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भगवद्प्राप्ति ही जीव का एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए : महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज

सेंट्रल डेस्क संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक दूरभाष – 9416191877
ब्यूरो चीफ – डॉ. गोपाल चतुर्वेदी।

वृन्दावन, 23 दिसंबर : छटीकरा रोड़ स्थित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आश्रम में चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव में व्यासपीठ पर आसीन अखण्ड दया धाम के संस्थापक महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी भास्करानंद महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी में देश- विदेश से आए सभी भक्तों-श्रृद्धालुओं को श्रीमद्भागवत महापुराण की अमृतमयी कथा श्रवण कराते हुए कहा कि हमें अपने आराध्य के प्रति दृढ़ विश्वास और अटूट श्रद्धा रखनी चाहिए। तभी हम प्रभु की साधना करके उनको प्राप्त कर सकते हैं।व्यक्ति के हृदय में श्रद्धा और विश्वास की कमी ही भगवद साधना में रुकावट उत्पन्न करती है।इसके लिए संत समागम और हरिकथा ही सर्वोत्तम उपाय है।
पूज्य महाराजश्री ने कहा कि भगवद्प्राप्ति ही जीव का एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए।इसके लिए हमारे ऋषियों-मुनियों ने अनेकों साधन बताये हैं।हमारे धर्म ग्रंथों में नौ प्रकार की भक्ति का वर्णन किया है।जिन्हें नवधा भक्ति भी कहा जाता है।जिनमें श्रवण, कीर्तन, स्मरण, चरण सेवा (पाद सेवन), अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य एवं आत्म निवेदन। इन नौ भक्तियों के द्वारा भक्त परमात्मा को प्राप्त कर लेता है।लेकिन गोपियों द्वारा उद्धवजी को बताई गई प्रेमा भक्ति ही संसार में भगवत प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन है।जिसके द्वारा भक्त को शीघ्र ही प्रभु की प्राप्ति हो जाती है।
इस अवसर पर साध्वी कृष्णानंद महाराज, प्रख्यात साहित्यकार “यूपी रत्न” डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, मुख्य यजमान पूरनमल मोहनलाल गांधी (रायपुर, छत्तीसगढ़), डॉ. राधाकांत शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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