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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की 100 साल की गौरव यात्रा……….

कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर०एस०एस०) ने अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह संगठन, दुनिया का सबसे बड़ा स्वैच्छिक संगठन है, जिसनें भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक, राष्ट्रीयता प्रेम भाव और राजनीतिक उत्थान के लिए लंबा संघर्ष किया है। आर०एस०एस० जिसकी स्थापना 1925 में विजयदशमी के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। आर०एस०एस० ने अपने 100 वर्षों की यात्रा में कई महत्वपूर्ण पड़ाव पार किए हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने राष्ट्र निर्माण और भारत माता को परम वैभव पर ले जाने के लिए व्यक्ति निर्माण के लिए दैनिक शाखा को सर्वोत्तम माना है जिससे लाखों कार्यकर्ता तैयार होकर देश प्रेम की भावना से दिन-रात कार्य करते हैं और अधिकतर क्षेत्रों में संघ के निष्ठावान कार्यकर्ता निष्काम और निस्वार्थ भाव से इस राष्ट्र को ‌‌‍‌सशकत बनाने के लिए कार्य करते आ रहे हैं। इस सौ वर्ष की यात्रा में अनेक महापुरुषों और निस्वार्थ भाव से कार्य करने वाले स्वयंसेवकों और उनके परिजनों का स्मरण भी अत्यन्त आवश्यक है। दुनिया के सबसे बड़े स्वयं सेवी संगठन में हजारों स्वयं सेवक अपना सम्पूर्ण जीवन निःस्वार्थ भाव से मां भारती की सेवा में प्रचारक बनकर लगा रहे हैं। संघ की प्रचारक पद्धति भारतीय संस्कृति की उस परम्परा का अनुसरण कर रही है जिसमें परिवार के एक सदस्य का देश सेवा के लिए समय देना अनिवार्य माना जाता रहा है ।
इस संगठन ने समाज के हर वर्ग तक पहुँचने और उन्हें सशकत राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित करने का कार्य किया है। आर०एस०एस ने शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और सामाजिक सुधारों के क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान दिया है। संघ का यह सफर त्याग, समर्पण, सेवा और राष्ट्रभक्ति से परिपूर्ण रहा है। जो निस्वार्थ भाव से देश सेवा में अनवरत कार्य करता आ रहा है। जब-जब भी देश पर किसी भी प्रकार आपदा-विपदा आई आर०एस०एस० ने निस्वार्थ भाव से आगे आकर राष्ट्रवासियों की सेवा की है।
संघ व्यक्ति निमार्ण का कार्य करता है, और संघ का एक मात्र ध्येय है भारत विश्व गुरु बने, भारतीय संस्कृति एक प्राचीनतम संस्कृति है इसको पूरी दुनिया में स्वीकार्यता मिले। इसके लिए संघ सतत कार्य कर रहा है। संघ की अटूट साधना से ही आज भारत दुनिया का केन्द्र बिन्दु बनता जा रहा है। इस यात्रा में संघ की महत्वपूर्ण भुमिका सदैव रही है। संघ की शाखा से निर्मित होकर लाखो स्वयंसेवक अनेको क्षेत्रो में चाहे किसान हो, मजदूर हो, कर्मचारी हो, विद्यार्थी हो, वंचित हो, धार्मिक क्षेत्र हो, शिक्षा क्षेत्र हो, सेवा संस्कार का क्षेत्र हो, राजनीति क्षेत्र हो सभी क्षेत्रो में संघ के अनेको समर्पित स्वयं सेवक कार्य कर रहे है। इसके अलावा आरएसएस के अनेक अनुषांगिक संगठन भी है जो विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं और समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुँचने का प्रयास करते हैं। ये संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को आधार मानकर राष्ट्र और समाज की सेवा के लिए सक्रिय हैं। कुछ प्रमुख अनुषांगिक संगठन और उनके कार्य इस प्रकार हैं। बजरंग दल: यह संगठन हिंदू युवाओं को संगठित करने और उन्हें राष्ट्रीय मुद्दों पर जागरूक करने के लिए काम करता है। विद्या भारती: यह संगठन शिक्षा के क्षेत्र में काम करता है और राष्ट्रीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए स्कूल और कॉलेज चलाता है। सेवा भारती: यह संगठन वंचित वर्गों के लिए काम करता है और उन्हें स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य आवश्यक सेवाएं प्रदान करता है। राष्ट्र सेविका समिति: यह संगठन महिलाओं के लिए काम करता है और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करता है। लघु उद्योग भारती: यह संगठन छोटे और मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। भारतीय विचार केन्द्र: यह संगठन राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार और चर्चा को बढ़ावा देता है। विश्व संवाद केन्द्र: यह संगठन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर संवाद और चर्चा को बढ़ावा देता है। राष्ट्रीय सिख संगत: यह संगठन सिख समुदाय के साथ संवाद और सहयोग को बढ़ावा देता है। हिन्दू जागरण मंच: यह संगठन हिंदू समुदाय को जागरूक करने और उन्हें राष्ट्रीय मुद्दों पर एकजुट करने के लिए काम करता है। विवेकानन्द केन्द्र यह संगठन युवाओं को स्वामी विवेकानंद के आदर्शों और विचारों से प्रेरित करने के लिए काम करता है। इन संगठनों के माध्यम से आरएसएस समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुँचने और उन्हें राष्ट्रीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है।
संघ का उद्देश्य समाज में शांति, समरसता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना है। संघ के द्वितीय सर संघ चालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर (उर्फ गुरुजी) के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शाखाओं का विस्तार किया और पूरे भारत में अपने कार्यों को फैलाया।
संघ ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण के लिए भी अद्वितीय कार्य किए हैं। संघ ने योग, आयुर्वेद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय ज्ञान और विज्ञान की महत्ता को बढ़ावा दिया है। आर०एस०एस ने आपदा प्रबंधन में भी अग्रणी भूमिका निभाई है और समाज के वंचित वर्गों तक पहुँचने का कार्य किया है।
आर०एस०एस० अपने शताब्दी वर्ष में एक लाख संगठन केंद्रों तक पहुँचने की योजना बना रहा है। इसके लिए अनुषांगिक संगठनों के सहारे वह समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुँचने का प्रयास करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित डॉ. भीमराव अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, मोरार जी देशाई, डॉ. ए०पी०जे० अब्दुल कलाम और प्रणव मुखर्जी सहित अनेकों देश-विदेश के संत महापुरुषों ने संघ की राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव की भूमिका सहराना की है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समाज में गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए ‘पंच परिवर्तन’ नाम से पांच आयाम तय किए हैं। इनमें सूक्ष्म दृष्टि और मूल भाव छिपा है, जिसे जाने बिना न तो संघ की समाज परिवर्तन की अवधारणा को समझा जा सकता है और न ही संघ के वास्तविक लक्ष्य को ये ‘पंच परिवर्तन’ हैं- सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन, स्व के भाव, “स्व के भाव” से संघ का अभिप्राय यह है कि स्वदेशी, स्वभाषा, स्वतंत्रता, स्वराज व स्वच्छता का भाव सभी देशवासियों में प्रकट हो इन पांच आयामों को ‘पंच प्रण’ भी इसी अपेक्षा से कहा गया है कि भारत के उत्थान की कामना करने वाले सभी लोग संकल्पपूर्वक इनकी पालना करें।
आर०एस०एस० की 100 वर्षों की यात्रा भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक उत्थान की कहानी है। यह संगठन समाज के हर वर्ग तक पहुँचने और उन्हें राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित करने का कार्य करता है। आर०एस०एस० की भूमिका न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में भी महत्वपूर्ण है। मेरे विचार से यदि संघ को संस्कारों व राष्ट्र प्रेम की यूनिवर्सिटी कहे तो कोई अतिश्योकित नहीं होगी। मेरे जैसे लाखों स्वय सेवक इस यूनिवर्सिटी शिक्षित होकर राष्ट्रीय हित कार्यों को प्रथम मानकर कार्य कर रहे हैं। संघ अपना लक्ष्य बेशक पूरा न मान रहा हो, लेकिन सर्व समाज को संघ के 100 साल के इतिहास से गर्व और सम्मान की अनुभूति कर रहा है।
लेखक सुभाष चंद्र
वरिष्ठ पत्रकार एवं स्वच्छ भारत मिशन हरियाणा के कार्यकारी वाइस चेयरमैन।

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