विधिक साक्षरता शिविर के माध्यम से बाल सम्प्रेक्षण गृह में बच्चों दी गई कानूनी जानकारी

रायगढ़, 12 जून 2025/ विश्व बाल श्रम विरोध दिवस के अवसर पर श्री संजय जायसवाल, जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायगढ़ के निर्देशन में, श्री शान्तनु कुमार देशलहरे, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायगढ़ द्वारा बाल सम्प्रेक्षण गृह रायगढ़ में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। उक्त शिविर में सचिव श्री शान्तनु कुमार देशलहरे, द्वारा बालकों को बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 पर विस्तार से जानकारी देते हुए यह बताया गया कि बाल श्रमिकों के हित के संरक्षण हेतु उक्त अधिनियम बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 बनाया गया है, जिसके अन्तर्गत अधिसूचित खतरनाक क्षेत्र जैसे- सीमेन्ट कारखाने में सीमेन्ट बनाना, बीड़ी बनाना, तम्बाकू प्रशंसकरण, चमड़ा या लाख बनाना, ईंट भ_ा व खपरैल, आटोमोबाईल मरम्मत, जूट बनाना, मोटरगाड़ी वर्कशॉप व गैरेज इत्यादि में बाल श्रमिक का नियोजन पूर्णत: प्रतिबन्धित है।
सचिव श्री शान्तनु कुमार देशलहरे के द्वारा बालश्रम को केवल कानून से ही दूर नहीं किये जा सकने, अपितु इसके लिये समाजसेवी व्यक्ति तथा संगठन का योगदान आवश्यक होने पर बल देते हुए, बाल श्रम के उन्मूलन के लिये सघन कार्यवाही की जरूरत होना बताया गया। सचिव द्वारा यह भी बताया गया कि इसके अतिरिक्त व्यक्तिगत रूप से भी सहयोग प्रदान किया जा सकता है। जैसे- घर में किसी बच्चे को कार्य पर न रखा जाए तथा अपने साथी कार्यकर्ताओं को भी बाल श्रमिक न रखने की सलाह दी जाए। इसके अलावा मजदूर कालोनी में भी मजदूरों के घर में बाल श्रमिकों को काम करने से रोकने की कोशिश की जा सकती है। काम करने के स्थान पर भी जाकर बाल श्रमिकों को काम पर न लगाने की सलाह प्रबंधकों को दी जा सकती है तथा कारखानों की कैंटीनों में काम करने वाले तथा ठेकेदार के अधीन काम करने वाले बाल श्रमिकों को काम करने से रोकने के लिये कहा जा सकता है।
सचिव श्री देशलहरे द्वारा यह बताया गया कि यदि खतरनाक क्षेत्रों में बाल श्रमिक नियोजित होना पाये जाते हैं तो दोषी नियोजक को कम से कम तीन माह एवं अधिकतम 01 वर्ष का कारावास एवं कम से कम 10 हजार रूपये तथा अधिकतम 20 हजार रूपये के जुर्माना से दण्डित किये जाने का प्रावधान है।