जयराम विद्यापीठ मात्र माध्यम बन कर आस्था और श्रद्धा से हर वर्ष करता है गीता जयंती महोत्सव का आयोजन : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी

जयराम विद्यापीठ मात्र माध्यम बन कर आस्था और श्रद्धा से हर वर्ष करता है गीता जयंती महोत्सव का आयोजन : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

जयराम विद्यापीठ में आज से शुरू होगी श्रीमद भागवत कथा। जयराम विद्यापीठ में लगा भव्य वाटरप्रूफ टेंट।

कुरुक्षेत्र, 16 दिसम्बर : देश के विभिन्न राज्यों में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के मार्गदर्शन में श्री जयराम विद्यापीठ में 17 दिसम्बर से 23 दिसम्बर तक अमृतमयी संगीतमय भागवत कथा का आयोजन होगा। भागवत भास्कर आचार्य श्याम भाई ठाकर कहेंगे। कथा के शुभारंभ अवसर पर देश के अनेकों संत महापुरुषों का सान्निध्य प्राप्त होगा।
जयराम संस्थाओं के मीडिया प्रभारी राजेश सिंगला ने बताया कि विद्यापीठ में सर्दी और बरसात के मौसम को देखते हुए विशेष विशाल वाटरप्रूफ टेंट का पंडाल बनाया गया है। पंडाल में हजारों लोगों के बैठने के लिए कुर्सियों तथा धरती पर गद्दों की भी व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि श्रीमद भागवत कथा के लिए विशेष आकर्षक स्टेज बनाई गई है। परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि श्री जयराम विद्यापीठ में हमेशा आस्था और श्रद्धा के साथ ही हर वर्ष गीता जयंती महोत्सव का आयोजन किया जाता है। जीवन के हर कष्ट तथा परेशानी का समाधान गीता में विद्यमान है। उन्होंने कहा कि अगर मनुष्य गीता में उतर कर जीवन जियेगा तो निश्चित ही जीवन धन्य होगा। आज समाज में आमतौर पर देखा जाता है कि हर कोई गीता की बात तो करता है लेकिन गीता का अनुसरण कम करते हैं। ब्रह्मचारी ने बताया कि गीता को जीवन में अपनाना चाहिए। जीवन में कैसा कर्म करना चाहिए, उसका निर्धारण ,मनुष्य को जीवन में स्वयं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने तो गीता में स्वयं कहा है कि प्राणी अपना कर्म करे, उसका फल मैं दूंगा। आज स्थिति विचित्र है कि मनुष्य अच्छा फल तो चाहता है लेकिन उसमें कर्म करने की क्षमता ही नहीं होती है। ब्रह्मचारी ने कहा कि जीवन के हर क्षेत्र में और हर समय अच्छे कर्म करने चाहियें। जीवन में मनुष्य हमेशा अच्छे कार्य करे, यही जीवन का सूत्र है। उन्होंने बताया कि पूरी गीता में भगवान ने केवल कर्म को प्रधानता दी है। स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को यही बताया है कि क्षत्रिय का कर्तव्य है कि अधर्म के विरुद्ध युद्ध करे। जनता की सेवा और जनता की सुरक्षा के लिए प्रत्येक राजा को अधर्मी के विरुद्ध युद्ध करना पड़ता है। अगर समाज में अधर्म फ़ैल रहा है तो इसे खत्म करने के लिए राजा को आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहाकि भगवान ने तो केवल अर्जुन को माध्यम बनाकर ही धर्म के विरुद्ध युद्ध लड़ा। महाभारत युद्ध में सभी अधर्मी भगवान द्वारा ही मारे गए थे। ब्रह्मचारी ने कहा कि जयराम विद्यापीठ भी केवल मात्र माध्यम बन कर ही आस्था और श्रद्धा के साथ ही हर वर्ष गीता जयंती महोत्सव का आयोजन करता है। इस अवसर पर राजेंद्र सिंघल, के.के. कौशिक, श्रवण गुप्ता, खरैती लाल सिंगला, टेक सिंह लौहार माजरा, राजेश सिंगला, जयपाल शर्मा, सतबीर कौशिक व रोहित कौशिक इत्यादि भी मौजूद थे।
जयराम विद्यापीठ के सजा संगीतमयी भागवत कथा के लिए पंडाल।

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