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अंतरराष्ट्रीय विद्वानों की भागीदारी के साथ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में 24-26 नवंबर तक अंतर्राष्ट्रीय गीता सम्मेलन

कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक 22 नवम्बर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में 24 से 26 नवंबर 2025 तक “श्रीमद् भगवद्गीतोक्त स्वधर्मः, कर्तव्यनिष्ठा, शांति और सद्भावना की प्रेरणा” विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। यह आयोजन केवल एक शैक्षणिक सम्मेलन नहीं, बल्कि भारत की शाश्वत ज्ञान-परंपरा का वैश्विक उत्सव है, जिसने मानवता को सत्य, धर्म, कर्तव्य, धैर्य और शांति का अनंत संदेश प्रदान किया है। इसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका, नेपाल, थाईलैंड, रूस, कज़ाखस्तान, हंगरी, चीन, स्पेन, लिथुआनिया, श्रीलंका, मलेशिया, इथियोपिया, बहरीन, बेलारूस और पोलैंड सहित अनेक देशों के विद्वान व शोधकर्ता भाग ले रहे हैं।
सम्मेलन के सुचारु संचालन के लिए कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के आदेशानुसार विश्वविद्यालय ने पाँच समन्वय समूह गठित किए हैं जिनके लिए विभिन्न विभागों व संस्थानों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ग्रुप-1 के अंतर्गत ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका और नेपाल के अतिथियों की जिम्मेदारी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट और आईएमएस को दी गई है, जिसमें प्रो. अनिल मित्तल के नेतृत्व में डॉ. अजय सोलखे और सुश्री श्रुति समन्वयक की भूमिका निभाएंगे। ग्रुप-2 की जिम्मेदारी पर्यटन एवं होटल प्रबंधन विभाग को दी गई है, जो थाईलैंड, रूस, कज़ाखस्तान और हंगरी के प्रतिनिधियों का समन्वय करेगा, जिसमें प्रो. मोहिंदर सिंह चांद के साथ डॉ. मेघा अम्बरदार और विवेक नियुक्त हैं। ग्रुप-3 में चीन, स्पेन, लिथुआनिया और श्रीलंका के अतिथियों का नेतृत्व यूआईटी के निदेशक प्रो. सुनील ढींगरा करेंगें, और समन्वय कार्य डॉ. निखिल मारीवाला व सुश्री ख्वाहिश को सौंपा गया है। मलेशिया, इथियोपिया और बहरीन के प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी ग्रुप-4 के तहत इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर ट्रेनिंग एंड रिसर्च को दी गई है, जिसमें प्राचार्या प्रो. अनीता दुआ के साथ डॉ. निधि बगरिया और अभिनव समन्वय कार्य संभालेंगे। इसी प्रकार ग्रुप-5 में पर्थ, नेपाल, बेलारूस और पोलैंड के विद्वानों की व्यवस्था विधि विभाग द्वारा की जा रही है, जहाँ प्रो. प्रीति जैन की अध्यक्षता में डॉ. प्रीति शर्मा और श्री देवांशु समन्वयक के रूप में नियुक्त हैं।
यह सम्मेलन गीता के आध्यात्मिक, दार्शनिक, सांस्कृतिक और आधुनिक संदर्भों पर वैश्विक विमर्श का एक उत्कृष्ट मंच बनेगा, जिसमें विभिन्न देशों के विद्वान अपने अनुभव साझा करेंगे और बताएंगे कि कैसे गीता का संदेश आज के समाज, नेतृत्व, शांति और मानव मूल्यों को नई दिशा प्रदान कर सकता है। यह आयोजन भारतीय ज्ञान-परंपरा की श्रेष्ठता को दुनिया के सामने पुनः प्रतिष्ठित करने तथा वैश्विक शांति और सद्भाव को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।’’
विदेशी विद्वानों का विवरण।
ग्रुप -1 में प्रोफेसर मार्क ऐलन (सिडनी), प्रोफेसर हीरोयुकी सातो (जापान), श्री जे. मिकलसन (अमेरिका) तथ्रर प्रो. (डॉ.) धनश्वर (नेपाल) शामिल हैं। वहीं ग्रुप-2 में सिस्टर विलाई (व्रिनपॉर्न) उएरनांत /अका स्वामी गीता किरण (थाईलैंड), डॉ. मार्सिस गासुनस (रूस), डॉ. आइतज़ानोवा अस्सेल (आनंद वृंदावनी डी.डी.) (अस्ताना) तथा जोल्टन हॉस्सू (हंगरी) शामिल है। ग्रुप -3 में श्री ली जियानलिन (चीन), डॉ. जेवियर रूईज़ कालदेरोन (स्पेन), सुश्री लीना लुकोसिएने / विद्या (लिथुआनिया) तथा प्रोफेसर असंगा तिलकरत्ना (श्रीलंका) हैं। ग्रुप -4 मे श्री शिवानंद (मलेशिया), स्वामी सत्प्रकाशानंद सरस्वती (मलेशिया), श्री डैनियल ह्यूम (इथियोपिया) तथा श्री पंकज मौर्य (बहरीन) शामिल हैं।
ग्रुप -5 में स्वामी अपरोक्षानंद (पर्थ), प्रो. (डॉ.) नारायण प्रसाद गौतम (नेपाल), श्री इलिया तार्कन (बेलारूस) तथा प्रोफेसर अन्ना रूचिंस्का (पोलैंड) से शामिल होंगे।

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