कोरिया मोदक की मिठास से आया पोषण में बदलाव
स्वास्थ्य, समर्पण और स्व-सहायता का अनूठा संगम
कम वजन वाले बच्चों के जन्म में गिरावट, महिलाओं की आमदनी में बढ़ोतरी

कोरिया 25 अगस्त 2025/ छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले ने पोषण सुधार और मातृ-शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखा है। ‘कोरिया मोदक‘ नामक नवाचार ने न सिर्फ गर्भवती महिलाओं की सेहत संवारने का कार्य किया, बल्कि नवजात बच्चों में कम वजन के जन्म की समस्या को भी आश्चर्यजनक रूप से कम किया है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में कुपोषण को जड़ से समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं, मातृ स्वास्थ्य, बच्चों के स्वस्थ विकास और समग्र कल्याण को नई दिशा मिल रही है। पोषण पुनर्वास केंद्रों में माताओं और बच्चों के लिए समर्पित देखभाल, स्वच्छता जागरूकता, संतुलित आहार और नियमित स्वास्थ्य जांच की व्यापक व्यवस्था की गई है।
इसी कड़ी में कोरिया कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री के मंशानुरूप जिले में डीएमएफ मद से फरवरी 2025 से ‘कोरिया मोदक‘ निर्माण करने जैसे नवाचार प्रारंभ की है। अब तक दो हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन दो ‘कोरिया मोदक‘ लड्डू दिए जा चुके हैं। इस पहल से महिलाओं के स्वास्थ्य में सकारात्मक परिवर्तन हुआ है, साथ ही कम वजन वाले बच्चों (एलबीडब्ल्यू) की जन्म दर में 15 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है।
बिहान से जुड़ीं महिलाएं बनीं पोषण की वाहक
बैकुंठपुर ब्लॉक के ग्राम आनी में ज्योति स्व-सहायता समूह और माँ शारदा समूह की 25 महिलाओं ने इस योजना को गति दे रही है। सत्तू, गुड़, मूंगफली, तिल, जौ, चना और घी से बने ये स्वादिष्ट व पौष्टिक लड्डू मौसम अनुसार तैयार किए जाते हैं।प्रतिदिन 1500 से 2000 कोरिया मोदक तैयार कर रही हैं, अब-तक 3 लाख से अधिक लड्डू वितरित कर चुके हैं और प्रत्येक महिला को 10-12 हजार मासिक आमदनी हो रही है यानी 5 माह में 60 हजार रुपए तक लाभ हुआ है। यह नवाचार महिलाओं के लिए आजीविका का नया जरिया भी बन गई है।
गर्भवती को पांचवें माह से प्रसव तक मिल रहा लाभ
लड्डू केवल उन्हीं महिलाओं को दिए जाते हैं, जो गर्भावस्था के पांचवें महीने में प्रवेश कर चुकी हों। पोषण संगवारी कार्यकर्ता घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं को लड्डू सेवन के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसका असर अब स्वास्थ्य रिपोर्ट में भी साफ नजर आने लगा है।
सांख्यिकी कहती है, कोरिया मोदक वितरण से सोनहत विकासखंड (जनवरी-मई 2025) 348 प्रसव हुआ है, जिनमें से 336 महिलाओं को लड्डू वितरण किया गया। इस तरह एलबीडब्ल्यू 8.16 प्रतिशत से घटकर 5.33 प्रतिशत हो गया, कम वजन वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या 18 से घटकर 16 हो गई। इसी तरह बैकुंठपुर विकासखंड (जनवरी- मई 2025) में 1464 गर्भवती महिलाओं में से 1375 महिलाओं को लड्डू वितरण किया गया और एलबीडब्ल्यू प्रतिशत में भारी गिरावट आया। 14.49 प्रतिशत से घटकर 6.09 प्रतिशत हो गया है, वहीं कम वजन वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या भी 77 से घटकर 60 हो गई है।
कलेक्टर की संवेदनशील पहल बनी पोषण क्रांति का आधार
कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी ने बताया कि जब वे यहां पदस्थ हुई तो शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य, बिजली, साफ पेयजल, आवास जैसी बुनियादी जरूरतों के साथ कुपोषण के खिलाफ खासकर कम वजन वाले बच्चों के जन्म दर को कम करने की रणनीति तैयार की और उसी रणनीति का हिस्सा रहा है ‘कोरिया मोदक‘ लड्डू। उन्होंने बताया कि ‘गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्त पोषण देना जरूरी है, ताकि अगली पीढ़ी स्वस्थ और सबल हो। कोरिया मोदक एक स्थानीय समाधान है, जो स्वाद और सेहत दोनों को साथ लेकर चलता है। हमारा प्रयास है कि आने वाली पीढ़ियाँ कुपोषण से मुक्त हो।‘
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा ‘लड्डू वितरण से पोषण स्तर में सुधार स्पष्ट है। आने वाले समय में इसे और अधिक सघन तरीके से लागू किया जाएगा, जिससे हर गर्भवती महिला इसका लाभ ले सके।‘
निश्चित ही ‘कोरिया मोदक‘ केवल लड्डू नहीं, बल्कि पोषण, महिला सशक्तीकरण और भविष्य की पीढ़ी के स्वास्थ्य की गारंटी है। कोरिया जिले की यह पहल राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अनुकरणीय मॉडल बनने की ओर बढ़ रही है।