संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है बल्कि भारतीय संस्कृति की प्राण वायु है : प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
संवाददाता – गीतिका बंसल।
दूरभाष – 94161 91877

श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय में सात दिवसीय संस्कृत प्रभाषणम् कार्यशाला का हुआ शुभारंभ।

कुरुक्षेत्र : आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है, जिसका सम्पूर्ण वांगमय संस्कृत भाषा में लिपिबद्ध किया गया है और संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है बल्कि भारतीय संस्कृति की प्राण वायु है। इसलिए संस्कृत भाषा का ज्ञान आयुर्वेद को समझने में अहम भूमिका निभाता है। ये बातें श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान ने श्रीकृष्ण आयुष विवि के आयुर्वेद संहिता एवं सिद्धातं विभाग व बेंगलुरु की आयुर्वेद अकेडमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय संस्कृत प्रभाषणम् कार्यशाला के उघाटन सत्र में प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कही। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. नरेश भार्गव, सह प्राध्यापक डॉ. कृष्ण कुमार और सहायक प्राध्यापक डॉ. लसिता मौजूद रही। कुलपति ने कहा कि आयुर्वेद की शिक्षण व्यवस्था में संस्कृत भाषा प्रमुख माध्यम है वहीं संस्कृत भाषा की लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि विश्व के प्रमुख देशों अमेरिका और यूरोप के विश्वविद्यालयों में भी संस्कृत का अध्ययन अध्यापन किया जा रहा है। नव आगंतुक चिकित्सकों में संस्कृत भाषा के ज्ञान से ही आयु्र्वेद चिकित्सा पद्धति ओर अधिक लाभदायक सिद्ध होगी, इसके साथ ही चिकित्सक भी मरीजों की मनोदशा को समझकर उचित उपचार कर सकेंगे। इस अवसर पर आयुर्वेद अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान के प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। भारत की सांस्कृतिक पहचान अगर पूरी दूनियां में है तो उनमें से एक संस्कृत भाषा भी है। जिसे हम देव भाषा कहते हैं यह भाषा भगवान ब्रह्म द्वारा उतपन्न की गई है। वेदों की रचना इसी भाषा में की गई है क्योंकि यह शुद्धता का भी प्रमाण है अगर आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के गुढ़ रहस्यों को जानना है तो संस्कृत भाषा का ज्ञान होना विद्यार्थी के लिए बहुत जरूरी है। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. कृष्ण कुमार ने बताया कि इस सात दिवसीय संस्कृत प्रभाषणम् कार्यशाला में 117 विद्यार्थियों ने भाग लिया है। इस कार्यशाला में बेंगलुरु के आयुर्वेद संस्थान के 12 संस्कृत भाषा के विशेषज्ञ आए हुए हैं जो प्रतिदिन विद्यार्थियों को प्रयोगात्मक और क्रियात्मक विधियों द्वारा संस्कृत भाषा ज्ञान प्रदान करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कार्यशाला के प्रथम दिन विद्यार्थियों को संस्कृत का उच्चारण कैसे किया जाए इसकी जानकारी विशेषज्ञों द्वारा दी गई।

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