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यादगार लम्हों के साथ संपन्न हुआ अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम

यादगार लम्हों के साथ संपन्न हुआ अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

विस अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण की ओर से करवाई गई व्यवस्थाओं से गदगद नजर आए विदेशी मेहमान।

चंडीगढ़, 22 अप्रैल :
लोक सभा की ओर से हरियाणा विधान सभा को सौंपा गया विधान प्रारूपण का 36वां अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम यादगार लम्हों के साथ संपन्न हो गया। इस दौरान विधान परिसर ज्ञान की गंगा में बदला नजर आया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल प्रतिनिधियों ने न केवल विधान प्रारूपण के नुस्खे सीखे बल्कि उनके क्रियान्वयन के तौर तरीकों की पूरी प्रणाली का भी अध्ययन किया। विधान सभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण व मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह की ओर से करवाई गई व्यवस्थाओं से शिष्टमंडल में शामिल प्रत्येक सदस्य गदगद दिखाई दिया। ग्रुप लीडर अलेजेन्ड्रो निकोलस ने तो इतना तक कहा कि यहां मिले प्रशिक्षण ने उन्हें न केवल अधिक कुशल पेशेवर बनाया है, बल्कि बेहतर इंसान भी बनाया है। यहां मिले नुस्खों को वे तुरंत अपने यहां भी लागू करवाएंगे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत 16 अप्रैल को विधान सभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ बैठक से हुई। शिष्टमंडल को संबोधित करते हुए विधान सभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण ने विधायी कामकाज से जुड़े लोगों के लिए एक दूसरे से ज्ञान और अनुभव को साझा करने से वैश्विक स्तर पर सौहार्द बढ़ाने और आपसी समन्वय से कानून का शासन सशक्त करने पर जोर दिया। विश्व के सर्वांगीण विकास के लिए ऐसा करना बेहद जरूरी है। इसके बाद शिष्टमंडल में विधान सभा सचिवालय की अनेक शाखाओं का दौरा किया और यहां की संसदीय कार्यप्रणाली को जाना व चर्चा की।
17 अप्रैल को सुखना लेक का भ्रमण करने के बाद हरियाणा सिविल सचिवालय में मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी से प्रशासनिक व कानूनी विषयों पर बैठक हुई। मुख्य सचिव ने समावेशी कानून बनाने की प्रक्रियाओं के महत्व पर बल देते हुए कहा कि किसी भी कानून की रूपरेखा सभी हितधारकों की आवाज सुनकर ही प्रभावी ढंग से तैयार की जा सकती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कानून की प्रासंगिकता और प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए उसमें समाज की आकांक्षाओं, भावनाओं और जरूरतें प्रतिविंबित होनी चाहिए।
इस दिन सेक्टर 43 स्थित चंडीगढ़ ज्यूडिशियल अकादमी और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दौरा भी किया गया, जहां पर उन्हें वहां के अधिकारियों द्वारा जानकारी दी गई। विधान सभा के उपाध्यक्ष डॉ. कृष्ण मिड्‌ढा की ओर से लंच और शाम को विधान सभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण की ओर से हरियाणा निवास में सांस्कृतिक संध्या और रात्रि भोज का आयोजन किया गया। इस मौके पर प्रमुख शहनाई वादक लोकेश आनंद के साथ-साथ और उनकी टीम द्वारा प्रस्तुत की गई। हरियाणवीं धुनों पर विदेशी मेहमान जमकर थिरके।
18 अप्रैल को रॉक गार्डन, रोज गार्डन और हरियाणा में पिंजौर के यादविंद्ररा गार्डन का तथा 19 अप्रैल को हिमाचल के पर्वतीय पर्यटन स्थल कसौली भ्रमण विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। 20 अप्रैल को धर्मनगरी कुरुक्षेत्र दर्शन के दर्शन किए। यहां विधान सभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का सानिध्य इस प्रशिक्षण का कार्यक्रम की महिमा बढ़ा रहा था। इस अवसर विधान सभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण ने कहा कि कुरुक्षेत्र और गुरुग्राम शहर भारत की शानदार संस्कृति, दर्शन, धार्मिकता और विकास की अनुभूति करवाते हैं। इस दौरान भीष्म कुंड, नरकातारी, भोर सैदन, ब्रह्म सरोवर, सन्निहित सरोवर के दर्शन कर विदेश मेहमान आध्यात्मिक अनुभूति का अनुभव करते नजर आए। इस दौरान उन्होंने गीता ज्ञान संस्थान का भ्रमण और ब्रह्म सरोवर की आरती में शिरकत की। इस अवसर पर विदेशी मेहमानों के साथ विधान सभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री शामिल रहे। शिष्टमंडल के सदस्यों को शॉल तथा श्रीकृष्ण की प्रतिमा देकर सम्मानित किया गया। गीता स्थली ज्योतिसर का लाइट एंड साउंड शो भी देखा।
21 अप्रैल को शिष्टमंडल ने गुरुग्राम को दौरा किया। वहां हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान के अधिकारियों से प्रशिक्षण के गुर सीखे। इस अवसर पर विधायी प्रारूपण में परस्पर ज्ञान और तकनीकों के साझा करने पर जोर दिया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रतिभागियों की दक्षता को बढ़ाएगा। वहां के अधिकारियों ने शिष्टमंडल का गर्मजोशी से स्वागत किया। शिष्टमंडल ने हिपा के जिम में भी गहरी दिलचस्पी दिखाई।
ग्रुप लीडर अलेजेन्ड्रो निकोलस ने सभी प्रतिनिधियों की मेजबानी के लिए हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि भारत की मूल ताकत उसके लोगों में निहित है। भारत के लोग बेहद प्यार करने वाले और गर्मजोशी से भरे हैं और भारत आना उनके लिए एक शानदार अनुभव रहा है। शिष्टमंडल हरियाणा व हरियाणवी प्रभाव से बहुत खुश होकर गुरुग्राम से विदा हुआ।
इस शिष्टमंडल में कोट डी-आइवर, इक्वेडोर, ग्वाटेमाला, होंडुरस, मालदीव, मंगोलिया, म्यांमार, नाइजर, नाइजीरिया, श्रीलंका, तंजानिया, जाम्बिया, जिम्बाब्वे समेत 13 देशों के संसदीय व न्यायिक प्रणाली से जुड़े 27 उच्च अधिकारी शामिल रहे। लोक सभा के वरिष्ठ अधिकारी भी इस शिष्टमंडल के साथ रहे। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से संसदीय प्रणाली की विशेषता व आवश्यकता का अनुभव जन-जन तक पहुंचता दिखा।

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