आर्द्रभूमि स्थलों को चिन्हित करना व उनका संरक्षण करना बहुत जरूरी : डॉ. दीपक राय

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

कुरुक्षेत्र 1 फरवरी : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्राणिशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. दीपक राय बब्बर ने विश्व आर्द्रभूमि दिवस पर जानकारी देते हुए कहा कि 2 फरवरी 1971 को ईरान के रामसर शहर में आर्द्रभूमि स्थलों को लेकर रामसर कंवेंशन या वैटलैंड कंवेंशन का आयोजन हुआ था। इस कंवेंशन का मुख्य उद्देश्य आर्द्रभूमि स्थलों को विश्वभर में चिन्हित करना एवं उनके संरक्षण की जागरूकता फैलाना था। आर्द्रभूमि यानी वैटलैंड जमीन का वह हिस्सा है जहां वर्ष भर पूरी तरह या थोड़ा बहुत पानी रहता है और ऐसे स्थलों पर प्रचुर मात्रा में संसाधन होते हैं जो जीव-जंतुओं एवं वनस्पतियों के लिए आवश्यक होते हैं। इसी अवधारणा को लेकर 2 फरवरी 1997 से पूरे विश्व में आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है।
डॉ. दीपक राय बब्बर ने बताया कि विश्व आर्द्रभूमि दिवस के उपलक्ष्य पर वर्ष 2 फरवरी को एक थीम के साथ विश्वभर के वैटलैंड्स स्थलों को बचाने के लिए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। वर्ष 2024 में विश्व आर्द्रभूमि दिवस का थीम ‘वैटलैंड्स एंड ह्यूमन वेलबीइंग’ है। इस दिन पर्यावरण प्रेमी वैटलैंडस की पारिस्थितिकी तंत्र में भूमिका से लोगों को अवगत करवाते हैं। वैटलैंड का हमेशा एक इकोलोजिकल महत्व रहा है। इस महत्व को लोगों के सामने पोस्टर व आउटरीच कार्यक्रमों के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। वर्ष 2021 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी विश्व आर्द्रभूमि दिवस के प्रस्ताव को अपनाया है। वैटलैंड पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने, इकोसिस्टम रिस्टोरेशन, जल शुद्धिकरण, वन्य जीवों के आवास के संरक्षण, कृषि एवं पर्यटन आदि कई लाभ प्रदान करते हैं। आर्द्रभूमियों पर खतरों की वजह से बहुत सारे वन्य जीवों महत्वपूर्ण आवास नष्ट हो गए हैं। वैंटलैंड्स कार्बन के भंडारण व जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी नियंत्रित करते हैं। वैटलैंड्स जलमार्गों से प्रदूषण को भी नियंत्रित करते हैं तथा बाढ़ के खतरे को भी कम करते हैं। इसी कारण आर्द्रभूमियों को किडनी ऑफ लैंडस्केप भी कहा जाता है।
वैटलैंड्स मुख्यतः जलीय जीवों के साथ पक्षियों की प्रजातियों के लिए मुख्य आवास स्थलों का निर्माण करते हैं।
विभिन्न वैटलैंड प्रवासी पक्षियों के लिए भी महत्वपूर्ण स्थल व आवास स्थलों का कार्य करते हैं। वैटलैंड्स पक्षियों में कॉमन कूट, टफ्टेड डक, नॉर्दन शोवलर, नॉर्थर्न पिनटेल, यूरेशियन विजन, कॉमन टील, ग्रे लेग गूस, साइबेरियन स्टोन चैट, लेसर व्हाइट थ्रोट, ग्रेट कार्मोरैंट, कॉमन स्टर्लिंग इत्यादि मिलते है। हरियाणा में लगभग हर गांव के अंदर एक तालाब आर्द्रभूमि के रूप में कार्य करता है तथा पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है। वैटलैंड्स को बायोलॉजिकल सुपर मार्किट भी कहा जाता है क्योंकि ये विस्तृत भोज्य जाल का निर्माण करते हैं।
हरियाणा राज्य में यमुना नदी की आर्द्रभूमि, सुलतानपुर राष्ट्रीय उद्यान की आर्द्रभूमि, सिरसा का ओटु बैराज, हथनी कुंड बैराज, बसैइ वैटलैंड, डिघल वैटलैंड, मानडोटी वैटलैंड आदि मुख्य आर्द्रभूमियां हैं। अगर हम कुरुक्षेत्र जिले को देखे तो विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मसरोवर, थाना कंजरवेशन रिर्जव, सुनेहड़ी का तालाब, अमीन गांव का तालाब महत्वपूर्ण वैटलैंड स्थल हैं। ये सभी स्थल पक्षियों की महत्वपूर्ण प्रजातियों के आवास स्थल के रूप में पारिस्थितिकी तंत्र में अपना योगदान दे रहे हैं। हमें सामाजिक स्तर पर इन वैटलैंड्स के संरक्षण के लिए कार्य करना चाहिए।

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