महंत जगन्नाथ पुरी के मार्गदर्शन में गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर गांव मेघा माजरा में लंगर का आयोजन

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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छाया – धर्मचंद वर्मा।

खालसा पंथ की स्थापना करने वाले सिखों के 10 वें गुरु गोबिंद सिंह हैं : महंत जगन्नाथ पुरी।

कुरुक्षेत्र, 9 जनवरी : तीर्थों की संगमस्थली एवं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के गांव मेघा माजरा में रविवार को अखिल भारतीय श्री मार्कंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी के मार्गदर्शन में सरपंच जसवंत सिंह, मा. जरनैल सिंह, संदीप उपाध्याय, अमरजीत उपाध्याय, बलजीत गोयत, कुलदीप गोयत, महावीर सिंह, भान सिंह नागरा, मांगेराम, सिंघाराम, जंग बहादुर, भूरा भेणीवाल, राम चंद्र भेणी वाल, भापला कश्यप इत्यादि ग्रामीणों ने गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर विशाल चाय तथा ब्रेड पकोड़ों का लंगर लगाया गया। महंत जगन्नाथ पुरी ने गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि गुरु गोबिंद सिंह को एक महान योद्धा, आध्यात्मिक गुरु, कवि और दार्शनिक के रूप में जाना जाता है। इस बार 9 जनवरी 2022 को गुरु गोबिंद सिंह जयंती पड़ रही है। उन्होंने बताया कि सिखों के 10 वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती नानकशाही कैलेंडर के मुताबिक हर साल पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित करते हुए गुरु परंपरा को खत्म किया था। इसके लिए साल 1699 में उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी। महंत जगन्नाथ पुरी ने कहा कि सिखों के लिए ये घटना सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। गुरु गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हुआ था। जिस जगह उनका जन्म हुआ,उसे अब पटना साहिब नाम से जाना जाता है। बचपन में उनका नाम गोविंद राय था। उनके पिता गुरु तेग बहादुर थे। उन दिनों मुगलों का शासन था। औरंगजेब गद्दी पर था। औरंगजेब के शासन में इस्लाम को राजधर्म घोषित किया गया। वह जबरन हिंदुओं को धर्म परिवर्तन करवा रहा था। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि औरंगजेब से प्रताड़ित लोग गुरु तेग बहादुर के पास फरियाद लेकर पहुंचे, लेकिन औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक पर गुरु तेज बहादुर का सरेआम सिर कटवा दिया। पिता के निधन के समय गोबिंद मात्र 9 साल के थे। उन्हें तुरंत गुरु बना दिया गया। 11 नवंबर 1675 को गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु पद की जिम्मेदारी ली। उसके बाद से उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में गुजार दिया। बाद में गुरु गोबिंद ने गुरु प्रथा का अंत कर दिया। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और गुरु ग्रंथ साहिब को ही सबसे बड़ा बताया। जिसके बाद सिख समुदाय गुरु ग्रंथ साहिब की पूजा करने लगे। उन्होंने सिख समुदाय के लिए सबसे बड़ा फैसला लिया।
श्रद्धालुओं के साथ महंत जगन्नाथ पुरी।

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