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कारगिल बलिदानी रामसमुझ यादव की स्मृति में इस बार भी लगेगा 30 अगस्त को

कारगिल बलिदानी रामसमुझ यादव की स्मृति में इस बार भी लगेगा 30 अगस्त को मेला।
पूर्वांचल के शहीद परिवारों का किया जाएगा सम्मान, तैयारी में जुटे बलिदानी के भाई प्रमोद।
ब्रिगेडियर के एस मेहरा होंगे मुख्य अतिथि, सांसद धर्मेंद्र यादव भी रहेंगे मौजूद।
जीत बहादुर लाल श्रीवास्तव।
सगड़ी (आजमगढ़): सगड़ी तहसील के अंजान शहीद बाजार स्थित शहीद पार्क में इस बार भी 30 अगस्त को बलिदानी रामसमुझ यादव की स्मृति में मेला का आयोजन किया गया है। शहादत दिवस पर लगने वाले मेले के मुख्य अतिथि सेना के ब्रिगेडियर के एस मेहरा और वीर नायक कारगिल योद्धा दीपचंद होंगे। पूर्वांचल के शहीद परिवारों का सम्मान किया जाएगा।
सगड़ी तहसील के नत्थूपुर गांव निवासी रामसमुझ यादव ने 1999 में हुए कारगिल युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देते हुए 30 अगस्त 1999 को अपना जीवन बलिदान कर दिया। बलिदानी के भाई प्रमोद यादव ने उनकी स्मृति को जीवंत रखने के लिए शहादत दिवस 30 अगस्त पर प्रतिवर्ष मेला लगाने का वर्षों पहले संकल्प लिया। अपने संकल्प को पूरा करने के लिए प्रमोद यादव पिछले 25 साल से लगातार मेला लगवाते चले आ रहे हैं। जिसमें क्षेत्र के हजारों लोग श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए एकत्रित होते हैं। बलिदानी के अदम्य साहस और देशभक्ति की बातें सुनकर आज भी लोग खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं। रामसमूझ के घर शादी की बात चल रही थी और राखी का त्यौहार भी था। इसलिए छुट्टी लिया और घर आने की तैयारी में जुट गए। लेकिन उसी दिन चंडीगढ़ पहुंचने के बाद पता चला कि छुट्टी रद्द कर दी गई है और कारगिल की लड़ाई में जाना है।बहन को एक चिट्ठी और कुछ पैसा लगा कर ड्यूटी पर लौट गए। कारगिल के हनीफ सेक्टर में 5685 पहाड़ी को दुश्मनों से खाली कराने का टास्क मिला। उस दिन बलिदानी को बहुत तेज बुखार था।उनके कुछ दोस्तो ने सी ओ को बताना चाहा कि उन्हें बहुत तेज बुखार है। इनको किसी दूसरे टास्क में भेजा जाय लेकिन देश भक्ति का ऐसा जज्बा रामसमुझ यादव पर चढ़ा था कि उन्होंने साथियों को ऐसा करने से मना कर दिया। सुबह चढ़ाई पर चल दिए।30 अगस्त 1999 को सुबह में दुश्मनों के ऊपर टूट पड़े और 21 पाकिस्तानियों का मारकर खदेड़ दिया। साहस के साथ लड़ते हुए दुश्मनों की गोली से शहीद हो गए। जब उनका पार्थिव शरीर उनके घर आया, इसी के कुछ देर बाद डाकिया भी उनके द्वारा बहन को भेजी गई चिठ्ठी,राखी और पैसा लेकर आया।गरीबी में पले राम समूझ यादव की पढाई 10 तक मौलाना आजाद इंटर कॉलेज अंजानशहीद और स्नातक की पढ़ाई गांधी डिग्री कॉलेज मालटारी से हुई थी। अभाव के चलते छुट्टी के दिनों में वह मजदूरी किया करते थे। स्कूल में एक दिन रविवार को मजदूरी का काम कर रहे थे तभी प्रिंसपल अजमल बेग ने उन्हें मजदूरी करते देख लिया। दूसरे दिन जब स्कूल पहुंचे तो प्रिंसिपल साहब ने उनको बुलवाया और पूछा कि राम समूझ कल आप कहा थे, तब उन्होंने ने बोला कि घर पर था। प्रिंसिपल साहब ने बोला कि आप झूठ बोल रहे हो। रोते हुए बलिदानी ने बताया कि सर मै स्कूल में कल मजदूरी कर रहा था क्योंकि मेरी छोटी बहन की तबियत बहुत खराब है,दवा का पैसा नहीं है और स्कूल की फीस नहीं जमा है। बहन की दवा और स्कूल की फीस जमा करने के लिए मजदूरी कर रहा था। ऐसे गरीबी की कोख से उपजे रामसमुझ यादव ने देश के लिए अपने को कुर्बान कर दिया। उनके छोटे भाई प्रमोद यादव ने बताया कि जो आया है उसको इस दुनिया से जाना ही है लेकिन मेरे भाई ने देश के लिए जो बलिदान किया है उससे हमारे परिवार का मस्तक ऊंचा हो गया है। जीवन में जब भी कभी देश के लिए कुछ करने का अवसर मिलेगा मेरा पूरा परिवार अपना सब कुछ समर्पित करने के लिए खड़ा हो जाएगा।

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