रेडक्रॉस आंदोलन मानवीय कल्याण का संदेश देता है : प्रो. एआर चौधरी

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
संवाददाता – उमेश गर्ग।
कुवि में यूथ रेडक्रॉस प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ’।
कुरुक्षेत्र, 9 नवम्बर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के दिशा निर्देशन में पांच दिवसीय यूथ रेडक्रॉस प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ उत्साहपूर्वक किया गया। विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय शिक्षण विभागों के स्वयंसेवकों की सक्रिय भागीदारी के साथ आर.के. सदन में आयोजित इस शिविर का उद्घाटन हुआ। यह शिविर 12 नवम्बर 2025 तक चलेगा, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों में मानवीय मूल्यों, टीम भावना तथा सामाजिक सेवा की भावना का विकास करना है।
यह प्रशिक्षण शिविर यूथ रेडक्रॉस, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र द्वारा प्रो. डी.एस. राणा, कार्यक्रम समन्वयक, के नेतृत्व में आयोजित किया गया है। शिविर में 12 संबद्ध महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय शिक्षण विभागों के लगभग 110 स्वयंसेवक अपने यूथ रेडक्रॉस काउंसलरों सहित भाग ले रहे हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. ए.आर. चौधरी ने मुख्य अतिथि के रूप में किया। रेडक्रॉस सोसाइटी, हरियाणा के राज्य समन्वयक डॉ. रोहित शर्मा ने मुख्य वक्ता के रूप में विचार व्यक्त किए, जबकि एनआईटी कुरुक्षेत्र के भौतिकी विभाग के प्रो. अश्वनी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुई।
मुख्य अतिथि प्रो. ए.आर. चौधरी ने अपने प्रेरणादायी उद्घाटन भाषण में रेडक्रॉस के आदर्श वाक्य “स्वास्थ्य, सेवा और मित्रता” पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालते हुए कहा कि रेडक्रॉस आंदोलन मानवता की सेवा का ऐसा वैश्विक प्रतीक है जो सीमाओं, धर्म, जाति और भाषा से परे जाकर केवल मानवीय कल्याण का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि रेडक्रॉस की भावना हमें निस्वार्थ भाव से दूसरों की सहायता करने, जरूरतमंदों के प्रति संवेदनशील बनने और समाज में सौहार्द का वातावरण बनाने की प्रेरणा देती है। प्रो. चौधरी ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे अपने जीवन में सेवा, सहानुभूति और परोपकार के मूल्यों को अपनाएं तथा समाज, राष्ट्र और मानवता की भलाई के लिए सदैव तत्पर रहें।
अपने स्वागत भाषण में प्रो. डी.एस. राणा ने कहा कि यूथ रेडक्रॉस शिविर का उद्देश्य केवल प्रशिक्षण देना नहीं, बल्कि युवाओं में करुणामय और जिम्मेदार नेतृत्व का निर्माण करना है। उन्होंने कहा, “जब हम मानवता फैलाते हैं, तो स्वयं भी स्वस्थ और सशक्त होते हैं।” उन्होंने स्वयंसेवकों को सेवा, अनुशासन और निस्वार्थ भाव के साथ रेडक्रॉस के आदर्शों का पालन करने के लिए प्रेरित किया।
प्रो. अश्वनी ने कहा कि वास्तविक शिक्षा तभी पूर्ण होती है जब उसमें मानव सेवा का समावेश हो। उन्होंने विद्यार्थियों से सहानुभूति, सहयोग और दृढ़ता जैसी मानवीय गुणों को विकसित करने का आग्रह किया।
मुख्य वक्ता डॉ. रोहित शर्मा ने रेडक्रॉस आंदोलन के इतिहास और वैश्विक योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि रेडक्रॉस की स्थापना वर्ष 1863 में हुई थी, और इसके मानवीय कार्यों के लिए इसे चार नोबेल शांति पुरस्कार (1901, 1917, 1944, 1963) प्राप्त हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी की स्थापना भारतीय संसद द्वारा पारित अधिनियम संख्या 15, वर्ष 1920 के अंतर्गत हुई थी, जो तीन स्तंभों आइसीआरसी (इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेडक्रॉस), आइएफआरसी (इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटीज) और नेशनल सोसाइटीज – के अंतर्गत कार्य करती है।
डॉ. शर्मा ने हरियाणा रेडक्रॉस की सराहना करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान केवल एक माह में 26,000 यूनिट रक्त संग्रह किया गया। वर्ष 2024 में हरियाणा रक्तदान में पूरे देश में प्रथम स्थान पर रहा। उन्होंने बताया कि राज्य में विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों के कल्याण हेतु 21 करोड़ रुपये की राशि उपकरणों और सहायता सामग्री पर व्यय की गई है।
कार्यक्रम में सांस्कृतिक रंग भरते हुए स्वयंसेविका ईशा ने सुंदर गणेश वंदना प्रस्तुत की, जिसके बाद मेहक द्वारा प्रस्तुत हरियाणवी लोक नृत्य ने दर्शकों की खूब सराहना बटोरी।
कार्यक्रम का समापन प्रो. डी.एस. राणा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, विश्वविद्यालय प्रशासन, संसाधन व्यक्तियों एवं स्वयंसेवकों का शिविर के सफल आयोजन में सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।
शिविर के प्रथम दिवस ने आगामी प्रशिक्षण सत्रों की नींव रखी, जिनमें प्रथम उपचार, आपदा प्रबंधन, सामुदायिक स्वास्थ्य, नेतृत्व विकास और सामाजिक उत्तरदायित्व जैसे विषयों पर कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।




