कश्मीर की बौद्धिक सम्पदा बहुत महान : डॉ. राज नेहरू

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

कश्मीर के पख़्तून समुदाय के 60 विद्यार्थियों ने किया श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय का अवलोकन।

पलवल : कश्मीर के पख्तून समुदाय के 60 विद्यार्थी बुधवार को श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय का अवलोकन करने पहुंचे। कौशल विकास यात्रा के अंतर्गत दुधौला स्थित विश्वविद्यालय परिसर पहुंचे इन विद्यार्थियों का कुलपति डॉ. राज नेहरू ने भावभीना स्वागत किया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर कश्मीरी विद्यार्थियों के साथ कश्मीरी भाषा में संवाद कायम किया तो विद्यार्थी काफी भावुक नजर आए। इंडियन मीडिया सेंटर और मीडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में पहुंची इस यात्रा का विश्वविद्यालय परिसर में भव्य स्वागत हुआ। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने उनके सामने हरियाणवी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देकर मनोरंजन किया। कश्मीरी विद्यार्थियों ने श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में पढ़ रहे विभिन्न राज्यों के विद्यार्थियों के साथ समन्वय भी स्थापित किया। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कश्मीर से आए इन विद्यार्थियों को श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में कौशल पर आधारित प्रोग्राम के साथ जुड़कर सक्षम बनने का आह्वान किया। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने इस अवसर पर कहा कि कश्मीर की बौद्धिक संपदा बहुत महान है। प्राचीन काल में कश्मीर की शारदा पीठ ने पूरी दुनिया को ज्ञान दिया। उन्होंने कहा कि व्याकरण के प्रणेता महर्षि पाणिनि, आरोग्य के महान विद्वान महर्षि चरक और सर्जरी के क्षेत्र में आदिकाल में विख्यात सुश्रुत कश्मीर में ही हुए हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर का जेनेटिक बहुत रचनात्मक है। कश्मीर आविष्कार की धरती है नवाचार की धरती है। उन्होंने इस मौके पर मीडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन के तत्वावधान में चलने वाले यूपीएससी के निशुल्क कोचिंग सेंटर की लांचिंग भी की और महा सचिव नरेंद्र सिंह को बधाई दी।
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की कुल सचिव प्रोफेसर ज्योति राणा ने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। कश्मीर से आए सभी विद्यार्थियों को हरियाणा की संस्कृति के बारे में अवश्य जानना चाहिए।
विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर आर एस राठौड़ ने भी विद्यार्थियों को प्रेरित किया।
छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रोफेसर कुलवंत सिंह ने श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की अवधारणा से विद्यार्थियों को अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि है यह देश का पहला राजकीय कौशल विश्वविद्यालय है और नवाचार के माध्यम से इस विश्वविद्यालय ने देश में एक नई पहचान स्थापित की है। प्रोफेसर कुलवंत सिंह ने कहा कि कौशल के साथ-साथ संस्कृति और परंपरा के संवर्धन के लिए भी विश्वविद्यालय कार्य कर रहा है।
कुलपति डॉ. राज नेहरू ने इंडियन मीडिया सेंटर के महासचिव नरेंद्र सिंह, सोनीपत इकाई के अध्यक्ष पवन राठी, छात्र दल का नेतृत्व कर रही रुकसाना, प्रिंसी, युवा सरपंच सरीन और सिमरन को सम्मानित किया। कश्मीर से आए मोहम्मद सामिर, तहसीन, नुसफर, कौसर, फराह खान और इफ्तू ने यहां पहुंचने पर प्रसन्नता जताई।
इस अवसर पर उप कुलसचिव डॉ. ललित शर्मा, एसोसिएट डीन डॉ. सविता शर्मा, डॉ. कल्पना माहेश्वरी, डॉ. प्रीति और डॉ. राज कुमार तेवतिया भी उपस्थित थे।
कश्मीर से आए विद्यार्थियों को संबोधित करते कुलपति डॉ. राज नेहरू।

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