है। दुनिया-भर में इस रोग की सबसे बड़ी वजह है, निराशा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मानसिक रोग के शिकार बहुत-से लोग इलाज करवाने से कतराते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग उनके बारे में न जाने क्या सोचेंगे। मानसिक रोग क्या है जब एक व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता, उसका अपनी भावनाओं और व्यवहार पर काबू नहीं रहता, तो ऐसी हालत को मानसिक रोग कहते हैं। मानसिक रोगी आसानी से दूसरों को समझ नहीं पाता और उसे रोज़मर्रा के काम ठीक से करने में मुश्किल होती है। डॉ अभय कुमार ने कार्यशाला में बताया कि “मानसिक रोग के लक्षण, हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। ये इस बात पर निर्भर करते हैं कि उसे कौन-सी मानसिक बीमारी है। मानसिक रोग किसी को भी हो सकता है, फिर चाहे वह आदमी हो या औरत, जवान हो या बुज़ुर्ग, पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़, या चाहे वह किसी भी संस्कृति, जाति, धर्म, या तबके का हो।” अगर मानसिक रोगी अच्छी तरह अपना इलाज करवाए, तो वह ठीक हो सकता है। वह एक अच्छी और खुशहाल ज़िंदगी जी सकता है। लेकिन ज्यादातर केस में लोग काउंसलिंग करवाने से डरते हैं कि लोग उन्हें पागल समझेंगे और समस्या बढ़ जाती है। तनाव तेज़ी से बदलते माहौल में हमारे शरीर और मन पर जो असर पड़ता है, उसे तनाव कहते है। तनाव दो तरह का होता है। पहला – अच्छा तनाव और दूसरा – बुरा तनाव। जहां अच्छे तनाव की वजह से आप अपनी नौकरी में प्रमोशन पाते है, वहीं बुरे तनाव में आप किसी से गुस्से में बहस कर लेते है। परिवार, पैसा, काम और स्कूल – ये तनाव के सामान्य कारण है। तनाव के लक्षण सिरदर्द व पीठदर्द नींद न आना गुस्सा और हताश होनाकिसी एक चीज़ पर ध्यान न लगा पाना रोना दूसरों को नज़रअंदाज़ करना कैसे निपटें नियमित रूप से 20 से 30 मिनट शारीरिक व्यायाम (चलना, दौड़ना या उठना बैठना) करें। इससे आपके दिमाग को सोचने का वक्त मिलेगा। मेडिटेशन कीजिए (ध्यान लगाइए) राहत भरा संगीत सुनिए। 10-20 मिनट तक आंखें बंद करके शांति का अनुभव कीजिए। गहरी सांस लीजिए। दिमाग को शांत करें, और तनाव भरी बातें दिमाग से निकाल दें। अख़बार पढ़िए या किसी से बात कीजिए। अपनी भावनाओं को कागज़ पर लिखने से, या किसी से बात करने पर आप ये जान पाएंगे कि आपके तनाव के कारण क्या है। छोड़ दें ये बुरी आदतें देर तक सोना तनाव की शुरुआत आपकी सुबह से ही हो सकती है अगर आप रोज देर से सोकर उठते हैं।देर से उठने वाले लोगों का मेटाबॉलिज्म ठीक नहीं रहता है जिससे उन्हें थकान, तनाव और उदासीनता अधिक सताती है। शोधों में भी यह माना गया है कि देर से उठने वाले लोग अक्सर सुबह का नाश्ता छोड़ते हैं जिससे उनका बॉडी साइकिल गड़बड़ होता है और वे जल्द तनावग्रस्त होते हैं। घंटों टीवी देखना आपको तनाव और अवसाद की स्थिति तक पहुंचाने के लिए काफी है। बजाय घंटों तक टीवी देखने के आप अपना समय परिवार के साथ बिताएंगे या सैर करेंगे तो तनाव से कोसों दूर रहेंगे। धूम्रपान आपका तनाव बढ़ाती है। धूम्रपान से धड़कन तेज हो जाती है जिससे तनाव बढ़ता हैहै

डॉ लिंकन वर्मा , मनोरोग विशेषज्ञ , पूर्णियां बताया कि स्कूल जाने वाले बच्चों में डिप्रेशन का मामला लगातार ज्यादा देखा जा रहा है। और यही वजह है कि बच्चों में सुसाइड की घटना पहले से बढ़ी है। बड़ी बात ये है कि बच्चों में डिप्रेशन के कारण बहुत छोटे-छोटे होते हैं।” वो आगे बताते हैं, “माता पिता की उम्मीदों पर पढ़ाई में खरे न उतरना। घर में दो बच्चों की तुलना से किसी एक बच्चे में डिप्रेशन आ जाना। मां-बाप के आपसी संबंध ठीक न रहने से बच्चे में डिप्रेशन आ जाना। ये कई मुख्य कारण है बच्चों के डिप्रेशन का।”।

डॉ लिंकन ने बचने के उपाय को बताया। अच्छे दोस्त बनाएं अच्छे दोस्त आपको आवश्यक सहानुभूति प्रदान करते हैं और साथ ही साथ अवसाद के समय आपको सही निजी सलाह भी देते हैं। संतुलित आहार लें फल, सब्जी, मांस, फलियां, और कार्बोहाइड्रेट आदि का संतुलित आहार लेने से मन खुश रहता है। एक संतुलित आहार न केवल अच्छा शरीर बनता है बल्कि यह दुखी मन को भी अच्छा बना देता है। बातचीत करें अपनी समस्याओं के संबंध में बात करना भी तनाव दूर करने का उत्तम जरिया है। हममें से अधिकतर लोग खुद तक ही सीमित रहते हैं। अंदर ही अंदर घुटते रहने से और भी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अपने लिए समय निकालें यह बेहद महत्वपूर्ण है कि आप व्यस्तता के बावजूद अपनी जरूरतों और देखभाल के लिए भी कुछ समय निकालें। आराम करने के लिए भी पर्याप्त समय बचा कर रखें। लिखना शुरू करें अपनी रोजाना की गतिविधियों और भावनाओं को लिखने से आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करने में आपको मदद मिलती है। एक जर्नल या डायरी रखें जिसमे रोजाना लिखें की आप जीवन के बारें में क्या महसूस करते हैं। यह आपके अवसाद को दूर करने में सहायक होगा। मनोचिकित्सक से सलाह लें अवसाद को दूर भगाने का सबसे मुख्य और आसान तरीका है कि आप मनोचिकित्सक की सलाह लें । मनोचिकित्सक की सलाह से आपको अवसाद की जड़ तक जाने और इसे दूर करने में मदद मिलेगी।
आज की कार्यशाला में मेघा वर्मा, संजीत कुमार, रवि , रंजन यादव , नीतीश,विनोद आदि सुरु से अंत तक सक्रिय रूप से लगे रहे।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

अम्बेडकर नगर: श्रीराम कथा के चौथे दिन राम जन्मोत्सव का हुआ आयोजन

Sun May 15 , 2022
श्रीराम कथा के चौथे दिन राम जन्मोत्सव का हुआ आयोजन आलापुर (अम्बेडकर नगर ) |भगवान श्रीराम ने अपने उत्कृष्ट आचरण से अखिल विश्व को मानवता, प्रेम तथा पारिवारिक एवं सामाजिक मर्यादा का संदेश दिया। सत्य से विचलित मानवता को युग-युगांतर तक सही मार्ग दिखाता रहेगा रामचरित मानस। देवरिया बुजुर्ग के […]

You May Like

advertisement