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श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में होगा शोध महाकुंभ

देश-विदेश के 100 से भी ज्यादा विशेषज्ञों की होगी भागीदारी, 26 सितम्बर को होगा आयोजन।
विज्ञान भारती और एसवीएसयू के संयुक्त तत्वावधान में कौशल और तकनीक की दुनिया के महारथी करेंगे मंथन।

पलवल, प्रमोद कौशिक 7 अगस्त : श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में देश और दुनिया के विशेषज्ञ कौशल और तकनीक पर मंथन करेंगे। 26 सितंबर को होने वाले इस सम्मेलन में देश-विदेश के 100 से भी ज्यादा तकनीक और कौशल विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे। खास बात यह होगी कि दुनिया भर से आने वाले सभी शोध पत्र हिंदी भाषा में प्रस्तुत होंगे। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर दिनेश कुमार ने बताया कि ‘तकनीकी और कौशल शिक्षा की परिवर्तनकारी गतिशीलता’ विषय पर आयोजित इस शोध महाकुंभ के आयोजन तैयारियां शुरू हो गई हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक और कौशल पर हिंदी में इतने बड़े शोध महाकुंभ का आयोजन हमारे लिए गर्व का विषय है। यह सब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप किया जा रहा है। कुलगुरु प्रोफेसर दिनेश कुमार ने कहा कि इस सम्मेलन आने वाले शोध पत्रों से कौशल और तकनीक जगत के लिए एक प्रबल और सुदृढ़ मार्ग प्रशस्त होगा। अकादमिक जगत और शोधकर्ताओं के लिए नए आयाम स्थापित होंगे। यह सम्मेलन नए शोधों का आधार तैयार करेगा।
सम्मेलन की संरक्षक एवं कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा ने बताया कि इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य तकनीकी और कौशल के क्षेत्र में वैश्विक सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। इस सम्मेलन में बदलती दुनिया की मांगों को पूरा करने के लिए विकसित हो रही शैक्षिक सामग्री तथा शिक्षण पद्धतियों पर चर्चा होगी। इस एक दिवसीय सम्मेलन के संयोजक प्रोफेसर आर एस राठौड़ ने बताया कि यह सम्मेलन श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के अनुप्रयुक्त विज्ञान एवं मानविकी कौशल संकाय तथा विज्ञान भारती के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जाएगा। दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से आने वाले शोध पत्रों में 10 चुनिंदा शोधपत्र विज्ञान भारती की शोध पत्रिका विज्ञान प्रकाश में प्रकाशित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि यह शोध पत्र कौशल शिक्षा के बदलते स्वरूप, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन में उद्योग की भूमिका, कौशल पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में पाठ्यक्रम उन्नयन, इंजीनियरिंग, विज्ञान, मानविकी, प्रबंधन और कृषि विषयों पर आधारित होंगे। प्रोफेसर आर एस राठौड़ ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 में तकनीक, कौशल और विज्ञान जैसे विषयों को हिंदी तथा अन्य स्थानीय भाषाओं में पढ़ाए जाने तथा शोध को स्वदेशी भाषाओं में करने पर जोर दिया गया है। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने विज्ञान भारती के साथ मिल कर यही पहल की है कि इस दिशा में व्यवहारिक स्तर पर काम हो। आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की पूर्ति में तकनीक एवं कौशल दोनों की अहम भूमिका होगी। विज्ञान भारती और श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयास इस दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।

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