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लोकल से वोकल” और महिला सशक्तिकरण की मिसाल धमतरी जिले से शुरू हुई ग्रीन पटाखों की पहल, दिवाली होगी स्वच्छ और सुरक्षित ग्राम चटोद में महिलाएँ ग्रीन पटाखों के निर्माण में जुटीं, 100 से अधिक को मिला रोज़गार

धमतरी, 03 सितम्बर 2025/ धमतरी जिले के ग्राम चटोद में स्थानीय महिलाएँ अब पर्यावरण अनुकूल ग्रीन पटाखों के निर्माण में संलग्न हैं। यह पहल प्रदूषण मुक्त त्योहार और ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार का नया अवसर साबित हो रही है।
कलेक्टर ने किया निरीक्षण, लिया सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा
कलेक्टर श्री अबिनाश मिश्रा आज श्री गणेशा फायरवर्क्स यूनिट पहुँचे और वहाँ की सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण किया। उन्होंने कामकाजी महिलाओं से संवाद कर निर्माण प्रक्रिया एवं गुणवत्ता की जानकारी प्राप्त की तथा मौके पर ग्रीन पटाखा चलाकर उसकी सुरक्षा और प्रभाव का अनुभव भी किया।गणेशा फायरवर्क्स को 5 एकड़ जमीन लीज पर मुहैया करायी गयी है ।
सख्त सुरक्षा निर्देश : अग्नि शमन व्यवस्था और मॉक ड्रिल अनिवार्य
’निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने मैनेजमेंट और अधिकारियों को निर्देश दिए कि फैक्ट्री परिसर में अग्नि शमन की मजबूत व्यवस्था हर समय उपलब्ध रहे। समय-समय पर मॉक ड्रिल कराई जाए और माचिस जैसे ज्वलनशील पदार्थ परिसर में लाने पर प्रतिबंध लगाया जाए। सुरक्षा संबंधी सूचनाओं के बोर्ड प्रमुख स्थानों पर लगाए जाएँ। एसडीएम कुरूद नभ सिंह साथ थे।’
सेल्स हेड ने बतायाः ग्रीन पटाखे बिना बारूद के, सुरक्षित और प्रदूषण रहित
यूनिट के सेल्स हेड श्री आशीष सिंह ने बताया कि ग्रीन पटाखों में बारूद का प्रयोग नहीं होता, जिससे यह पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं और प्रदूषण भी नहीं फैलाते। पाँच एकड़ भूमि पर स्थापित इस यूनिट में लगभग 100 महिलाओं को प्रत्यक्ष रोज़गार मिला है। आने वाले समय में विवाह समारोहों और अन्य आयोजनों के लिए भी ग्रीन पटाखों की विभिन्न किस्में उपलब्ध कराई जाएंगी।
“लोकल से वोकल” और महिला सशक्तिकरण की मिसाल
कलेक्टर श्री मिश्रा ने कहा कि चटोद में स्थापित ग्रीन पटाखा यूनिट आत्मनिर्भरता और स्वच्छता की दिशा में एक अनूठा प्रयास है। यह पहल ‘लोकल से वोकल’ की भावना को साकार करती है। महिलाएँ आत्मनिर्भर बन रही हैं और समाज को सुरक्षित विकल्प मिल रहा है। यह यूनिट धमतरी जिले में रोज़गार सृजन और पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बनेगी।

धमतरी बनेगा स्वच्छ आतिशबाज़ी का केंद्र
ग्रीन पटाखों की यह पहल दिवाली जैसे त्योहारों को स्वच्छ और सुरक्षित बनाने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगी। इससे महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ेगा और पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा का मार्ग प्रशस्त होगा।

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