विकसित भारत 2047 में विज्ञान तकनीक की अहम भूमिका : प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा
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विकसित भारत 2047 में विज्ञान तकनीक की अहम भूमिका : प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के उन्नत होने से विकसित भारत का सपना होगा साकार : प्रो. रंजना अग्रवाल।
केयू तथा हरियाणा राज्य विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी की अद्भुत दुनिया’ विषय पर दो दिवसीय विज्ञान कॉन्क्लेव का हुआ शुभारम्भ।
कुरुक्षेत्र, 04 फरवरी : विकसित भारत 2047 में विज्ञान तकनीक की अहम भूमिका है। भारत के विश्व की आर्थिक महाशक्ति बनने का रास्ता विज्ञान, तकनीक एवं अनुसंधान से निकलता है। युवाओं को विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में जिज्ञासु, तार्किक चिंतन एवं सृजनात्मक होना चाहिए तभी वे नवाचार के माध्यम से विकसित भारत अभियान में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। यह उद्गार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने मंगलवार को श्रीमद्भगवद् गीता सदन (ऑडिटोरियम हॉल) में केयू तथा हरियाणा राज्य विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी की अद्भुत दुनिया’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय विज्ञान कॉन्क्लेव के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए। इससे पहले कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा, कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल, निदेशक डॉ. रंजना अग्रवाल, केयू डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. दिनेश कुमार, डीन प्रो. संजीव अरोड़ा, प्रो. जीपी दुबे, डॉ. सुमन मेहंदिया व डॉ. दीपक राय बब्बर द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि जिज्ञासा, तार्किक चिंतन एवं सृजनात्मकता के बल पर सीवी रमन ने पूरे विश्व में भारत का नाम रोशन किया। वे पहले एशियाई एवं भारतीय युवा वैज्ञानिक थे जिन्हें नोबल पुरस्कार मिला। वहीं थॉमस एडिसन ने स्वाध्याय के बल पर दस हजार मैटेरियल पर शोध कर विद्युत बल्ब की खोज की थी। भारत के मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भारतीय सैटेलाइट लांच व्हीकल, परमाणु परीक्षण में अपनी अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे युवा देश है, युवा ही देश को साइंस एवं तकनीक के द्वारा विकसित देश बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं। उन्होंने केयू द्वारा ए प्लस प्लस ग्रेड प्राप्त करने, एनईपी को सभी प्रावधानों को साथ लागू करने तथा खेल एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में केयू के अग्रणी रहने की बात कही।
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि प्रो. रंजना अग्रवाल, केयू एलुमनी व निदेशक, सीएसआईआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर) नई दिल्ली ने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण के उन्नत होने से विकसित भारत का सपना साकार होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 चार सूत्रों पर आधारित है जिनमें विद्यार्थी शिक्षा को गुरु एवं शिष्य, स्वाध्याय, समूह एवं समय के साथ अनुभव के साथ ग्रहण करता है। उन्होंने विद्यार्थियों से प्रश्न पूछने की जिज्ञासा पैदा करने का आह्वान भी किया। उन्होंने कुवि कुलपति को एनईपी को पूरे देश में सर्वप्रथम लागू करने पर बधाई भी दी। इस अवसर पर सभी अतिथियों द्वारा दो दिवसीय कॉन्क्लेव की स्मारिका का भी विमोचन किया गया।
कॉन्क्लेव के सह-संरक्षक एवं डीन साइंस प्रो. संजीव अरोड़ा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस दो दिवसीय साइंस कॉन्क्लेव का उद्देश्य युवा मस्तिष्क को एक मंच प्रदान करना है ताकि वे विज्ञान, तकनीक एवं नवाचार के माध्यम से नई चुनौतियों को सामना कर सकें।
संयोजक प्रो. राजेश खरब ने दो दिवसीय साइंस कॉन्क्लेव की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि विज्ञान एवं तकनीक ने जीवन को सरल बना दिया है। युवा छात्र विज्ञान एवं तकनीक के सिद्धांतों एवं जटिलताओं को रिसोर्स पर्सन के व्याख्यान के माध्यम से आसानी से समझ सकेंगे।
आयोजन सचिव डॉ. सुमन मेहंदिया ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया तथा मंच का संचालन प्रो. विवेक चावला ने किया। इस मौके पर कुवि कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल, केयू डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. दिनेश कुमार, प्रो. एसपी सिंह, प्रो. हरि सिंह, प्रो. जीपी दुबे, प्रो. आरके मोदगिल, प्रो. अनीता भटनागर, प्रो. जसबीर ढांडा, प्रो. परमेश कुमार, डॉ. मुकेन्द्र कादियान, डॉ. दीपक राय बब्बर, डॉ. सोमबीर जाखड़, डॉ. सोहन लाल, डॉ. नीरज बातिश, डॉ. हितेन्द्र त्यागी, डॉ. जितेन्द्र भारद्वाज सहित आयोजन समिति के सभी सदस्य, शिक्षक, विभिन्न स्कूलों के शिक्षक, विद्यार्थी मौजूद रहे।
प्रदर्शनी ने वैज्ञानिक परिकल्पना को किया साकार।
साइंस कॉन्क्लेव के पहले दिन क्रश हॉल में आयोजित विज्ञान और प्रौद्योगिकी की अद्भुत दुनिया को लेकर प्रदर्शित की गई प्रदर्शनी में विद्यार्थियों ने वैज्ञानिक परिकल्पना को साकार किया। महाराणा प्रताप स्कूल, कुरुक्षेत्र के 10वीं कक्षा के विद्यार्थी लविश, निश्चय सैनी तथा परम ने सैंसर युक्त स्मार्ट छड़ी प्रदर्शित की जो दिव्यांग जनों का सहारा बनेगी। वहीं ओवर स्पीडिंग के चलते होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सड़कों के दोनों ओर सेंसर लगाने को मॉडल को प्रदर्शित करते हुए गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी मॉडल स्कूल के 12 वीं कक्षा के राघव व नंदन ने बताया कि धुंध के समय में जब वाहन टकराते हैं तो पीछे से आने वाले वाहन भी टकराते चले जाते हैं। उसी समस्या के समाधान स्वरूप छात्रों ने सड़कों दोनों ओर सेंसर लगाने का मॉडल प्रस्तुत किया है ताकि दुर्घटनाग्रस्त वाहन का संकेत सड़क पर चलने वाले अन्य वाहनों को मिल सके।
प्रदर्शनी में ट्रांसलैंस प्रोजेक्ट के माध्यम से महाराणा प्रताप पब्लिक स्कूल, कुरुक्षेत्र 9वीं कक्षा के विद्यार्थी राघव, रुद्रा व दिव्यांश ने अनुवादक की समस्या का समाधान किया है। उन्होंने बताया कि ट्रांसलैंस प्रोजेक्ट किसी भी भाषा को अंग्रेजी भाषा में समझने का सरलतम उपकरण है तथा इसमें अनुवादक की भी जरूरत नहीं होती। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में अभी 9 भाषाओं को कोडिंग किया गया है। इसके साथ ही प्रदर्शनी में विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों द्वारा पर्यावरण संरक्षण, सौर ऊर्जा, जल प्रबंधन आदि विषयों पर मॉडल प्रदर्शित किए गए। संयुक्त आयोजन सचिव डॉ. दीपक राय बब्बर ने बताया कि प्रदर्शनी एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में 14 तथा 17 स्कूल पोस्टर प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं।