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मंत्रोच्चारण के साथ जग ज्योति दरबार में भीषण गर्मी के बीच महंत राजेंद्र पुरी ने शुरू की राष्ट्रहित की कामना से पंच धूणी कठोर अग्नि तपस्या

मंत्रोच्चारण के साथ जग ज्योति दरबार में भीषण गर्मी के बीच महंत राजेंद्र पुरी ने शुरू की राष्ट्रहित की कामना से पंच धूणी कठोर अग्नि तपस्या।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

करीब दो दशकों से भीषण गर्मी में हर वर्ष आग की धूणी (ढेरों) के बीच कठोर अग्नि तपस्या करते हैं महंत राजेंद्र पुरी।

कुरुक्षेत्र, 1 मई : हर वर्ष की भांति वीरवार को जग ज्योति दरबार में मंत्रोच्चारण के साथ भीषण गर्मी के बीच महंत राजेंद्र पुरी ने राष्ट्रहित एवं सर्व कल्याण की कामना से पंच धूणी कठोर अग्नि तपस्या शुरू की। इस मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु आस्था एवं भक्ति भाव के साथ पहुंचे। महंत राजेंद्र पुरी ने अपने गुरु का आशीर्वाद लेने के उपरांत भजन संकीर्तन के बीच कठोर अग्नि तपस्या प्रारंभ की। महंत राजेंद्र पुरी ने बताया कि वे हर वर्ष जनकल्याण एवं राष्ट्रहित के लिए आग के ढेरों बीच कठोर तप करते हैं। इस बार यह अग्नि तपस्या प्रभु कृपा से सवा महीने तक चलेगी। उन्होंने बताया कि उनके परिवार की चौथी पीढ़ी इस कड़े तप को कर रही है। कठोर अग्नि तपस्या में दर्शनों के लिए दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए जग ज्योति दरबार में भंडारे की भी व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि ऐसी कामना है कि सभी लोगों को सुख समृद्धि एवं विकास मिले। महंत राजेंद्र पुरी ने तपस्या के दौरान ही श्रद्धालुओं से कहा कि मंदिर, मस्जिद व गुरुद्वारों में जाने से पहले अपने माता पिता की पूजा अवश्य करें साथ ही आशीर्वाद लें। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सवाल करते हैं कि भगवान कहां है तो उनका जवाब होता है कि तपस्या करने से ही भगवान का अहसास होता है। भगवान तो अपने चाहने वालों को इस तपती आग में भी ठंडी हवाओं का अहसास करवाते हैं। महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि वे अपने तप में भगवान से कामना करते हैं कि सभी पर भगवान की कृपा हो। उन्होंने कहा कि जग ज्योति दरबार में जो भी कार्य किए जा रहे हैं। राष्ट्रहित में किए जा रहे हैं। दूसरों की भलाई में बहुत आनंद आता है।
भीषण गर्मी में आग के ढेरों के बीच तप करते हुए महंत राजेंद्र पुरी तथा मौजूद श्रद्धालु।

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