भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों में तो हर दिन ही मातृ दिवस है : महंत जगन्नाथ पुरी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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हमारी भारतीय संस्कृति में मां का स्थान देवी देवताओं से भी ऊपर माना गया है।
कुरुक्षेत्र, 14 मई : भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों में तो हर दिन ही मातृ दिवस है। मां के प्रेम की शक्ति से बढ़कर कोई शक्ति नहीं है। अखिल भारतीय श्री मारकंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी ने कहा कि भगवान की प्रेरणा से मां के सुंदर स्वरूप की संरचना हुई है। सचमुच मां से खूबसूरत शब्द कुछ हो ही नहीं सकता है और मातृत्व से खूबसूरत कोई भूमिका नहीं हो सकती है।
महंत जगन्नाथ पुरी ने कहा कि चाहे ऋषि मारकंडेय अल्पायु के वरदान से पैदा हुए लेकिन भगवान शिव के वरदान से अमर हुए। यह भी मां की प्रेरणा से ही संभव है। महंत जगन्नाथ पुरी ने कहा कि मां की एक ऐसी भूमिका है जिसे दुनिया की हर औरत निभाना चाहती है। दुनिया के हर रिश्ते से बढ़ कर एक मां और उसके बच्चे का रिश्ता होता है। यह एक निःस्वार्थ रिश्ता है जिसमें एक मां के पास अपने बच्चे को देने के लिए केवल वात्सल्य, ममता, प्यार और दुआएँ होतीं हैं। मां को बदले में उसे कुछ भी नहीं चाहिए होता है। भले हीं बच्चा कितना भी बड़ा हो जाए, बचपन से जवान और जवान से प्रौढ़ हो जाए पर मां का प्यार नहीं कभी बदलता है, न फीका पड़ता है और न हीं कभी ख़त्म होता है।
महंत जगन्नाथ पुरी ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में मां का स्थान देवी देवताओं से भी ऊपर माना गया है। उन्होंने कहा कि ऐसा माना गया है कि मनुष्य के पांच ऋणों में मातृ-ऋण ही ऐसा ऋण है जिससे कभी उतारा नहीं जा सकता है। मां के प्रति अगाध श्रद्धा होने के बाद भी भारतीय संस्कृति में मदर्स डे या मातृ दिवस की अवधारणा कुछ ज्यादा पुरानी नहीं है। मां के प्रति श्रद्धा, सम्मान, प्रेम और कृतज्ञता व्यक्त करने वाले इस दिवस को पिछले कुछ सालों से भारत में खुले दिल से अपनाया जा रहा है।
अखिल भारतीय श्री मारकंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी।