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हरियाणवी रागनियों से सजी कला परिषद की शाम, प्रेम देहाती की गायकी ने बांधा समां

हरियाणवी रागनी कार्यक्रम में प्रेम सिंह देहाती की गायकी के कायल हुए श्रोता।
लोक कलाकार प्रदेश की संस्कृति के सच्चे प्रहरी हैं : धर्मबीर मिर्जापुर।

कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 30 अगस्त : हरियाणा की लोकसंस्कृति में रागनी एक महत्त्वपूर्ण कला है। पाश्चात्य संस्कृति के कारण युवा वर्ग में हरियाणवी रागनी धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। पुराने समय में रागनी केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं थी, बल्कि समाज में चेतना लाने के लिए रागनी गायन किया जाता था। वर्तमान में लोक कलाकार ही प्रदेश की संस्कृति के सच्चे प्रहरी हैं, जो अपनी प्रतिभा के माध्यम से कला और संस्कृति का निरंतर विस्तार कर रहे हैं। ये कहना था हरियाणा पशुधन बोर्ड के अध्यक्ष धर्मबीर मिर्जापुर का। वे हरियाणा कला परिषद द्वारा कला कीर्ति भवन में आयोजित रागनी कार्यक्रम में श्रोताओं को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। मौका था कला परिषद का साप्ताहिक संध्या का, जिसमें हरियाणा के ख्याति प्राप्त तथा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित रागनी गायक प्रेम सिंह देहाती द्वारा हरियाणवी रागनियों की प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर जिला भाजपा उपाध्यक्षा अनु माल्यान विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रही। कार्यक्रम से पूर्व हरियाणा कला परिषद के कार्यालय प्रभारी धर्मपाल गुगलानी ने पुष्पगुच्छ देकर अतिथियों का स्वागत किया। मंच का संचालन विकास शर्मा द्वारा किया गया। रागनी कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम का आगाज प्रेम सिंह देहाती ने ईश्वर वंदना से किया। जिसमें रखियो रख्यिो जी लाज हमारी, कृष्ण मुरारी रागनी के माध्यम से प्रेम सिंह देहाती ने भगवान कृष्ण की महिमा का गुणगान किया। इसके बाद चार दिन की चमक चांदनी करले जो करना, फेर बुढ़ापा बैरी आवे दुख पड़े भरना जैसी रागनी के माध्यम से जीवन के सच को उजागर किया। अलग अलग पंक्ति में प्रेम सिंह ने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। एक के बाद एक रागनी से प्रेम सिंह ने खूब समां बांधा। श्रोताओं की डिमांड पर प्रेम सिंह द्वारा मटरु की बिजली का मंडोला तथा दादा लख्मी जैसी फिल्मों में गाई गई रागनियों तथा लोकगीतों को भी प्रेम सिंह ने श्रोताओं की नजर किया। कार्यक्रम में आजाद सिंह ने हरमॉनियम, राजेश ने नगाड़ा वादन, इकबाल हुसैन ने सारंगी, मौसम ने ढोलक पर संगत दी। वहीं रोहताश नागर व राजा ने कोरस में साथ दिया। कार्यक्रम के दौरान विशिष्ट अतिथि अनु माल्यान ने श्रोताओं को सम्बोंधित करते हुए कहा कि रागनी सामाजिक संदेश देने, वीर रस जगाने और लोक इतिहास को संजोने का एक प्रभावशाली ज़रिया रही है। हरियाणा की रागनी न केवल मनोरंजन का एक सशक्त माध्यम रही है, बल्कि समाज सुधार की दिशा में भी इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। अंत में अतिथियों द्वारा सभी कलाकारों को सम्मानित किया गया। हरियाणा कला परिषद की ओर से धर्मपाल गुगलानी ने मुख्य अतिथि धर्मबीर मिर्जापुर तथा विशिष्ट अतिथि अनु माल्यान को स्मृति चिन्ह भेंट कर आभार जताया।

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